हिन्दुस्तान ज़िंक द्वारा जावर क्षेत्र में विगत 10 वर्षो, वर्ष 2014 से 2024 तक सीएसआर के तहत् 112.82 करोड़ खर्च कर यहा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यही नहीं यहां कार्यरत 80 प्रतिशत कर्मचारी स्थानीय है जिनमे से 96 प्रतिशत आदिवासी है जो कि जावर माइंस में प्रत्यक्ष रूप से रोजगार से जुड़कर अपने परिवार को अच्छा जीवन देने में सक्षम हो रहे है। इस क्षेत्र में जावर माइंस से रोजगार में नियमित रूप से बढोतरी हो रही है पिछले 10 वर्षों में लगभग 4 हजार नये लोगो को रोजगार मिलें है। यहां के शिक्षित युवाओं जावर माइंस में रोजगार से जोड़ने के लिये कंपनी द्वारा हिंदुस्तान जिंक माइनिंग एकेडमी में उच्च तकनीक वाली खान मशीनरी पर प्रशिक्षण देकर कुशल बनाने हेतु प्रयास किये गये है।
हिन्दुस्तान जिंक द्वारा समाधान पहल के तहत, ड्रिप-सिंचाई सहित हाई-टेक कृषि प्रणाली की स्थापना के माध्यम से किसानों को सहयोग दिया गया है, 262 किसानों को स्मॉल प्लॉट खेती के माध्यम से समर्थन दिया है जिसके परिणामस्वरूप किसानों ने अपनी आजिविका को सक्षम बनाया है। स्वास्थ्य, जल और स्वच्छता से 37 हजार से अधिक ग्रामीण लाभान्वित हुए। वर्ष 2014 से 2024 तक हिन्दुस्तान जिंक ने स्वास्थ्य, जल और स्वच्छता पर लगभग 14 करोड़ खर्च किए हैं। वर्ष 2007 से, कंपनी गाँवों को पेयजल उपलब्ध करा रही हैं।
जावर में वर्ष 2009 से दूरदराज के गांवों में नियमित रूप से चिकित्सा शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। इसके अलावा नेवातलाई, सिंघटवाड़ा, टिडी,जावर, चणावदा, भलाडिया, अमरपुरा एवं पाडला में शैक्षणिक संस्थानों, सीसी सड़कों, श्मशान घाटों, सार्वजनिक पुस्तकालयों, शौचालय निर्माण, सामुदायिक हॉल, रिटेनिंग वॉल आदि का निर्माण एवं जिर्णोद्धार किया गया।
वेदांता समूह द्वारा हिन्दुस्तान जिंक के अधिकग्रहण के बाद आदिवासी बहुल्य क्षेत्र जावर में जावर माइंस आर्थिक रीढ़ बन कर उभरा है। जावर माइंस के आस पास के क्षेत्र के कुशल एवं अकुशल लोगो को खदान एवं अन्य कार्यो में रोजगार के साथ ही कंपनी द्वारा सीएसआर परियोजनाओं से भी अभूतपूर्व लाभ हुआ है। हिन्दुस्तान जिंक द्वारा जावर क्षेत्र में संचालित शिक्षा संबल, ऊंची उड़ान, सखी परियोजना, समाधान जैसी पहलों के तहत 65 हजार से स्थानिय लोग लाभान्वित हुए है।
जावर के दूर दराज आदिवासी क्षेत्र में शिक्षा संबल परियोजना से 1,800 से अधिक छात्र जिनमें ज्यादातर पहली पीढ़ी के शिक्षार्थी लाभान्वित हुए, वही ऊंची उड़ान पहल के माध्यम से 9 छात्रों ने प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश पाने में कामयाबी हांसिल की जो इस क्षेत्र के लिये उल्लेखनीय उपलब्धी है। विगत 3 वर्षों में हिन्दुस्तान जिंक ने जावर के आदिवासी क्षेत्र से 67 छात्राओं को उच्च शिक्षा के लिए सहायता प्रदान की है। हिन्दुस्तान जिंक के शिक्षा संबंल कार्यक्रम के तहत् विद्या भवन के सहयोग से शिक्षक नियुक्त कर उच्च माध्यमिक कक्षा के विद्यार्थियों को गणित, विज्ञान एवं अंग्रेजी विषयों हेतु कक्षाओं से लाभान्वित किया जा रहा है।
महिला सशक्तिकरण के लिए सखी पहल के माध्यम से और 400 स्वयं सहायता समूहों एवं 5,000 ग्रामीण महिलाओं को लाभ हुआ। 300 से अधिक महिलाओं को परिवार आधारित आजीविका कार्यक्रम में रु. 3.73 करोड़ राशि के ऋण के माध्यम से व्यवसायिक पहल शुरू करने में सहायता मिली। इसके अलावा, सखी सदस्यों को निजी साहूकारों के शिकार होने से बचाने के लिए कम ब्याज वाले रु. 2.80 करोड़ राशि के बैंक ऋण प्राप्त करने में भी सहायता की गई है। विगत 3 वर्षों में 10 किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक चिकित्सालयों की कमी को दूर करते हुए 28,000 से अधिक ग्रामीणों को लाभ पहुँचाया।
शुद्ध पेयजल की कमी वाले क्षेत्रों में 1,000 ग्रामीणों को टैंकरों के माध्यम से पेयजल उपलब्ध कराया। सतत आजीविका के तहत् 1,017 एकड़ से अधिक भूमि को समाधान परियोजना के माध्यम से जावर क्षेत्र के 2,200 से अधिक किसानों को लाभ मिला। गाँव की सड़कों को रोशन करने और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए 44 सौर स्ट्रीट लाइट लगाई गईं। विगत 10 वर्षो में इस क्षेत्र में हरियाली को बढ़ाने हेतु 1 लाख से अधिक वृक्षारोपण किया गया। जावर माइंस में संचालित कैप्टिव पाॅवर प्लांट से आस पास के क्षेत्र में बिजली आपूर्ति में महत्वपूर्ण सहयोग किया जा रहा है।
कम्पनी ने ज़ावर में 1976 में फुटबाॅल स्टेडियम स्थापित किया था। पिछले 37 वर्षो से हर साल राष्ट्रीय फुटबाॅल टूर्नामेन्ट का आयोजन जा़वर स्टेडियम में पूर्व इस्पात और खान मंत्री स्वर्गीय श्री मोहन कुमार मंगलम की स्मृति में किया जाता है। जिंक फुटबॉल राजस्थान में फुटबॉल क्रांति हेतु वेदांता-हिंदुस्तान जिंक की पहल है, जिसका उद्धेश्य ग्रामीण फुटबाॅल प्रतिभाओं को मंच प्रदान करना है। जिंक फुटबॉल अकादमी जावर, उदयपुर में एक पूर्ण विकसित आवासीय अकादमी है, जिसमें विश्व स्तर की सुविधाएं और देश का पहला प्रौद्योगिकी से जुड़ा फुटबॉल प्रशिक्षण अद्वितीय एफ-क्यूब तकनीक है। 2017 में स्थापित, जिंक फुटबॉल अकादमी अंडर-19, अंडर-17 और अंडर-14 खिलाडियों को प्रशिक्षित कर रही है, जिसका लक्ष्य उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्लेटफार्मों पर भारत का प्रतिनिधित्व कराना है। इसके अलावा, हिंदुस्तान जिंक, जावर माइंस, डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउण्डेशन ट्रस्ट, डीएमएफटी में हर साल लगभग 100 करोड़ देने के साथ ही सरकार को प्रतिवर्ष 450 करोड रूपयें की राॅयल्टी का योगदान देता है।
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