बुजुर्ग महिला को अपनों ने ही घर में कैदी बनाकर रखा था


बुजुर्ग महिला को अपनों ने ही घर में कैदी बनाकर रखा था

3 दिन से कमरे में बंद कर दिया और जब आग लगी तो लोगों ने खिड़कियां तोड़कर बुजुर्ग महिला को बाहर निकlलl

 
old aged people become victim

उदयपुर। समाज को शर्मसार करने की घटना जिसके खिलाफ पूरा अग्रवाल समाज एकजुट हो गया। समाज की एक 80 साल की बुजुर्ग महिला को कई दिनों से अपने ही घर में अपने ही बेटे बहु द्वारा कैदी बनाकर रखा गया था। बुजुर्ग महिला किसी से भी बात नहीं कर सकती आस पड़ौस के लोग वृद्ध महिला की बहू संगीता की गालियों और अपमान से इतना डरते थे कि कोई भी बोलने की हिम्मत नहीं करता था। 

यहीं नहीं बेटे ने पिता के मरने के बाद पहले सारी संपत्ति अपने नाम कराई और फिर नेचुरल डेथ घोषित कर दिया यह घटना उदयपुर के अग्रसेन नगर मकान नंबर 29, की है जहाँ बुजुर्ग महिला अगर लोगों से सहायता मांगती थी तो अंदर ले जाकर बेटे बहु और पौते पौती मारपीट करते थे बाहर के लोग सहायता के लिए आगे आते तो उनको खूब गाली-गलौज करते थे। तो कोई भी आने की हिम्मत नहीं करता था । 

बुजुर्ग महिला को 4 से 5 दिन तक बिना खाना खाए एक ही कमरे में बंद कर रखा था। चार-चार दिन तक ताला लगाकर संगीता, उसका पति  ज्योति प्रकाश और पुत्र-पुत्री अकेली बुजुर्ग महिला को अंदर छोड़कर चले जाते थे। चार-चार दिन तक वह ना तो खाना खाती थी और ना कोई उसकी सुध ले सकता था और अपने घर की ऊंची-ऊंची दीवारें खड़ी कर दी जिससे कोई भी यह देख नहीं सके, ना ही मां अपने मन की दुख भरी कथा किसी को कह सके और ना ही मां किसी पड़ोसी को बता सके। 

बुजुर्ग दंपति के तीन लड़कियां और है पर वह अपने घर में पैर भी नहीं रख सकती । बेटी और जवाई अगर मिलने आते है तो उन्हें धक्के मार कर घर से निकाल दिया जाता है। अब तो बेटियों ने और जवाईयों ने आना भी बंद कर दिया है। यहाँ तक की पिता की मौत में वह एक दिन आए, वह भी पड़ोसियों के यहां रुक कर उन्होंने अपने पिताजी का अंतिम संस्कार देखा सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह घटना 20 साल से चल रही है और कई बार सूरजपोल पुलिस थाने में उनकी शिकायत भी कराई पर आपसी समझौते से यह बात बंद कर दी जाती थी।

पर अब तो अति हो गई जब वृद्ध महिला को 3 दिन से कमरे में बंद कर दिया और जब आग लगी तो लोगों ने खिड़कियां तोड़कर बुजुर्ग महिला को बाहर निकlलl जब पता चला कि बुजुर्ग महिला ने तीन दिन से ना तो चाय पी रखी थी ना ही कुछ खा रखा था। पड़ोसियों ने उनको सबसे पहले चाय पिलाई और उनको सांत्वना दी क्योंकि वो बहुत डर गई थी और घर से बाहर लेकर आए पर उसमें भी बहू और बेटे ने दरवाजे बंद कर लिए लेकिन जब पर पूरा समाज एक हो गया तो उनकी दाल नहीं गली और अब बुजुर्ग महिला को अभी तारा संस्था में ले जाया गया है। 

वहां पर भी यह चारों जने महिला को घर लाने के लिए उकसा रहे हैं कि वह घर पर आ जाए जिससे कि वह जेवर वगैरा भी वह अपने नाम कर ले और जब बेटे बहु अपनी मां को मारते हैं तो पोते पोती भी साथ में मिल कर मारते हैं और गाली गलौज करते हैं। इस परिवार की हरकत से पोती की सगाई भी टूट गई। जब उनके ससुराल वालों को पता चला कि यह इस तरह अपने दादा-दादी के साथ में बुरा व्यवहार करते हैं तब से उसने सगाई तोड़ दी । 

जब भी कोई नौकर आता है तो उसको भगा देती है और गालियां बकती है जिससे कोई भी नौकर महिला का काम नहीं कर सके। वृद्ध महिला इतनी सक्षम नहीं है कि वह अपने हाथ से खाना बना सके या बर्तन धो सके, झाड़ू पोछा कर सके, पड़ोसियों ने भी कई बार समझौता करlने की कोशिश की कि अगर आपसे भोजन नहीं दिया जाता है तो पड़ोस के लोग इनकी बंदी बांध देंगे और कोई ना कोई कुछ ना कुछ दे देगा पर संगीता ने सबको गाली गलौच करके बाहर निकाल दिया और धक्के मार दिए और किसी की हिम्मत नहीं है कि वह संगीता के आगे बोल सके। 

इस पूरे खेल में सबसे ज्यादा हाथ संगीता का है और वह ही अपने पति को उकसाती करती है अपने बेटी और बेटे को पूरा इस तरह से बना रखा है कि वह अपने दादा-दादी को गंदे से गंदे शब्द बोले जब सर्दी होती है तो धूप में भी उनके दादाजी नहीं बैठ सकते थे और आस पड़ोस वाले न्यूजपेपर देते थे ताकि उनका थोड़ा समय पास हो तो वह न्यूज़ पेपर भी नहीं देने देती।  कपड़े धोने के लिए सिर्फ साबुन भी नहीं दिया जाता। 

जब आग लगी तो बुजुर्ग महिला को खिड़की तोड़कर बाहर निकlला गया तब आस पड़ोस के सभी लोग इकट्ठा हो गए । सभी आस-पास वालों ने चाय पिलाई तो पता चला उन्होंने तीन दिन बाद में चाय पी और 4 दिन से खाना भी नहीं खाया था । तब धीरे-धीरे लोगों ने उनका खाना भी दिया जिससे उनकी तबीयत ज्यादा खराब न हो जाए और अंत में उनको तारा संस्था में डाला गया। 

अब चारों संगीता, ज्योति प्रकाश, लवीना और कार्तिक चारों तारा संस्था जाकर बार-बार बुजुर्ग महिला को बहला फुसलाकर वापस अपने घर लेकर आना चाहते हैं ।  जिससे उसका जो बचा हुआ जेवर है वह भी हथियाना चाहते हैं लेकिन महिला अब किसी भी हालत में अपने घर नहीं आना चाहती है और इसके लिए ज़िम्मेदारो को चाहिए कि इस मामले में एक्शन ले सके एडीएम सिटी सबको बहुत आगे चलकर इस पर कदम उठाना चाहिए । ताकि दूसरे जो और बच्चे हैं वह अपनी मां-बाप के साथ इस तरह से ना कर सके क्योंकि यह एक शर्म की बात है कि समाज में रहकर भी जो चीज हो रही है और हम उसको नजरअंदाज कर रहे हैं यह सबसे शर्म की बात है क्योंकि जब यह पारिवारिक मामला होता है तो कोई भी बीच में नहीं बोल सकता है पर जब नहीं बोल सकते हैं तो फिर समाज में रहने का मतलब ही क्या है ?

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