कहते है जोड़िया तो पहले से ही तय होती हैं, संजोग होता है तो देशों की सरहदें भी कम पड़ जाती हैं। मोहब्बत शब्द जो ना पहचान देखता हैं और ना ही मजबूरियां! हर वक्त सीमाएं लांघने को बेकरार रहता हैं। ऐसे ही तुर्की की बरफीन खान कई देशों की सीमाएं लांघकर उदयपुर के सरफराज के साथ अपना नाता जोड़ चुकी हैं। तीन मुलाकात के बाद कही जाकर बात बनी और दोनों निकाह के लिए राजी हुए। 10 अप्रैल 2018 में निकाह कर एक दूजे के हो गए।
बरफीन और सरफराज को शादी के बाद ही दूरियां भी सहनी पड़ी। दरअसल, अजमेर में हज़रत ख्वाजा मोईन उद्दीन चिश्ती दरगाह में निकाह होने के बाद जनवरी 2020 में वह तुर्की चली गई थी। दो महीने बाद ही मार्च में लॉकडाउन लगने से भारत लौटना मुश्किल हो गया। कोविड की महामारी में फोन कॉल या सोशल मीडिया के भरोसे दोनों जल्द मिलने की उम्मीद पाले बैठे थे। इन सबके बीच दोनों की लव स्टोरी भी बेहद खास हैं।
उदयपुर से अनजान पशु प्रेमी बरफीन 2018 में एनिमल एड एनजीओ में आना चाहती थी। उदयपुर में स्थित एनजीओ का हिस्सा बनने की चाहत रखने वाली तुर्किश युवती लेकसिटी पहुंची, तो वह एनजीओ से जुड़ने में कामयाब भी रही। बरफीन शहर में किसी हॉस्टल में रहती थी। बरफीन के हॉस्टल के नज़दीक ही सरफराज़ की हैडीक्रैफ्ट की दुकान थी।
एक दिन बरफीन जब गली के कुत्तों के लिए पानी का कटोरा तलाश कर रही थी उन्होंने सब जगह तलाश किया लेकिन उन्हें नहीं मिला। इसी दौरान उन्हें सरफराज़ एक दुकान पर नजर आए उन्होंने सरफराज़ से कहा आप मेरी मदद करेगें सरफराज़ इसके लिए राज़ी हो गए और बरफीन की मदद की। उस समय दिल में ऐसा बिल्कुल ख्याल नहीं था कि किसी समय में सरफराज़ मेरे हमसफर होंगे। दूसरी मुलाकात भी कुछ ही लम्हों की थी। शायद इस वक्त इश्क भी परवान चढ़ा। तीसरी बार की मुलाकात थोड़ी लम्बी रही। जब बरफीन की दोस्त ने अपने किसी दूसरे मित्र और सरफराज़ को भी डिनर पर आमंत्रित किया था।
इसके बाद बरफीन और सरफराज़ की मुलाकात धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगी। सरफराज़ ने ईद-उल-अज़हा के मुबारक मौके पर बरफीन को दावत दी। इस ख्याल के बावजूद कि बरफीन शायद घर ना आए। लेकिन सरफराज जब नमाज़ अदा करके आए, तो बरफीन को अपने घर पाकर बेहद खुश हुए। यह सिलसिला आगे भी इसी तरह ज़ारी रहा। शाम को रोज़ मुलाकात और कुछ बाते कुछ अहसास और उन अहसासों का मोहब्बत में कब तब्दील हो जाना दोनों को नहीं पता। सरफराज़ ने पहली दफा बरफीन से अपनी मोहब्बत का इज़हार किया लेकिन बरफीन ने साफ इंकार कर दिया। फिर भी मुलाकात जारी रही। इसके बाद सरफराज़ ने एक बार फिर से इज़हार करने की कोशिश की लेकिन फिर भी मोहब्बत मे सफलता हासिल नहीं हुई। बरफीन ने फिर से इंकार कर दिया। सरफराज़ ना उम्मीद नहीं हुए लेकिन कोशिश लगातार जारी रखी।
बरफीन जब कश्मीर से उदयपुर आती है तो वो सबसे पहले सरफराज़ से मिलती है जैसे ही वह सरफराज़ से मिलते है तो उनको सरफराज़ सफेद लिबास में नज़र आते है उनको वह ख्व्वाब याद आ जाता है और वह बिना बात देरी किए हुए सरफराज़ को शादी के लिए “हां” कह देती हैं। सरफराज़ हैरान हो जाते है की अचानक ऐसा क्या हो गया कि बरफीन ने इतनी जल्दी शादी के लिए राज़ी कैसे हो गई।
अजमेर में हुआ निकाह
बरफीन बताती है कि शादी में सभी रस्म पुरी तरह से की गई। शादी से 1 दिन पहले मेहंदी संगीत भी रखा गया। इसके बाद अजमेर में हज़रत ख्व्वाजा मोईन उद्दीन चिश्ती दरगाह पर निकाह हुआ, और दोनों एक दूसरे के हो गए। शादी के बाद दोनों बेहद खुश हैं। वहीं बरफीन को बहू के रुप में पाकर सरफराज़ का परिवार भी बहुत खुश हैं।
बरफीन बताती है कि शादी के बाद वह जनवरी 2020 में वह तुर्की चली गई थी। मार्च में लॉकडाउन लग गया था। ऐसे में एक देश से दूसरे देश में आना बेहद मुश्किल था। उस समय केवल कॉल या मेसेज पर ही बात हो सकती हैं। कोरोना काल खत्म होने के बाद 2022 में वह उदयपुर आई हैं। सरफराज़ और उनके परिवार से मिलकर बेहद खुश हैं।
जर्मनी की रहने वाली बरफीन को लुभाते हैं भारतीय रीति- रिवाज़ और परिधान, बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान की फैन
तुर्की निवासी बरफीन बॉलीवुड एक्टर शाहरुख खान की फैन है वह बताती है कि उनके पिता के साथ वह एक्टर शाहरुख खान की कई फिल्में देखा करती थी। वहीं बरफीन भारतीय मिठाइयों की बेहद शौकीन हैं। भारतीय मिठाईयों के साथ भारतीय रीती रिवाज़, परिधान और गहने भी खूब पसंद हैं। उर्दू पढ़ने और लिखने का शौक रखती हैं।
बरफीन का जन्म जर्मनी में हुआ उनके माता पिता तुर्की से तालुक रखते हैं। वह जब 15 साल की थी तब से ही काम कर रही हैं। बरफीन ने एजुकेशनल साइंस की पढ़ाई की हैं। वह अभी 28 साल की हैं। तुर्की में वह एक स्कूल में काम करती हैं और अपनी पढ़ाई भी। बरफीन को ट्रेवल करने का बेहद शौक है।
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