खारोल कॉलोनी में बच्चे पर आवारा कुत्तों का घातक हमला


खारोल कॉलोनी में बच्चे पर आवारा कुत्तों का घातक हमला

आमजन के पास कोई उपाय नहीं है। अस्पताल जाकर अपना इलाज करवाने और शररीर में रेबीज़ के इंजेक्शन लगवाने के अलावा कोई चारा नहीं।

 
Dog Attack

उदयपुर, 25 जून, 2025। आवारा कुत्तो ने शहर के लगभग हर गली मोहल्लो में आतंक बरपा रखा है।  कल शाम शहर के खारोल कॉलोनी के शिवबाड़ी इलाके में एक मासूम बच्चे पर 4-5 आवारा कुत्तो ने झुंड ने घातक हमला कर दिया। आवारा कुत्तो ने सिर्फ बार-बार बच्चे पर हमला किया बल्कि उसे जमीन पर घसीटा और उसे लहूलुहान और घायल अवस्था में छोड़ दिया। यहाँ तक बच्चे के हाथ पर कई बार काट कर बुरी तरह ज़ख़्मी कर दिया।   

इस घटना ने खारोल कॉलोनी के निवासियों को झकझोर कर रख दिया है। यह घटना उस सड़क पर हुई, जहाँ बच्चे आमतौर पर खेलते है और स्थानीय निवासियों की आवाजाही रहती है। उक्त घटना शहरी आवासीय क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा मुद्दे को उजागर करती है।

आमजन के पास क्या है उपाय ?
आमजन के पास कोई उपाय नहीं है। अस्पताल जाकर अपना इलाज करवाने और शररीर में रेबीज़ के इंजेक्शन लगवाने के अलावा कोई चारा नहीं। क्यूंकि न तो प्रशासन को कोई चिंता है न नगर निगम को कोई चिंता है।        

क्या पशु प्रेमी अब आएंगे आगे?

जब भी आवारा कुत्तो से बचने के लिए कोई आमजन पत्थर या डंडे से उसका मुकाबला करता है और उसका वीडियो सामने आता है तो तथाकथित पशु प्रेमी बिलबिला उठते है। यहाँ तक की नरभक्षी पैंथर को वन विभाग जब गोली मारने का आदेश देता है तब भी इन तथाकथित पशु प्रेमियों के पेट में मरोड़ उठ जाती है और तथाकथित पशु प्रेमी तुरंत हरकत में आ जाते है हालाँकि अधिकांश पशु प्रेमियों का प्रेम अख़बार में कतरन पाने और अपना फोटो छपवाने तक ही सीमित है। क्यों यह तथाकथित पशु प्रेमी उस समय व्यथित नहीं होते जब आवारा कुत्ते बच्चो, बुज़ुर्गो और राहगीरों को नोचते खरोंचते है ?

क्या नगर निगम की कोई ज़िम्मेदारी नहीं ?

नगर निगम में कई बार आवारा कुत्तो की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई जाती है (सिर्फ चिंता ही जताई जाती है, अब तक कुछ एक्शन होता हुआ तो शहरवासियों को नज़र नहीं आया)। नगर निगम ने कुछ संस्थाओ को आवारा कुत्तो की नसबंदी की ज़िम्मेदारी सौंप रखी है लेकिन न तो नगर निगम के पास कोई आंकड़ा है की साल में कितने आवारा कुत्तो की नसबंदी की गई, न ही आवारा कुत्तो की नसबंदी करने वाली संस्थाओ के पास लीपापोती के सिवाय कोई आंकड़ा है। 

 

प्रत्यक्षदर्शियो ने बताया की बच्चा सड़क पर खेल रहा था, तभी आवारा कुत्तों का एक झुंड उसके पास आया बच्चे को जमीन पर गिरा दिया, उसके हाथों पर कई बार काटा और उसके शरीर के कई हिस्सों पर गंभीर चोटें आई। पड़ोसियों के चिल्लाने के बावजूद, कुत्ते बेखौफ होकर बच्चे पर हमला करते रहे। यहां तक ​​कि जब लाठी-डंडों से लैस कुछ लोगो ने उन्हें भगाने का प्रयास किया तब भी कुत्तो के आक्रामक व्यवहार में कोई कमी नहीं आई हालाँकि चोटिल और खून से लथपथ बच्चे को आखिरकार बचा लिया गया। 

आमतौर पर जब कोई आवारा कुत्ता काटता है और वहां से भाग जाता है। लेकिन इस घटना में कुत्तों ने झुंड में शिकार करने जैसा व्यवहार किया। जो की   शहरी आवासीय क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा मुद्दे पर सवाल खड़े करती है।

इस घटना ने स्थानीय निवासियों को भयभीत कर दिया है। माता-पिता अब सवाल उठा रहे हैं कि क्या बच्चों के लिए बाहर खेलना सुरक्षित है। इस हमले ने उन बुजुर्गों की सुरक्षा को लेकर भी चिंताएँ बढ़ा दी हैं जो अक्सर उसी सड़क पर चलते हैं।

शहरी इलाकों में आवारा कुत्तों के हमले पहली बार नहीं हैं। जबकि कुत्तों को पशु कल्याण कानूनों के तहत संरक्षित किया जाता है, इस तरह की घटनाएँ आवारा कुतो की आबादी के प्रबंधन और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता हैं।

निवासियों के पास अब कई अनुत्तरित प्रश्न बचे हैं

आमजन यह कैसे सुनिश्चित कर सकता है कि ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों?

औपचारिक शिकायत दर्ज करने के लिए उन्हें किससे संपर्क करना चाहिए?

जबकि कुत्तों को अक्सर शहरी पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा माना जाता है, ज़िम्मेदारो को ऐसी घटनाओं पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। अधिकारियों को पशु कल्याण और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने के लिए कदम उठाना चाहिए। ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि इस तरह के खतरनाक हमले दोबारा न हों। इस बीच, समुदाय को सभी निवासियों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए सतर्क और सक्रिय रहना चाहिए।

To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on   GoogleNews |  Telegram |  Signal