उदयपुर 21 मई 2022 । नौतपा को नवतपा भी कहा जाता है। प्रतिवर्ष मई महीने के दूसरे सप्ताह से अंतिम सप्ताह में सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी कम हो जाती है। जिसके कारण धूप और गर्मी तेज हो जाती है और इस तीखी धुप जो 9 दिनों तक होती है जिसे नौतपा कहा जाता है।
नौतपा के दौरान खानपान और रहन-सहन में विशेष पड़ता है जिससे आप बीमार नहीं पड़ेंगे। राजकीय आदर्श आयुर्वेद औषधालय सिंधी बाजार के वैद्य डॉ शोभालाल औदीच्य नौतपा ने नौतपा में स्वस्थ रहने के नुस्खे बताए हैं।
गर्मियों के मौसम में आने वाले सभी फलों का सेवन करना चाहिए। इन फलों में पानी की मात्रा की वजह से शरीर में खनिज लवण एवं पानी की कमी नहीं होती है जिससे शरीर हाइड्रेट रहता है। इस मौसम में तरबूज खरबूज और लीची, आलूबुखारा, बेलन ककड़ी का सेवन करना चाहिए।
डॉ. औदीच्य के अनुसार भोजन सुपाच्य एवं सामान्य होना चाहिए जैसे-रोटी, सब्जी, दाल, चावल। इस समय में तली हुई खाद्य सामग्री सेवन नहीं करना चाहिए। पेट का हाजमा ठीक रखने के लिए गर्मी के दिनों में मसालेदार भोजन से बचना चाहिए। बाजार में मिलने वाले फास्ट फूड, जंक फूड का सेवन न करें। अधिक नमक वाली खाद्य सामग्री का सेवन भी इसमें नमकीन पापड़ चिप्स नमकीन वाली मूंगफली चेवड़ा इत्यादि।
भीषण गर्मी के कारण शरीर में पानी की कमी होना स्वाभाविक है। इसलिए दिन में कम से कम 4 से 5 लीटर पानी जरूर पीना चाहिए। इस समय लिक्विड के रूप में नारियल पानी, लस्सी, फलों के रस का सेवन शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।
भारतीय परंपरा में अब चाय-कॉफी का प्रयोग मेहमानों की आवभगत में एवं सामान्य रूप से किया जाता है। लेकिन नौतपा की समय चाय-कॉफी का प्रयोग जितना कम हो सके करना चाहिए। क्योंकि कैफीन और दूसरे पदार्थों में गर्मी को बढ़ाने वाले तत्व होते हैं।
डॉ. औदीच्य के अनुसार नौतपा में असावधानी बरतने पर सनस्ट्रोक, लू लगना, अतिसार (डायरिया), उल्टी, नकसीर, कंजेक्टिवाइटिस, डिहाइड्रेशन (निर्जलीकरण), टाइफाइड, पीलिया आदि रोग होने की संभावना रहती है।
डॉ. शोभालाल औदीच्य बताते है कि लू लगना सामान्य बात है गर्मी के मौसम में विशेषकर नौतपा में तेज गर्मी के कारण लू लग सकती है। इससे बचने के लिए घर से निकलते समय कुछ खाकर निकले।जल का सेवन करते रहे। सत्तू घोल कर पी सकते हैं। नारियल पानी का सेवन करें। बेल के शरबत का प्रयोग करें। लस्सी का सेवन करें। छाछ का प्रयोग करें। एयर कंडीशनर का प्रयोग करने के बाद एकदम गर्मी में ना निकले।
सुबह ब्रह्म मुहूर्त 4 से 6 बजे से पूर्व बिस्तर छोड़ दे। सुबह उठकर बिना ब्रश किए जल का सेवन करें। नित्य कर्म एवं पूजा निवृत्त होकर यावगु अर्थात जौ और छाछ से बनी राबड़ी का सेवन करना चाहिए। 9 से 12 के बीच में भोजन कर लेना चाहिए जो हल्का सुपाच्य जिसमें हरी सब्जियां, कम मिर्च, मसाले के साथ में बनी हो। दोपहर के समय नारियल पानी फलों का रस गन्ने का रस स्ट्रॉबेरी लीची बेलन ककड़ी अधिक पानी का सेवन करना चाहिए।
शाम को 3 बजे से 4 बजे के बीच में जौ का सत्तू का सेवन करें। धनिया मिश्री काली मिर्च तरबूज के बीच गुलाब की पत्ती खसखस का ठंडाई का मसाला बना कर पानी भिगोकर खरहल में पीसकर आवश्यकता अनुसार दूध मिलाकर पीना चाहिए। शाम को 6 से 7 बजे के बीच हल्का सुपाच्य मधुर रसो वाला मन को प्रसन्न करने वाला का सेवन करें। रात 9 बजे मीठे दूध का सेवन करना चाहिए। 10 बजे से पूर्व शयन के लिए जाना चाहिए।
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