26/11 हमला-मारकोस कमांडो रह चुके तहसीलदार हिम्मत सिंह राव की ज़ुबानी


26/11 हमला-मारकोस कमांडो रह चुके तहसीलदार हिम्मत सिंह राव की ज़ुबानी 

साल 2014 में फोर्स से रिटायर हुए और 2 सालों के बाद आरएएस की परीक्षा देकर तहसीलदार बन गए

 
mumabi terror attack

मुंबई शहर में हुए आतंकवादी हमले कि घटना कों कोई भी हिंदुस्तानी नही भूल पाया है।उस दिल दहला देने वाली घटना आज 14 साल पूरे हों गए, लेकिन आज ही के दिन हुई उस घटना कों कोई भी नही भुला पाया है।

26 नवंबर 2008 हुई उस आतंकवादी घटना में काफ़ी सारे लोग मारे गए थे, और इसके घटना पर काबू पाने के लिए कई सारी सुरक्षा यूनिट्स कों भी मैदान में उतारा गया था, इसी में मारकोस कमांडो का भी अहम् रोल रहा था और इसी कमांडो यूनिट का हिस्सा रहें उदयपुर के हिम्मत सिंह राव ने भी लोगों कि जान बचाने में अहम् हिस्सेदारी निभाई थी। हिम्मत ने हमले के दौरान वहां फंसे करीब 175 लोगों कि जान बचाई थी, दरअसल राव अब वर्तमान में उदयपुर के झाड़ोल क्षेत्र में तहसीलदार के पद पर कार्यरत है।

राव ने बताया कि बीएससी कि परीक्षा के बाद उन्होंने भारतीय नेवी कि परीक्षा दी थी जिसपर उनका चयन हुआ था और साल 1999 में उन्होंने नेवी कों ज्वाइन किया था, एक दिन शिप पर मारकोस कमांडो कों जाते देख मन में निश्चय किया कि उन्हें भी इन्ही में से एक बनना है, फिर क्या था खूब मेहनत कि और साल 2004 में मारकोस कमांडो बन कर दिखाया।

दरअसल हमले में लोगों कि जाने बचाने वाले हिम्मत सिंह राव सिरोही ज़िले के पिण्डवाड़ा इलाके के रहने वाले है,साल 2014 में फोर्स से रिटायर हुए और 2 सालों के बाद आरएएस की परीक्षा देकर तहसीलदार बन गए।

घटना के बारे में बताते हुए राव ने कहा कि घटना वाले दिन जब उन्हें मिशन पर भेजा गया तो इन्होने अपना मोबाईल फ़ोन भी स्विच ऑफ़ कर लिया था, घर वालों से कोई संपर्क नही हों हों रहा था, नही उनके घर वालीं कों इस बारे में कोई जानकारी थी कि वो हमले के समय पर घटना स्थल पर ही है।

राव ने बताया घटना वाले दिन जब उन्हें मिशन पर भेजा गया तो उस समय उन्हें ये जानकारी मिली थी कि कोई बड़ी गैंगवार हों गई है, फिर पाता चला कि कुछ आतंकियों ने हमला किया है, उस दिन कई लोग होटल में फंसे हुए थे, इतने लोगों कि जान कि खातिर उनके ऊपर ये जिम्मेदारी थी कि वो डाइरेक्ट गोलियां नही चला सकते क्यूंकि उस दौरान कोई भी घायल हों सकता था। 

उस दिन कों याद करके राव कहते है कि उन्हें आज भी याद है कि मिशन पर जाने से पहले उन्हें आतंकियों के हुलिए के बारे में बताया गया था, जैसे ही उनकी टीम मौके पर पहुंची तो उन्हें देख कर जीने कि उम्मीद छोड़ चुके खौफज़दा लोगों कों फिर से एक उम्मीद बनी, टीम ने पहुंचते ही लोगों कों होटल से रेस्क्यू कर बाहर निकालना शुरु कर दिया। लेकिन इस बीच एक अनोखी चीज जों उन्हें देखने कों मिली वो ये थी कि वहां फंसे लोग बिना जात पात देखें आपस में एक दूसरे कि मदद करने में लगे हुए थे। राव ने बताया कि वो एक रात थी जब मुंबई खौफ से दहल गई थी।
 

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