युवाओं ने सम्भाली पर्यावरण बचाने की जिम्मेदारी
पर्यावरण दिवस के संदर्भ मे उदयपुर के युवा रंग कर्मियों ने नुक्कड़ नाटक जीवन की दुकान के माध्यम से सवाल उठाये। वर्तमान पर्यावरण की नाजु़क हालत को देखते हुए पेडो़ को बचाने एंव पेडो़ को रोपने का सन्देश दिया।
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पर्यावरण दिवस के संदर्भ मे उदयपुर के युवा रंग कर्मियों ने नुक्कड़ नाटक जीवन की दुकान के माध्यम से सवाल उठाये। वर्तमान पर्यावरण की नाजु़क हालत को देखते हुए पेडो़ को बचाने एंव पेडो़ को रोपने का सन्देश दिया।
नाट्यांश द्वारा आयोजित यह नुक्कड़ नाटक व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए पर्यावरण पहुंचाई गयी हानियों पर आधारित है।
जिस तरह मानव जाति सभी कुछ जानते हुए भी प्राकृतिक संप्रदाओं का शोषण कर रही है तथा इस शोषण से भविष्य में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से अनजान बनी हुई है। मानव जाति की उसी सोई सोच को बदलने के लिए ओर लोगों को जागृत करने के लिए नुक्कड़ नाटक का प्रभावी मंचन किया गया। नाटक मंचन उदयपुर के दो प्रसिद्ध स्थानों – गुलाब बाघ एंव फतेहसागर की पाल पर हुआ।
नुक्कड़ नाटक के साथ ही कलाकारो ने पर्यावरण को बचाने से संबंधित सवालों को समाज के समक्ष रखा। साथ ही उदयपुरवासियो ने पर्यावरण के रक्षक पेडो़ को बचाने एंव नये पेड़ लगा कर उनके बड़े होने तक पेडो़ की देखभाल का संकल्प लिया।
इस नुक्कड़ नाटक के संयोजक एंव निर्देशक अश्फाक नुर खान पठान ने बताया की नाटक लेखन का कार्य अमित श्रीमाली एंव उन्होने मिल कर किया है।
नाटक के कलाकारों में मोहम्मद रिज़वान, देवेन्द्र सुथार, शुभम, नेहा पुरोहित, श्लोक पिंपलकर, अश्फाक नुर खान पठान, नितेश खत्री, खूशबु खत्री थे साथ ही विनित शर्मा, अब्दुल मुबिन खान, पर्वत सिहं सिसोदिया, डॉ. गिरीष समदानी एंव सेंट एंथोनी स्कूल का विशेष सहयोग प्राप्त हुआ।
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