कारण, जो भारतीय युवाओं में पैदा कर रहे तलाक का ट्रेंड - समाजसेवी अतुल मलिकराम

कारण, जो भारतीय युवाओं में पैदा कर रहे तलाक का ट्रेंड - समाजसेवी अतुल मलिकराम 

लड़के का परिवार, जॉब वाली लड़की की चाहत में एक महत्वाकांक्षी पढ़ी-लिखी लड़की लाने की इच्छा रखता है

 
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Views expressed in this post are of the original author, Atul Malkiram, a Social Service Worker, and do not reflect the views of UdaipurTimes.

यूँ तो भारत में तलाक की दर दो फीसदी से भी कम है, लेकिन भारतीय युवाओं में तलाक का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। पिछले कुछ सालों में युवा शादी-शुदा जोड़ों के अलग होने की प्रवृत्ति में तेजी से उछाल आया है। ज्यादातर मामलों में शादी को एक महीना भी पूरा नहीं होता और तलाक की अर्जी अदालत के दरवाजे पहुँच जाती है। लेकिन सवाल है कि ऐसा क्यों? वो कौन-से कारण हैं, जो युवाओं को इंपेशन्ट बना रहे हैं और शादी जैसे अमूल्य रिश्ते को मजाक बनने पर मजबूर कर रहे हैं।

समाजसेवी अतुल मलिकराम बताते है कि इस विषय में बहुत अधिक गर्त तक नहीं जाना चाहता। लेकिन जो मौजूदा सामाजिक संरचना के हिसाब से कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे देखने को मिलते हैं। युवाओं में तेजी से बढ़ती रिश्तों को खत्म करने के प्रथा में प्रतिबद्धता के मुद्दे, पारिवारिक दबाव और अपरिपक्वता एक अहम योगदान निभाता है। इसे आसान भाषा में समझने की कोशिश करें, तो पाएँगे कि अधिकतर मामलों में लड़के का परिवार, जॉब वाली लड़की की चाहत में एक महत्वाकांक्षी पढ़ी-लिखी लड़की लाने की इच्छा रखता है, ले भी आता है, और फिर रोक-टोक शुरू कर देता है।

अरेंज होने वाली ज्यादातर शादियों से पूर्व लड़की को मिलने वाली आजादी के बारे में लड़का-लड़की तो आपस में बात करते हैं, कई मामलों में लड़के के माता-पिता भी करते हैं, लेकिन बाद में वहीं सास-ससुर बन जाते हैं, और शादी के कुछ दिन महीने बाद ही लड़की के बाहर जाने-आने पर पाबंदियाँ लगाने लगते हैं या समय परिस्थिति के हिसाब से उन्हें ये लगने लगता है कि बहु बाहर नहीं जाए और उसे समाज का हवाला देने लगते हैं।

उन्होंने बताया कि तलाक के मामले युवाओं में बढ़ रहे हैं, तो बेशक एक बड़ा पढ़ा-लिखा वर्ग इसका हिस्सा बन रहा है। वजह बड़े शहरों में रहने वाली लड़की को शादी के बाद दबाने की कोशिश देखने को मिलती है। परिवार शायद यह समझने में चूक जाते हैं कि आज के ज़माने में, पति-पत्नी दोनों की इन्कम बढ़ गई है, यानि लड़की भी उतनी ही इंडिपेंडेंट है। फिर परिवार और खुद लड़का भी घर अच्छे से चलाने और मॉडर्न सुख-सुविधाओं से लैस लाइफस्टाइल अपनाने के लिए जॉब वाली लड़की ही चुनता है। लेकिन बाद में आप उससे उम्मीद करते हैं कि वह घर के कामों में भी शिरकत करे, जैसे- खाना बनाना, साफ सफाई आदि, लेकिन वह तो अपनी पिछली लाइफस्टाइल के मुताबिक जोमाटो और बाइयों के भरोसे घरेलु काम निपटाने में यकीन रखती है। ऐसे में यह झगड़ों और दूरियों का दूसरा सबसे बड़ा कारण, 'स्वतंत्रता' में खलल बनती है।

खासकर लड़कियों के ऊपर और भी कई तरह के दवाब डाले जाते हैं। इसमें लड़की के ऊपर एक दवाब परिवार को जल्दी आगे बढ़ाने का भी होता है, जो आम तौर पर पति-पत्नी के बीच मैच्योरिटी से लिया गया फैसला होना चाहिए, लेकिन कई बार, माता-पिता या सास-ससुर इस विषय के मालिक बन जाते हैं। वहीं हर रिश्ते की डोर को मजबूती देने में समय का बहुत बड़ा योगदान होता है। ऐसे में जब आप एक इंडिपेंडेंट लड़की जो अपने हिसाब से, अपनी शर्तों पर, अब तक का जीवन जीती आई है, परिवार उसे अपने पौराणिक ख्यालों में उलझाने की कोशिश करते हैं, तो रिश्तों को कमजोर करने में इनका भी एक बड़ा योगदान होता है।

ये ऐसे कुछ जायज कारण हैं, जो आमतौर पर नजर आते हैं, और ज्यादातर मामले इसी से पीड़ित दिखते हैं। ऐसे में इसका समाधान भी है, जो हमें अपने भीतर से ही निकालना होता है। माता-पिता की ओर से देखें, तो जब आप रिश्ता फिक्स करने जा रहे हैं, उसी समय आप भविष्य की बातों, और सभी संभावित परिदृश्यों पर चर्चा कर सकते हैं। मूलरूप से लड़के के परिवार से कहना चाहूँगा कि जब लड़की पसंद कर रहे हैं, इस बात का ख्याल रखें कि यदि आप जॉब वाली लड़की की मंशा रखते हैं, तो उसे अब तक जितनी आजादी मिली होगी, उसके अनुसार स्वीकार कर सकते हैं, तो करिए, नहीं तो मत करिए। यदि आपको घरेलु लड़की चाहिए, तो शुरू से घरेलु कामों में आगे रही लड़की ही ढूँढ़िए या पसंद करिए। कुछ लड़कियाँ दोनों में निपुण होती हैं, लेकिन आप बाद में कोई भी बात थोपने की कोशिश न करें। शादी से पूर्व आपके पास पर्याप्त समय होता है, कम से कम लड़की की लाइफस्टाइल समझने के लिए।

दूसरा एक समाधान लड़की के ऊपर परिवार को आगे बढ़ाने का दवाब नहीं होना चाहिए। हमें यह फैसला लेने की आजादी लड़के और लड़की के ऊपर ही छोड़ देना चाहिए। शादी के अगले साल ही बच्चे की या दादा-दादी या नाना-नानी बनने की उम्मीद न करें, यह दवाब पहले लड़के पर आता है, वह उसे लड़की पर ट्रांसफर करता है, और फिर दवाब में रिश्तों का दम घुटने लगता है। तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण, लड़के को अपने विचारों को खुला रखना चहिए। आप या आपकी पत्नी को आप एकदम से आपके प्रति समर्पित होने की उम्मीद नहीं कर सकते। कई मामले में लड़के भी ऐसा नहीं कर पाते हैं, इसलिए अंडरस्टैंडिंग और थोड़ा समय, सामने वाले और अपने रिश्ते को जरूर दें।

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