डॉ मन्नालाल रावत ने संवैधानिक हक से वंचित जनजातियों की आवाज संसद में उठाई
नियम 377 के अधीन सूचना के तहत डीलिस्टिंग की आवाज संसद तक पहुंचाई
उदयपुर 21 जुलाई 2025। सांसद डॉ मन्नालाल रावत ने भारत की 720 जनजातियों की हक की आवाज सोमवार को संसद में उठाई। लगभग 60 सालों से चल रहे डीलिस्टिंग के मामले को सांसद डॉ मन्नालाल रावत ने सोमवार को फिर से संसद में उठाया और 1950 से संवैधानिक हक से वंचित मूल संस्कृति वाली अनुसूचित जनजातियों को उनका हक देने की मांग की।
सांसद डॉ मन्नालाल रावत ने लोकसभा का मानसून सत्र चालू होने के पहले ही दिन नियम 377 के अधीन सूचना के तहत 50 सालों से चल रहे डीलिस्टिंग के मामले को प्रमुखता से उठाया। सांसद डॉ रावत ने कहा कि डिलिस्टंग अनुसूचित जनजातियों की परिभाषा से संबंधित एक अत्यंत संवेदनशील विषय है। संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों की पहचान और अधिसूचना का अधिकार राष्ट्रपति को प्राप्त है और इसी के अंतर्गत वर्ष 1950 में एक अधिसूचना जारी कर अनुसूचित जनजातियों की सूची तैयार की गई थी। किंतु इस अधिसूचना में अनुसूचित जातियों की परिभाषा एवं प्रावधानों की भांति मूल संस्कृति छोड़ धर्मान्तरण करने वाले माइनोरिटी व्यक्ति को अनुसूचित जनजाति में अपात्र करने का प्रावधान नहीं है। इस बात का कई बार खुलासा हो चुका है कि जनजातियों के कुछ व्यक्ति अपनी मूल संस्कृति एवं रूढ़ीवादी परंपराओं को त्यागकर ईसाई या इस्लाम मजहब अपना चुके हैं, किंतु फिर भी वे लोग अनुसूचित जनजाति के संवैधानिक लाभ उठा रहे हैं, क्योंकि संविधान में अनुसूचित जाति के लिए तो प्रावधान कर दिए गए, लेकिन अनुसूचित जनजाति को इससे अछूता रखा गया। इससे मूल जनजातीय समाज को मिलने वाले संवैधानिक लाभ, छात्रवृतियां, नौकरियों में आरक्षण एवं विकास की राशि के हक छीने जा रहे हैं।
सांसद ने आग्रह किया कि अनुसूचित जातियों की भांति ही एक सुस्पष्ट विधिक प्रावधान बनाकर यह सुनिश्चित किया जाए कि जो व्यक्ति धर्मान्तरित होकर जनजातीय पुरखों की पहचान से बाहर हो गए हैं, कानूनन वे अल्पसंख्यक हो गए हैं, उन्हें अनुसूचित जनजातियों की श्रेणी से बाहर किया जाए। यह विधान संविधान की भावना, सामाजिक न्याय, विकास एवं जनजातीय अधिकारों की रक्षा के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।
1970 के दशक में उठा था मामला
सांसद डॉ रावत ने कहा कि स्मरण रहे कि 1970 के दशक में लोकसभा के 348 सांसदों ने एससी के तर्ज पर एसटी में परिभाषा को लेकर कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता डॉ कार्तिक उरांव के नेतृत्व में लोकसभा में प्रस्तुत डीलिस्टिंग बिल के समर्थन में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पत्र लिखा था।
डॉ कार्तिक उरांव का सपना पूरा करेंगे रावत
जनजाति सुरक्षा मंच के राजस्थान संयोजक लालू राम कटारा ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि डीलिस्टिंग का मुद्दा 1970 से चल रहा है। मंच ने इसको लेकर कई रैलियां और आंदोलन किए हैं। मंच प्रयासरत है और सांसद मन्नालाल रावत ने इस मामले को फिर से संसद में रखकर बेहतरीन कदम काम किया है। वे डॉ कार्तिक उरांव का सपना पूरा करेंगे। कांग्रेस का अलग एजेंडा हो सकता है, लेकिन सामाजिक विषय है। इस पर कांग्रेस नेताओं को भी आगे आना चाहिए था।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal
