सांवलियाजी मंदिर में अन्नकूट उत्सव पर 15 क्विंटल मालपुए वितरित


सांवलियाजी मंदिर में अन्नकूट उत्सव पर 15 क्विंटल मालपुए वितरित

मेवाड़ की परंपरा के तहत हजारों भक्तों ने लिया मालपुआ प्रसाद, देर रात तक चलता रहा ब्रह्मभोज
 
Devotees throng Shri Sanwaliyaji Temple in Chittorgarh for Annakut Malpua distribution tradition

चित्तौड़गढ़ मेवाड़ के कृष्णधाम श्री सांवलियाजी मंदिर में अन्नकूट पर्व के दिन मालपुए लुटाने की अनोखी और प्राचीन परंपरा बरसों से चली आ रही है। बुधवार की रात ठाकुर जी की विशेष आरती के बाद मंदिर परिसर में मालपुए लुटाए गए। श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और मंदिर परिसर खचाखच भर गया।

ग्रामीणों के साथ-साथ बाहर से आए श्रद्धालु भी इस परंपरा में भाग लेने के लिए पहुंचे। मंदिर मंडल और ओसरा पुजारी की देखरेख में मालपुए लुटाए गए, और इसके बाद देवकीसदन धर्मशाला में देर रात तक प्रसादी वितरण चला।

मंदिर से गांव के घर-घर तक मालपुए बांटे गए। 15 क्विंटल मालपुए बने, श्रद्धालुओं ने लूट में लिया हिस्सा जिले के मंडफिया स्थित सुविख्यात श्रीसांवलिया जी मंदिर में बुधवार को अन्नकूट का आयोजन हुआ। इस अवसर पर मालपुए की लूट में बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए। मंदिर मंडल की ओर से 15 क्विंटल मालपुए बनाए गए थे। जिसके बाद मंदिर में ही लगभग 3 क्विंटल मालपुए लुटाए गए।

मालपुए लुटाने के बाद लगभग 3 क्विंटल प्रसादी में बांटे गए। जबकि 9 क्विंटल मालपुए गांव में हर घर जाकर प्रसाद के रूप में बांटा गया। इस आयोजन ने गुजराती और मध्य प्रदेश से आए लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।  दीपावली के बाद गुजरात से काफी संख्या में श्रद्धालु नाथद्वारा और सांवरा सेठ के दर्शन के लिए आते हैं।

30 से ज्यादा सब्जियों से बना ब्रह्म भोज, देर रात तक चला प्रसाद मंदिर में बुधवार शाम गोवर्धन पूजा के बाद 15 क्विंटल मालपुए बनाए गए थे। रात को 10 बजे विशेष आरती के बाद सांवरा सेठ को पताशे, गन्ने के टुकड़े और मालपूए का भोग लगाया गया। उसके बाद रात 12 बजे मंदिर मंडल ने मालपुए लुटाए। ग्रामीणों के साथ-साथ बाहर से आए हुए श्रद्धालुओं की होड़ मच गई।

श्रद्धालुओं से मंदिर परिसर खचाखच भर गया। ओसरा पुजारी ने मंदिर मंडल के अधिकारियों और पुलिस की मौजूदगी में मालपुए लुटाए। इसके बाद देवकी सदन धर्मशाला में देर रात 2 बजे तक महाप्रसादी का प्रोग्राम चला। जिसे ब्रह्म भोज कहा जाता है। यहां 30 से 35 तरीके की सब्जियों को मिक्स कर खाना बनाया गया। प्रसादी के लिए 10 क्विंटल सब्जी बनाई गई थी। इसके बाद गांव में घर-घर जाकर मालपुए के प्रसाद का पैकेट वितरण किया जाता है।

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