उदयपुर, 4 फरवरी 2024। रविवार को शिल्पग्राम के दर्पण सभागार में पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर द्वारा आयोजित मासिक नाट्य संध्या ‘रंगशाला’ में ‘एनिमी ऑफ द पीपल’ नाटक का मंचन किया गया।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर के निदेशक मो. फुरकान खान ने बताया कि माह के प्रथम रविवार को आयोजित होने वाले मासिक नाट्य संध्या रंगशाला के तहत 'एनिमी ऑफ द पीपल’ नाटक हेनरिक इब्सन द्वारा लिखित एवं प्रसिद्ध कवि और लेखक नेमीचंद जैन द्वारा रूपांतरित नाटक का मंचन किया गया। यह एक यथार्थवादी नाटक है जो भ्रष्टाचार से एकल युद्ध छेड़ने वाले नायक की कहानी को बयां करती है।
योगेन्द्र सिंह परमार द्वारा निर्देशित नाटक नायक डॉ. अभय कुमार के इर्द-गिर्द घूमता है। जो समाज और देश की भलाई के लिए समर्पित एक ईमानदार व्यक्ति है। यह नाटक समाज का कड़वा सच बयां करती एक कहानी है। इस नाटक में 24 कलाकारों ने भाग लिया।
इस अवसर पर केंद्र के पूर्व अतिरिक्त निदेशक एच. एल. कुणावत, पूर्व कार्यक्रम अधिकारी विलास जानवे एवं प्रसिद्ध मूर्तिकार हेमंत जोशी ने सभी कलाकारों को सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन सिद्धांत भटनागर ने किया।
इस नाटक की पटकथा
इस नाटक का केंद्रीय पात्र अभय कुमार एक सच्चा ईमानदार आदमी है जो समाज की भलाई के लिए हमेशा तैयार रहता है। उन्होंने रिसर्च किया है कि उनकी कॉलोनी का पानी दूषित है। जब वह इस खबर को जनता के सामने लाना चाहता है तो उसका भाई निर्भय कुमार उसे राजनीति और मीडिया के चंगुल में फंसा कर जनता का दुश्मन घोषित कर देता है।
सबसे मजबूत इंसान वह है जो अकेला खड़ा होता है
नाटक में दिखाया जाता है कि डॉ. अभय कुमार अपने इलाके में फैली महामारी पर जांच करते हुए पाते हैं कि शहर के मुख्य जलस्रोत का पानी दूषित है और बीमारियों का घर है। चमड़ा उद्योग से निकला गंदा पानी मिलने से यह पानी विषाक्त बन गया है जिसे पीने से लोग बीमार पड़ने लगते हैं। चमड़ा उद्योग उनके ससुर का है जबकि शहर का मेयर निर्भय कुमार डॉ. अभय का भाई है, जो मामले को दबाना चाहता है लेकिन इसके बावजूद डॉ. अभय अन्य लोगों को इस बात से सचेत करते है।
मेयर डॉ. अभय को अपना बयान वापस लेने को कहता है लेकिन डॉ. अभय अपनी जांच पर तटस्थ हैं जिससे दोनों भाईयों के संबंधों में खटास पड़ जाती है और जनहित को समर्पित डॉ. अभय को ही जनशत्रु घोषित कर राजनीति और मीडिया के दुष्चक्र में फंसा दिया जाता है। इसके बाद डॉ. अभय भ्रष्टाचार के खिलाफ एकल जंग छेड़ देते है। उन्हें शहर से निकालने की कोशिश भी की जाती है। ‘सबसे मजबूत इंसान वह है जो अकेला खड़ा होता है’ इसी सोच के साथ वह अपनी जंग जारी रखते है।
दर्शकों के मस्तिष्क में सवाल और आलोचनाओं को जन्म देता है ये नाटक
यह नाटक समाज और सत्ता के आपसी समन्वय का प्रतीक है, जिसमें नागरिक गौण है और नायक शापित ! एक कर्तव्यनिष्ठ नायक और पूंजीवाद का संघर्ष। यह नाटक कोई समाधान प्रस्तुत नहीं करता लेकिन दर्शकों के मस्तिष्क में उन सभी सवालों और आलोचनाओं को जन्म देता है जो हमें व्यक्ति से नायक बना सकते हैं।
‘एनिमी ऑफ द पीपल’ नाटक की कहानी समाज का कड़वा सच बयां करती है। नाटक के माध्यम से निर्देशक योगेन्द्र सिंह परमार समाज को कड़ा संदेश देते हैं कि ईमानदारी और अच्छाई की राह आसान नहीं है। अगर किसी को इस दुनिया में सच्चाई और ईमानदारी के साथ रहना है तो उसे हर पल ‘जनता के दुश्मन’ की तरह जीना होगा। परमार ने बताया कि इब्सन को यूं ही यर्थाथवाद का जनक नहीं कहा जाता है। वह अपने दर्शक को सिर्फ एक रोचक कथानक नहीं देते बल्कि एक मंथन का भागीदार बनाते हैं।
To join us on Facebook Click Here and Subscribe to UdaipurTimes Broadcast channels on GoogleNews | Telegram | Signal