कहते है जल्दी का काम शैतान का होता है कुछ इसी तरह का हाल उदयपुर की सड़को पर इन दिनों नज़र आ रहा हैं। 5 से 7 दिसंबर को आयोजित हुए G-20 शेरपा शिखर सम्मेलन में शहर को दुल्हन की तरह सजाया था। शेरपाओ की बरात लौटते ही दुल्हन का मेकअप धुलना भी शुरू हो गया।
शहर की सड़को पर डामर लगाकर तो दिवारों पर पेन्टिंग्स करके किसी तरह चमकाया गया था लेकसिटी को। हालाँकि जहाँ शेरपाओ का आवागमन नहीं था वहां तो सड़कें डामर को अब थी तरस रही लेकिन जहाँ रहगुज़र होनी थी वहां ज़रूर कुछ मेहनत की थी लेकिन नतीजा क्या रहा? वहीं जानी पहचानी से खस्ताहाल सड़के जिन्हे देखना आमजन की आदत बन चुकी है।
जैसे उदयपुर के प्रतापनगर से देबारी के बीच सड़क का तेजी गति से निर्मााण किया गया था। रोड़ को इस तरह से तैयार किया था कि इनकी कभी कब्र नहीं खुदेंगी, लेकिन कुछ दिनों बाद ही स्मार्ट होनहार इंजीनियर्स द्वारा मनमर्जी से किए गए काम से सड़कों की कब्र फिर से खुदना शुरु हो गई हैं। प्रतापनगर से देबारी के बीच बनाई गई चमचमाती सड़क फिर से उखड़ गई हैं।
इधर, G-20 शेरपा शिखर सम्मेलन का हिस्सा रहे जी एस नायडू उदयपुर की प्रशासन को तहे दिल से शुक्रिया कह कर गए थे। दो दिनों पहले पीएम मोदी ने भी सराहा था लेकिन उदयपुर की जनता तो जानती ही है की चार दिन की चांदनी के बाद अमावस की रात कैसे गुज़ारनी है।
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