उदयपुर 22 मई 2025। अरावली एक पर्वत श्रृंखला ही नहीं बल्कि हमारी संस्कृति एवं शौर्य पूर्ण इतिहास का प्रवाह है जो हमारे लिए सदियों से प्रेरणा का स्रोत रही है। आगामी पीडिया के लिए इसके भू दृश्य के पुनरुद्धार एवं जैव विविधता को संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। कार्यशाला के माध्यम से केंद्र सरकार एवं अरावली से जुड़ी चारों राज्य सरकारों को एक मंच पर लाया गया है जिससे इसके संरक्षण को लेकर एक सामूहिक विचार सामने आ सके। यह बात केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने बुधवार को होटल रेडिसन ब्लू में अरावली भू दृश्य पुनरुद्धार एवं जैव विविधता कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कही।
उद्घाटन सत्र में प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा भारत सरकार के पर्यावरण, चार विधायक ताराचंद जैन, ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव तन्मय कुमार, वन महानिदेशक सुशील कुमार अवस्थी, अतिरिक्त वन महानिदेशक रमेश कुमार पांडे, प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरिजीत बनर्जी, मुख्य वन संरक्षक सेडूराम यादव सहित राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली के वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
उद्घाटन सत्र में अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री यादव ने कहा कि गुजरात, राजस्थान, हरियाणा एवं दिल्ली के कुल 29 जिलों में अरावली पर्वतमाला फैली हुई है। इसकी गोद में हल्दीघाटी जैसी विश्व प्रसिद्ध युद्ध स्थली एवं कई ऐतिहासिक किले अवस्थित है। वहीं अंबाजी से भर्तृहरि तक कई आध्यात्मिक ऊर्जा के केंद्र फैले हुए हैं। शुष्क जलवायु के बावजूद यहां सुरक्षित क्षेत्र अभयारण्य एवं नेशनल पार्क भी हैं। यहां तक की भारत की संसद एवं राष्ट्रपति भवन जो रायसीना हिल्स पर बने हैं वह भी अरावली का ही भाग है। उन्होंने कहा कि आबादी की विस्तार, अवैध खनन और अतिक्रमण के चलते अरावली को बहुत नुकसान पहुंचा है।
सामुदायिक सहभागिता के साथ इसके पुनरुद्धार की आवश्यकता है। विभिन्न राजकीय विभागों में आपसी समन्वय से अरावली के सभी गांव में वन विभाग की नर्सरी स्थापित करने की आवश्यकता पर उन्होंने बल दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पेड़ मां के नाम अभियान का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि यह अभियान भी अरावली की श्रृंखला से ही प्रारंभ हुआ है। केंद्रीय मंत्री ने उद्घाटन सत्र से पहले पौधारोपण भी किया।
पौधारोपण की होगी तीन स्तरीय ऑडिट
प्रदेश के वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि पिछले वर्ष मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने हरियालो राजस्थान अभियान के तहत 7 करोड़ पौधे रोकने का लक्ष्य रखा था जिसे हासिल करते हुए लक्ष्य से अधिक पौधे रोपे गए। इस वर्ष 10 करोड़ पौधारोपण का लक्ष्य रखा गया है जिसे भी हासिल कर लिया जाएगा। पौधारोपण के बाद देखभाल के अभाव में पौधों के नष्ट हो जाने की शिकायतों को देखते हुए अब प्रदेश में त्रिस्तरीय ऑडिट करने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत प्रदेश में रोपे गए पौधों की दो सरकारी एवं एक निजी एजेंसी के माध्यम से ऑडिट करवाई जाएगी। इससे यह पता चल पाएगा कि कितने प्रतिशत पौधे जीवित रह पाए। आगे की कार्य योजना उसी के अनुरूप बनाई जाएगी।
अरावली ग्रीन वॉल परियोजना के तहत बनेगा बफर जोन
अतिथियों ने इस अवसर पर अरावली ग्रीन वॉल परियोजना का शुभारंभ किया। इसके तहत अरावली पर्वतमाला के दोनों तरफ पांच-पांच किलोमीटर का बफर जोन बनाया जाएगा जिसे ग्रीन प्रोजेक्ट एरिया नाम दिया गया है। इसके तहत मृदा नमी संरक्षण, जैव विविधता, पर्यावरण परिवर्तन, वेटलैंड संरक्षण, प्रोटेक्टेड एरिया आदि पर कार्य किया जाएगा। इसमें वन एवं गैरवान क्षेत्र को चिन्हित कर उसी अनुरूप कार्य योजना तैयार की जाएगी। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय सचिव तन्मय कुमार ने मॉनिटरिंग और रिव्यू पर बल देते हुए कहा कि इस कार्य में नवीन तकनीक का प्रयोग किया जाएगा।
पैनल डिस्कशन के तहत चारों राज्यों के हुए प्रेजेंटेशन
पैनल डिस्कशन सत्र के दौरान राजस्थान के प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरिजीत बनर्जी ने अरावली के तहत आने वाले 19 जिलों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने ट्री फार्मिंग को बढ़ावा देने के लिए नियमों में शिथिलता की आवश्यकता जताते हुए कहा कि वन क्षेत्र के बाहर भी पौधारोपण को बढ़ावा देकर ट्री फार्मिंग के माध्यम से लकड़ी की आवश्यकता पूर्ति एवं रोजगार सृजन का कार्य किया जा सकता है। उन्होंने वन उपज नहीं होने की वजह से बांस को इसके लिए उपयुक्त पौधा बताते हुए इसकी उपज बढ़ाने पर जोर दिया। सत्र के दौरान गुजरात के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक सी एच सानवानी, हरियाणा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक विनीत कुमार गर्ग एवं दिल्ली के एस एस कंपल ने भी अपने प्रेजेंटेशन दिए।
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