अरुणाचल प्रदेश में सेना के हेलीकॉप्टर में क्रैश हुए उदयपुर के मेजर मुस्तफा बोहरा को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए तमाम शहरवासी ग्रांधी ग्राउण्ड पहुंचे।श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए राजस्थान सरकार के मंत्री अर्जुन लाल बामनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया, ज़िला कलेक्टर ताराचंद मीणा, वल्लभनगर विधायक प्रीति शक्तावत, उदयपुर ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा, नगर निगम महापौर जीएस टांक, उपमहापौर पारस सिंघवी, आर्मी के उनके साथी, मुस्तफा के पिता जकिउद्दीन, माता फातिमा, बहन एलफिया,मंगेतर फातिमा और कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।
इस अवसर पर वल्लभनगर विधायक प्रीति शक्तावत ने खेरोदा के राजकीय विद्यालय का नाम शहीद मेजर मुस्तफा के नाम करने की घोषणा करते हुए बताया की इस हेतु उन्होंने राज्य सरकार को पत्र भी लिखा है। इसी प्रकार बोहरा यूथ संसथान ने उपमहापौर पारस सिंघवी को अश्विनी बाजार का नाम शहीद मेजर मुस्तफा के नाम करने की मांग की। जिस पर पारस सिंघवी ने नगर निगम में प्रस्ताव रखने की बात कही।
मुस्तफा के दोस्त और उनके साथ आर्मी में तैनात मेजर अर्जुन सिंह देवड़ा ने मुस्तफा के साथ बिताए हुए पल सभी के साथ साझा किए। उनके दोस्त ने बताया कि 2003 से ही भिण्डर में एक ही स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद दोस्त इतनी गहरी हो गई खाने में साथ आलू पराठे से लेकर दोस्ती के मायने भी मुस्तफा से जाने।
मुस्तफा के आर्मी के दोस्त बताते है कि उन्हें साइकिल नहीं चलानी आती थी उनका यह डर भी मुस्तफा ने दूर किया और उन्हें साइकिल चलाना सिखाया। इसके बाद 2008 में मुस्तफा सेंट पॉल स्कूल में अपनी शिक्षा ली और उनके दोस्त ने सैनिक स्कूल से। अलग-अलग स्कूल से शिक्षा लेने के बाद भी वह एक दूसरे से संपर्क में रहते थे। इसके बाद 2012 में एन.डी.ए दोनों दोस्तों ने एक साथ प्रवेश लिया। वह बताते है कि हर रविवार हमसे मिलने के लिए घर वाले आया करते थे, लेकिन हमारे घर वााले कम ही मिलने आते थे।
फातिमा आंटी के हाथ के आलू पराठे खाने के लिए में हमेशा गेस्ट लिस्ट में फातिमा सिंह नाम लिख दिया करता था, जब वहां मुझसे पूछा जाता था कि यह आपकी कौन है तो हमेशा कहता था यह मेरी आंटी हैं। एक दफा की बात है जब हम एन.डी.ए की तैयारी कर रहे थे तो उन्होंने मुस्तफा से पूछा कि तेरा भी फॉर्म भर दूं बातों ही बातों में उसका फॉर्म भर दिया और मुस्तफा रिर्टन में पास हो गए। इसके बाद मुस्तफा एन.डी.ए में भी सलेक्ट हो गए। जब आर्मी में जाने का मौका आया तो परिवार वाले नहीं चाहते थे कि मुस्तफा आर्मी में जाए। उस समय ही मेजर अर्जुन ने परिवार को समझाया और कदम पीछे न रखने के लिए कहा। मेजर अर्जुन बड़े गर्व से कहते है कि हमें बड़ा गर्व है कि मेरा जो फैसला था वह बहुत सही था। उन्होंने कहा कि मुस्तफा का परिवार मेरा परिवार है शहरवासियों से यह विनती है कि आप लोग उसे भूल न जाएं उदयपुर की गलियों में उसे अमर रखिए।
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