दाऊदी बोहरा समुदाय के 53वें आध्यात्मिक नेता के रूप में सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन की स्थिति को चुनौती देने वाले मुकदमे में बॉम्बे हाई कोर्ट ने दाऊदी बोहरा समुदाय के 53वें आध्यात्मिक नेता के रूप में सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन की स्थिति को चुनौती देने वाला मुकदमा खारिज कर दिया।
दस साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, बॉम्बे हाई कोर्ट ने सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन के भतीजे ताहिर फखरुद्दीन के दावे को खारिज करते हुए उनके "दाई-अल-मुतलक" या दाऊदी बोहरा समुदाय के धार्मिक नेता के पद को बरकरार रखा है। बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस जीएस पटेल ने आज फैसला सुनाते हुए फखरुद्दीन की याचिका खारिज कर दी।
सैयदना उत्तराधिकार विवाद आज बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के बाद थम गया। नौ साल तक चलने वाले इस केस में फैसले को अप्रैल 2023 में सुरक्षित रखा गया। इस केस की अंतिम सुनवाई नवंबर 2022 में शुरू हुई और अप्रैल 2023 में समाप्त हुई।
आपको बता दे कि 2014 में 52वें सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन का निधन हो गया और उनके बेटे मुफद्दल सैफुद्दीन 53वें सैयदना बने। सैयदना बुरहानुद्दीन के सौतेले भाई खुजैमा कुतुबुद्दीन ने सैफुद्दीन के उत्तराधिकार को चुनौती देते हुए दावा किया कि सैयदना बुरहानुद्दीन ने 1965 में गुप्त रूप से उन्हें उत्तराधिकार की आधिकारिक घोषणा 'नस' प्रदान की थी। खुजैमा कुतुबुद्दीन ने दावा किया कि सैफुद्दीन ने फर्जी तरीके से सैयदना का पद संभाला था।
खुजैमा कुतुबुद्दीन ने दावा किया कि 1965 में सैयदना मोहम्मद बुरहानुद्दीन के दाई बनने के बाद, उन्होंने 10 दिसंबर, 1965 को माज़ून की घोषणा से पहले, सार्वजनिक रूप से खुजैमा कुतुबुद्दीन को माज़ून (दाई के बाद दूसरा सर्वोच्च पद) के रूप में नियुक्त किया था और एक गुप्त नस के माध्यम से निजी तौर पर उन्हें अपने उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किया था।
खुजैमा कुतुबुद्दीन का वर्ष 2016 में निधन हो गया, जिसके बाद उनके बेटे ताहिर फखरुद्दीन ने कानूनी लड़ाई जारी रखी और 54वें दाई के रूप में मान्यता मांगी। फखरुद्दीन ने दावा किया कि उनके पिता खुजैमा कुतुबुद्दीन ने उन्हें 'नस' की थी।
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