पर्यटन क्षेत्र में गंदगी का दाग


पर्यटन क्षेत्र में गंदगी का दाग

उदयपुर सिटी पैलेस के पास नाव घाट रोड पर सार्वजनिक शौचालय बदहाल

 
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उदयपुर 4 मार्च 2025। सिटी पैलेस के पास नाव घाट रोड पर स्थित सार्वजनिक शौचालय की बदहाल स्थिति से स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों परेशान हैं। यह इलाका देसी व विदेशी पर्यटकों की भारी आवाजाही वाला है, लेकिन यहां स्वच्छता की बेहद दयनीय स्थिति बनी हुई है। दुर्गंध, गंदगी और रखरखाव की कमी से यह स्थान उपयोग करने योग्य नहीं रह गया है, जिससे उदयपुर की पर्यटन छवि प्रभावित हो रही है। स्थानीय नागरिकों और पर्यटन क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को इस समस्या पर तुरंत ध्यान देना चाहिए और पारंपरिक निर्माण के बजाय आधुनिक मोबाइल शौचालय की व्यवस्था करनी चाहिए।

परंपरागत निर्माण असफल, आधुनिक मोबाइल शौचालय ही समाधान

होटल एसोसिएशन उदयपुर के उपाध्यक्ष और एंटी करप्शन और क्राइम कंट्रोल कमेटी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पर्यटन विशेषज्ञ यशवर्धन राणावत ने कहा कि ‘’शहर में सार्वजनिक शौचालयों की स्थिति बेहद खराब है। बार-बार बनने और टूटने वाले घटिया निर्माण कार्य सरकारी धन की बर्बादी के सिवा कुछ नहीं है। सिटी पैलेस के पास जो हालात हैं, वह उदयपुर जैसे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के लिए बेहद शर्मनाक हैं। इसका स्थायी समाधान यह है कि पारंपरिक ईंट-सीमेंट के निर्माण के बजाय आधुनिक मोबाइल शौचालय लगाए जाएं, जिन्हें आवश्यकतानुसार आसानी से बदला और मेंटेन किया जा सके।”

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उन्होंने सुझाव दिया कि इन स्मार्ट शौचालयों में स्वच्छता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए Gpay (जीपै) या अन्य डिजिटल भुगतान प्रणाली को जोड़ा जाए, जिससे कैशलेस ट्रांजैक्शन हो और कोई भ्रष्टाचार न हो। इन पर रखरखाव के लिए नाममात्र उचित शुल्क देय हो। राणावत ने इसी बाबत ज़िला कलेक्टर, नगरनिगम प्रशासन और सरकार को पत्र भी लिखा है।

सरकारी तंत्र की सुस्ती पर सवाल

एंटी करप्शन और क्राइम कंट्रोल कमेटी की मीडिया सेल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन जैन ‘पद्मावत’, ने प्रशासनिक लापरवाही पर नाराजगी जताते हुए कहा “उदयपुर के पर्यटन स्थलों पर सुविधाओं की कमी का मुद्दा लंबे समय से बना हुआ है। प्रशासन सिर्फ दिखावटी योजनाएं बनाकर कागजी घोड़े दौड़ाता है, लेकिन धरातल पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। सिटी पैलेस के पास हजारों पर्यटक रोज आते हैं, लेकिन वहां साफ-सुथरे शौचालय तक उपलब्ध नहीं हैं। अगर सरकार सच में पर्यटन को बढ़ावा देना चाहती है, तो उसे तुरंत प्रभाव से स्मार्ट और स्वच्छ टॉयलेट यूनिट्स लगाने की योजना बनानी चाहिए।”

व्यवस्था में पारदर्शिता और स्थायित्व की मांग

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सुरक्षा संगठन के संभागीय अध्यक्ष विकास गौड़ ने इस मुद्दे पर कहा कि किसी भी स्मार्ट सिटी की पहचान वहां की बुनियादी सुविधाओं से होती है। अगर सार्वजनिक शौचालय तक उपयोग करने योग्य नहीं हैं, तो सरकार की योजनाओं पर सवाल उठना स्वाभाविक है। यह मानवाधिकार का बहुत ज्वलंत मुद्दा है, शौच व्यक्ति की आम जरूरत है, यह साफ़ सुथरी सुविधा मुहैया कराना प्रशासन की जिम्मेदारी है।”

उदयपुर गाइड यूनियन के अध्यक्ष  दिग्विजय सिंह कांकरवा ने भी सहमति जताते हुए कहा “हम हमेशा पर्यटन विकास की बातें करते हैं, लेकिन मूलभूत जरूरतों को नजरअंदाज कर देते हैं। बिना साफ-सुथरे सार्वजनिक शौचालयों के पर्यटन उद्योग की बेहतरी संभव नहीं है। प्रशासन को बिना देर किए इस दिशा में कदम उठाने चाहिए और स्मार्ट टॉयलेट की व्यवस्था करनी चाहिए।”

समाधान के लिए एकजुटता जरूरी

यह स्पष्ट है कि शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं की कमी अब चिंता का विषय बन चुकी है। स्मार्ट मोबाइल शौचालयों का सुझाव न केवल व्यवहारिक है, बल्कि इससे पर्यटकों को बेहतर अनुभव मिलेगा और शहर की स्वच्छता भी बनी रहेगी। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस समस्या को कितनी गंभीरता से लेता है और कब तक ठोस कदम उठाता है।

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