उदयपुर के अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण शिल्पकार इकबाल सक्का ने विश्व के सबसे लंबे भारतीय संविधान की विशेषताओं को गज़ल में लिखकर गुणगान किया है। विशेष बात तो यह है कि उन्होंने इन शायरियों को संविधान की प्रति के रूप में भी उकेरा है।
शिल्पकार इकबाल सक्का ने बताया कि आजादी की 75वीं वर्षगांठ और गणतंत्र दिवस के उपलक्ष में स्वर्ण शिल्पकार ने अपनी कला-कौशल के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि विश्व विख्यात संविधान के गौरव को सम्मान देने के लिए उन्होंने संविधान की विशेषताओं को गज़ल रूप में लिखने का प्रयास किया है।
120 पृष्ठों में लिखी संविधान की विशेषताएं
इकबाल सक्का के अनुसार, संविधान की गज़लमयी विशेषताओं को चर्मपत्र पर 120 पृष्ठों में 615 शायरियों के माध्यम से शब्दों में चित्रित किया गया है। इसके प्रथम पृष्ठ पर शीर्षक ‘संविधान-ए-गजल’ को चांदी के अक्षरों में लिखा है। उन्होंने बताया कि भारतीय मूल संविधान की तर्ज पर इस संविधान की गज़ल पुस्तिका का प्रत्येक पृष्ठ 58.4 सेमी ऊंचा व 47.7 सेमी चौड़ा है तथा वजन 13 किलो है। इसे मूल संविधान की तरह ही काली स्याही में लिखा गया है। इकबाल सक्का ने इसे विश्व का पहला और सबसे लंबा चर्मपत्र पर हस्तलिखित संविधान-ए-गजल होने का दावा किया है।
इस तरह लिखी हैं शायरियां
स्वर्ण शिल्पकार इकबाल सक्का ने मूल संविधान में लिखी इबारतों के मंतव्य का समावेश करते हुए गजल रूप में शायरियों केे माध्यम से प्रस्तुत किया है। ये शायरियां कुछ इस तरह हैंः
‘‘ इब्तिदा करता हूं मैं, पढ़कर संविधान हमारा।
लिख रहा हूं मैं गजल में, संविधान हमारा।।
हर धर्म व मजहब को, लगाने गले सिखाता।
प्रकृति पर्यावरण की हिफाजत का संविधान हमारा।।
दखल अंदाजी न होगी लेखनी-ए-कलम पर।
आजाद रही कलम आजादी का संविधान हमारा।।
प्यासा न रहे कोई भूखा न सोए कोई कभी।
सरकार को देता हुक्म संविधान हमारा।।
चरींदे हो या परिंदे रखा सबका ख्याल।
कुछ नहीं रखता कसर ऐसा संविधान हमारा।।"
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal