उदयपुर 7 दिसंबर। सूखे व बाढ की वैश्विक समस्या पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय) , उदयपुर के सभागार में दिनांक 8 दिसंबर से 10 दिसंबर तक आयोजित होगा। सूखा व बाढ के विश्व जन आयोग, स्वीडन एवं राजस्थान विद्यापीठ के संयुक्त तत्वावधान में भारत में पहली बार आयोजित होने वाले इस सम्मेलन का शुभारंभ गुरूवार सायं 4 बजे प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार मे बोस्निया के राजदूत मोहम्मद शेनजिच, मैग्सेसे पुरस्कार विजेता व सूखा एवं बाढ के विश्व जन आयोग , स्वीडन के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र सिंह, कुंवर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़, कुलाधिपति प्रो. बलवंत राय जानी, कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस मटेरियल स्वीडन के निदेशक डॉ.आशूतोष तिवारी, रजिस्ट्रार डॉ. हेमशंकर दाधीच करेंगे।
विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. शिव सिंह सारंगदेवोत ने जानकारी देते हुए बताया कि ’सूखा और बाढ़: विकेंद्रीकृत जल संरक्षण के माध्यम से शमन, अनुकूलन और अंबन्ध्य ’ विषयक इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य दुनिया में आ रही बाढ़ और सूखे के कारणों को जान उसका समाधान खोज , कार्य योजना पर चर्चा करना है।
अतिथियों के आने का क्रम शुरू:-
आयोजन सचिव डॉ. युवराज सिंह राठौड ने जानकारी देते हुए बताया इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में भाग लेने के लिए अतिथियों के आने का क्रम प्रारंभ हो चुका है। डॉ. मौलाना शाहीन कास्मी, डॉ. मोलाना अजाजुर रहमान, समेत डॉ. मनोहर मानव, डॉ. नीतू कुमारी, डॉ. सत्यम कुमार आदि राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय ख्यातनाम विषय विशेषज्ञ सम्मेलन में भाग लेने के लिए उदयपुर पहुंच चुके हैं।
यहां से आयेंगे प्रतिभागी:-
आयोग के कमिश्नर एवं कुलपति प्रो. सारंगदेवोत ने बताया कि तीन दिवसीय विश्व जल सम्मेलन में छः महाद्वीपों से प्रतिनिधि आयेंगे। जिसमें अफ्रीका, अमेरीका, उत्तरी अमेरिका, एशिया, यूरोप, बोस्निया, स्वीडन, कनाड़ा, मिस्र, पुर्तगाल, लिथूआनिया, आस्ट्रेलिया, नेपाल सहित भारत के महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, लद्दाख, दिल्ली, तमिलनाडु, कर्नाटक , राजस्थान के विभिन्न राज्यों से 120 से अधिक प्रतिभागी ’ ’एक ग्रह, एक विश्व और एक पानी: हम साथ मिलकर बदलाव ला सकते हैं। आदर्श को साकार करने के उद्देश्य से भाग लेंगे । इस अंतरराष्ट्रीय आयोजन में विशेष रूप से ऐसे देशों के प्रतिनिधि सम्मिलित होंगे जो विगत दो वर्षों में बाढ़ और सूखे के प्रभावित हुए हैं।
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