उदयपुर के डॉ. चंद्रेश छतलानी ने सबसे ज़्यादा अकादमिक प्रमाणपत्र अर्जित करने का दूसरा विश्व रिकार्ड बनाया

उदयपुर के डॉ. चंद्रेश छतलानी ने सबसे ज़्यादा अकादमिक प्रमाणपत्र अर्जित करने का दूसरा विश्व रिकार्ड बनाया 

जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ उदयपुर में सहायक आचार्य है डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

 
dr chandres kumar chatlani

उदयपुर 3 अप्रैल 2022 । जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ उदयपुर के सहायक आचार्य डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी द्वारा विभिन्न अंतरराष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तरीय संगठनों यथा माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, सिस्को, विश्व स्वास्थ्य संगठन आदि द्वारा विविध अकादमिक विषयों व कार्यकर्मों के ऑनलाइन माध्यम से केवल डेढ़ महीने में पांच सौ से अधिक प्रमाणपत्र अर्जित करने के रिकॉर्ड को अंतरराष्ट्रीय संगठन द ट्रिब्यून इंटरनेशनल वर्ल्ड रिकॉर्ड ने स्वीकृत कर छतलानी का नाम अपनी रिकॉर्ड पुस्तक में पंजीकृत किया है। इससे पूर्व डॉ. छतलानी के रिकॉर्ड को वर्ल्डस ग्रेटेस्ट रिकॉर्ड्स द्वारा भी मान्यता प्रदान की गई है।

छतलानी को 140 से अधिक सॉफ्टवेयर व वेबसाइट निर्माण हेतु बेस्ट सॉफ्टवेयर रिसर्च एंड डवलपमेंट एनालिस्ट, सीरिया से वर्ल्ड कल्चरल क्रिएटिविटी अंबेसेडर सहित कई अन्य सम्मान भी प्राप्त हो चुके हैं। छतलानी ने इस रिकॉर्ड को अपने स्वर्गीय पिता को समर्पित करते हुए कहा कि उनकी बताई राह पर चल कर ही यह कुछ हासिल किया है। डॉ. चंद्रेश ने तीसरे विश्व रिकॉर्ड के लिए भी आवेदन किया हुआ है तथा एक अन्य रिकॉर्ड पर कार्यरत भी हैं।

विद्यापीठ के कुलपति प्रो. कर्नल एस.एस. सारंगदेवोत ने डॉ. छतलानी को बधाई देते हुए कहा कि छतलानी ने विद्यापीठ के लिए भी कई विशेष कार्य किए हैं, अधिकतर सभी प्रमुख कार्यों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही हैऔर उनके द्वारा किए जा रहे कार्य अनुकरणीय हैं। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को उनके पदचिन्हों पर चलना चाहिए। वे सॉफ्टवेयर व वेबसाइट निर्माण के उत्तम ज्ञाता व विभिन्न विषयों के शोधकर्ता होने के साथ-साथ एक अच्छे साहित्यकार भी हैं। गंभीर कोविड के बाद लम्बी बीमारी से संघर्षरत होने के बावजूद भी उन्होंने यह मुकाम हासिल किया है, जो उनकी प्रतिबद्धता व अद्वितीयता को उजागर करता है। उनके विशेष व अनूठे दृष्टिकोण से सभी लाभप्रद होते हैं।

डॉ. छतलानी को शिक्षा, शोध व साहित्य के क्षेत्र में योगदान के बीस सम्मान प्राप्त हो चुके हैं, उन्होंने दस पुस्तकों का लेखन व आठ का संपादन किया है, साथ ही उनके 30 शोध पत्र प्रकाशित व 40 अन्य शोध पत्र राष्ट्रीय-अतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में प्रस्तुत हुए हैं।

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