उदयपुर। सोमवार को उदयपुर के ऋषभदेव इलाके की एक दलित महिला उसके बच्चों को दलित बताकर स्कूल के प्रिंसिपल द्वारा निकले जाने की शिकायत लेकर कलेक्टरी पहुंची जहां उसने एसपी भुवन भूषण और ज़िला कलेक्टर अरविन्द पोसवाल से इस मामले को लेकर एक पत्र सौंपते हुए प्रिंसिपल के खिलाफ कार्यवाही की मांगी और और उसके बच्चों को पुनः स्कूल में एडमिशन देने की गुहार लगाई।
इलाके के कृष्णा घाट की रहने वाली पीड़ित महिला दुर्गा देवी मेघवाल ने एसपी और कलेक्टर से मुलाक़ात करते हुए कहा की उसके 4 बेटे हैं जो की ऋषभदेव इलाके के श्री केसरिया जी गवर्नमेंट सीनियर सेकंडरी स्कूल में पिछले कई सालों से पढ़ते आ रहे है, उसका बड़े बेटे ने 10th क्लास पास की है और 11th में एडमिशन लिया तो वही छोटा बेटा 9th क्लास में आ गया है। जब वह एडमिशन दिलाने के लिए स्कूल गई तो स्कूल के नए प्रिंसिपल प्रकाश मण्डावत ने उन्हें स्कूल से निकाल दिया और कहा की वह उनके जाति के किसी भी बच्चे को एडमिशन नहीं देंगे।
महिला का कहना है की जब वह सम्बंधित थाने में इस बात की शिकायत ले कर गई तो थानाधिकारी ने भी प्रिंसिपल को बच्चों के माता-पिता से बातचीत कर के बच्चों को एक बार फिर स्कूल में आने देने की बात कही लेकिन महिला का आरोप है की उन्होंने नहीं सुनी।
इसी के चलते माहिला अपने बच्चों के साथ सोमवार को कलेक्ट्री पहुंची और अला अधिकारीयों से इस मामले लेकर संज्ञान लेने की गुहार लगाई।
इस मामले में जब ज़िला कलेक्टर अरविन्द पोसवाल से बात की गई तो उन्होंने कहा की वैसे तो ऐसा किसी भी टीचर द्वारा करना संभव तो नहीं है, लेकिन फिर भी महिला की शिकायत को गंभरता से लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा इस मामले की जाँच करवा ली जाएगी और अगर जाँच के दौरान प्रिंसिपल दोषी पाया जाएगा तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
तो वही एसपी भुवन भूषण ने भी इस मामले में इलाके के थानाधिकारी को मामले की सही से जाँच कर रिपोर्ट देने की बात कही है और दोषी पाए जाने पर मामला दर्ज कर कार्यवाही की बात कही है।
जिला मुख्य शिक्षा अधिकारी आशा माण्डावत का कहना है की मामले की जानकारी मिल गई है, इसको लेकर सम्बंधित स्कूल के प्रिंसिपल से बात की जाएगी और अगर उनके खिलाफ महिला द्वारा लगाए गए आरोप सिद्ध होते है तो कार्यवाहु भी की जाएगी।
तो वहीं दूसरी ओर जब इस पुरे मामले को लेकर स्कूल के प्रिंसिपल प्रकाश कुमार से उन पर महिला द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इन सभी आरोपों से साफ़ इंकार करते हुए कहा की सभी आरोप झूठे है, उन्होंने कहा की दरअसल यह स्कूल काफी विवादित है, उन्होंने 4 महीने पहले ही प्रिंसिपल के रूप में यहां ज्वाइन किया था, तब से अब तक कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, स्कूल में आए दिन चोरियां होती है, थाने में चोरी की शिकायत की तो अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। दूसरी ओर जब उन्होंने अपने लेवल पर चोरी का पता करने का प्रयास किया तो पता चला की इस चोरियों में स्कूल के कुछ बच्चे शामिल है, जिनमे इस महिला के बच्चे भी है, जब इनको रंगे हाथों गेहूं के कट्टे चुराते हुए पकड़ा और पुलिस थाने ले जाया गया तो पुलिस ने भी आधे घंटे में उन्हें छोड़ दिया। तभी स्कूल में डिसिप्लिन कायम करने के लिए ये फैसला उन्होंने लिया, लेकिन इन बच्चों को न ही स्कूल से हमेशा के लिए निकला गया है और न ही टीसी दी गई है, प्रिंसिपल का कहना है की बस उन्हें कुछ दिन के लिए स्कूल नहीं आने दिया जाएगा ताकि उन्हें एक सबक मिल सके और वह भविष्य में ऐसी हरकतें फिर न करें।
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