युगपुरूष ने बताया मोहनदास से कैसे बने महात्मा गांधी


युगपुरूष ने बताया मोहनदास से कैसे बने महात्मा गांधी

नाटक में गांधीजी ने अपने गुरू के संबंधों के साथ-साथ अपने निजी जीवन पर खुलकर बताया। गांध

 
युगपुरूष ने बताया मोहनदास से कैसे बने महात्मा गांधी

श्रीमद राजचंद्र मिशन धरमपुर की 150 वीं जन्म जयन्ती के अवसर पर पूज्य गुरूदेव राकेश भाई की प्रेरणा से महात्मा गांधी के जीवन पर बने युगपुरूष -महात्मा के महात्मा नाटक ने जहाँ महात्मा गांधी एवं उनके आध्यात्मिक गुरू श्रीमद राजचंद्र के संबंधों को बताया वहीं नाटक यह भी बताने में सफल रहा कि किस प्रकार गांधीजी मोहनदास से महात्मा गांधी बने। नाटक में पात्रों की सशक्त प्रस्तुति ने सभी को 2 घंटे तक बांधे रखा।

नाटक ने यह बताया कि भारतीय इतिहास में भले ही लोग गांधीजी के आध्यात्मिक गुरू राजचंद्र को नहीं जानते है लेकिन जो जानते है वे मानते है कि किस प्रकार गांधीजी ने सत्य और अहिंसा के सनातन सिद्धांत प्रदान किये। नाटक की शुरूआत गांधीजी अपने आश्रम में प्रार्थना सभा में जाते है जहाँ वे अपने आध्यात्मिक गुरू के बारें में बताया कि वे किस प्रकार अपने गुरू से मिले और उनके बाद उनके जीवन में किस प्रकार परिवर्तन आया। युगपुरूष ने बताया मोहनदास से कैसे बने महात्मा गांधी

नाटक में गांधीजी ने अपने गुरू के संबंधों के साथ-साथ अपने निजी जीवन पर खुलकर बताया। गांधीजी ने यह भी बताया कि उन्होंने सत्य एवं अहिंसा के मूल्य उन्होेंने अपने गुरू से ग्रहण किये। उन्होेंने यह भी बताया कि अपने गुरू से मिले इन दो रामबाण मूल्यों से किस प्रकार भारत को अग्रेंजो से आजादी दिलायी। नाटक में वे यह भी बताते है कि इन दो मूल्यों से आम व्यक्ति का जीवन भी बदल सकता है बशर्ते वह इनका ईमानदारी से पालन करें।

अब तक 269 दिनों में देश-विदेश 800 से अधिक इस नाटक के शो कर चुके इन कलाकारों ने अमेरीका के लॉस ऐन्जिलिस के डॉल्बी थियेटर में आयोजित होते रहे ऑस्कर अवार्ड समारोह के इस थियेटर में इस नाटक ने अपनी सशक्त प्रस्तुति से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया था। अब तक इस नाटक को 5 लाख से अधिक लोगो ने देखा है।

युगपुरूष ने बताया मोहनदास से कैसे बने महात्मा गांधी

नाटक में यह बताया गया कि गांधीजी ने श्रीमद् से उनकों ऐसा क्या सीखने को मिला कि वे अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए मोहनदास से महात्मा बने और उन्होंने अहिंसा से ही देश को आजाद कराया। नाटक के निर्देशक राजेश जोशी, लेखक उत्तम गड़ा, पार्श्व संगीत सचिन-जिगर का था। साज-सज्जा श्रीमद् राजचंन्द्र मिशन की थी। इस नाटक को दादा साहब फाल्के पुरूस्कार और ट्रांसमीडिया स्क्रीन अवार्ड 2016 से नवाजा जा चुका है।

इसमें श्रीमद् राजचन्द्र मिशन का किरदार अमलेन्दु जोशी, महात्मा गांधीजी का देवेश काले, मोहनदास गांधी का श्रेयस राजे, रेवाशंकर का संजीव चव्हाण, कस्तुरबा गांधी का आंकाक्षा वाघमरे, गांधीजी के अभिन्न मित्र गांडा भाई का किरदार संतोष मात्रे, गांधीजी की अफ्रिकन मित्र मिसेज पोलाक का किरदार प्रीता पाण्ड्या ने निभाकर इस नाटक को सशक्त बना दिया। इसके सभी कलाकार महाराष्ट्र के है।

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