उदयपुर 8 जनवरी 2025 । बिजनेस सर्कल इंडिया टूरिज़्म के चार्टर अध्यक्ष यशवर्धन राणावत ने राजस्थान सरकार के देवस्थान व पशुपालन कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत, मुख्यमंत्री राजस्थान, जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल, देवस्थान आयुक्त वासुदेव मालावत व देवस्थान सहायक आयुक्त जतीन गांधी को पत्र लिखकर ऐतिहासिक उदयश्याम मंदिर परिसर में हो रहे अव्यवस्थित और अनुचित निर्माण कार्यों पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। इस पत्र को केंद्रीय पर्यटन मंत्री को भी प्रेषित किया गया है।
अनुचित निर्माणों पर चिंता व्यक्त करते हुए पत्र में उल्लेख किया गया है कि उदयश्याम मंदिर परिसर, जो पिछोला झील के किनारे स्थित है, न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि उदयपुर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी है। मंदिर के उत्तर-पूर्व कोने में रसोई का निर्माण और गर्भगृह के निकट शौचालय का निर्माण वास्तुशास्त्र, सनातन परंपराओं और सांस्कृतिक मानदंडों के विपरीत है। इससे पर्यटन और धरोहर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इस तरह के निर्माण कार्य न केवल मंदिर की आध्यात्मिकता को क्षति पहुंचा रहे हैं, बल्कि उदयपुर के पर्यटन और उसकी प्रतिष्ठा पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं।
बीसीआई टूरिज़्म चार्टर अध्यक्ष यशवर्धन राणावत ने कहा कि इस प्रकार की संरचनाएं न केवल श्रद्धालुओं और पर्यटकों को हतोत्साहित करती हैं, बल्कि मंदिर की वास्तुकला और पवित्रता पर भी आघात करती हैं। इससे वास्तुअनुरूप मंदिर का पूरा वायुमंडल खराब होता है ।
सभी एसोसिएशन सदस्यों और संगठनों का समर्थन मिला
बिजनेस सर्कल इंडिया टूरिज़्म के संस्थापक मुकेश माधवानी, अध्यक्ष विप्लव कुमार जैन, होटल एसोसिएशन उदयपुर के अध्यक्ष सुदर्शन देव सिंह कारोही, मेवाड़ क्षत्रिय महासभा संस्थान के अध्यक्ष बालू सिंह कानावत और शहर कार्यकारिणी अध्यक्ष चंद्रवीर सिंह करेलिया ने पूर्ण समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हिंदू मंदिरों की मूल संरचना को बनाए रखने के लिए इस प्रकार की जल्दबाजी में किए गए निर्माण कार्यों को हटाना अत्यंत आवश्यक है। इससे मंदिर की गरिमा बनी रहेगी और श्रद्धालुओं की भावना को ठेस नहीं पहुंचेगी ।
पर्यटन और धरोहर के प्रति समर्पण पूर्णरूप से समर्पित यशवर्धन राणावत ने कहा कि वह पर्यटन के हितधारकों के साथ पर्यटन विकास हेतु सनातन संस्कृति, और मेवाड़ की समृद्ध धरोहर की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने आग्रह किया कि उदयपुर के सभी मंत्री और प्रशासन इन संगठनों के प्रयासों को गंभीरता से लें और इसे ‘विजन 2047’ के साथ समन्वित कर उदयपुर के समग्र विकास व ख़ास तौर पर पर्यटन हित के लिए कार्य करें।
राणावत ने पत्र में आग्रह के साथ समाधान भी सुझाए । उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं ; उत्तर-पूर्व कोने में रसोई के निर्माण को तत्काल रोका जाए। शौचालय को मंदिर परिसर से बाहर स्थानांतरित किया जाए। भविष्य में मंदिर संबंधी निर्णयों में वास्तु और धरोहर विशेषज्ञों की राय ली जाए। प्रसाद को बनाने हेतु कीचन व शौचालय बाहर किराये पर कमरा लेकर वहाँ स्थानांतरित किया जाए । किसी भी ग़लत निर्माण से मंदिर की वास्तु, आभा व श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचे । इसी संदर्भ में देवस्थान सहायक आयुक्त जतीन गांधी से देवस्थान कार्यालय में मुलाकात व चर्चा हुई, जिसमें उनके द्वारा सही कार्य करने का व शीघ्र उचित निर्णय का आश्वासन दिया गया ।
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