बेटी को स्कूल से निकाले जाने पर पिता कलेक्ट्री पहुंचे


बेटी को स्कूल से निकाले जाने पर पिता कलेक्ट्री पहुंचे

इधर, स्कूल ने बच्ची को निकाले जाने की बात से साफ़ इंकार किया 

 
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उदयपुर। अपनी बेटी को स्कूल से रेस्टीकेट किए जाने के कारण का पता लगाने की मांग को लेकर एक पिता मंगलवार को उदयपुर कलेक्ट्रेट पहुंचे जहां उन्होंने ज्ञापन सौंपते हुए जिला कलेक्टर को उनकी बेटी को स्कूल द्वारा रेस्टीकेट करने के कारण बताने की गुहार लगाते हुए ज्ञापन सोपा।

पीड़ित पिता शंकर सुथार ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उनकी बेटी 4th क्लास में पढ़ती है, पिछले साल उन्होंने जब उनकी बेटी धुन सुधार, का पायोनियर पब्लिक स्कूल, देबारी सर्कल के पास में कक्षा 3 में पिछले साल एडमिशन करवाया था। स्कूल में स्केटिंग सीखने के नाम पर उन्हें स्केट्स लाने की बात कही थी जिस पर उनकी बेटी को स्केट्स दिला कर स्कूल भेजा था। कुछ समय स्केटिंग सीखने के बाद उन्होंने स्केट्स को स्कूल में ही रख लिया था जिसके बाद स्कूल में गर्मियों की छुट्टियां हो गई और नए सेशन शुरू होने के ठीक 1 महीने बाद जब उनके द्वारा उनकी बेटी का स्केट स्कूल से मांगा गया तो वह बहुत ही बुरी हालत में उन्हें लौटाया गया जिससे जब उन्होंने अपनी बेटी की डायरी में लिखकर टीचर से इसके बारे में पूछा तो उन्होंने नाराजगी जताई और उसके बाद उन्हें स्कूल आने की बात कही लेकिन वह स्कूल जाते उससे पहले ही उनकी बेटी ने स्कूल से घर लौट कर उन्हें बताया कि उसे स्कूल से रेस्टीकेट कर दिया गया है। इसको लेकर जब उनके द्वारा स्कूल प्रशासन से सवाल किया गया तो स्कूल प्रशासन द्वारा 6 जुलाई को उनकी बेटी को स्कूल से रेस्टीकेट कर दिया गया और उन्हें डीसीबी सौंप दी गई।

शंकर ने अपने ज्ञापन के माध्यम से स्कूल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया है कि  6 जुलाई 2023 को स्थानांतरण प्रमाण पत्र, उन्हें बिना बताए जारी कर दिया गया और फिर 7 जुलाई स्कूल बुलाकर दुर्व्यवहार भी किया गया।

इसके संदर्भ मे ज़िला कलेक्टर कार्यालय में उनके द्वारा 7 जुलाई 2023 को एक प्रार्थना पत्र (inward no.8229 dated 11-07-2023 outward no. C.D.E.O. 604/ 12- 07-2023 ) भी दिया गया था और कलेक्टर कार्यालय से CDEO, कार्यालय में भी आगे कार्यवाही के लिए भेजा गया था और उसके बाद उनके द्वारा आज तक CDEO, DEO, और कार्यालय में उनके द्वारा कई बार Emails, टेलीफोनिक और व्यक्तिगत रूप से संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया गया पर आज तक उन्हें उनके सवालों (स्कूल से) का जवाब अभी तक 3 माह तक भी नहीं मिल सका हैं।

ज्ञापन के माध्य्म से शंकर ने उनकी बेटी धून के व्यक्तिगत स्केट्स (जो स्कूल मे जमा थे) को किसने खराब किए जाने के बारे में सवाल किया। स्कूल कैम्पस में स्पोर्ट्स किट जमा करने के बाद उस किट की जिम्मेदारी किसकी होती है इसके बारे में पूछा।

स्कूल की ओर से स्पोर्टस किट छात्रों को जारी नहीं किए जाने के बारे में सवाल किया, इसी के साथ माता-पिता से मिले बिना ही एक दिन पहले स्कूल ने टीसी किस आधार पर बना दी, इस बारे में भी सवाल किया है। शंकर ने पूछा की जब 6 जुलाई को धून की टीसी प्रिंट हो चुकी थी तो 7 जुलाई को धून को स्कूल क्यों बुलाया गया था? अगले दिन 7 जुलाई को स्कूल में बुलाकर बाहर खुले स्थान में क्यों खड़ा किया गया था ?

ज्ञापन के माध्यम से उन्होंने पूछा है की स्कूल के दबाव के चलते क्लास 4 की किताबें और स्टेशनरी स्कूल से खरीदी गईं थी, उनका वो क्या करें? ज्ञापन के माध्यम से शंकर ने कलेक्टर से उनकी समस्या पर ध्यान देकर और उसका समाधान करने की गुहार लगाई है।

स्कूल का क्या कहना है

वही जब इस मामले को लेकर स्कूल प्रशासन से बात की गई तो स्कूल के मैनेजर प्रतीक गुप्ता, प्ले स्कूल प्रशासन द्वारा बच्ची की टीसी  जारी करने और उसे स्कूल से रेस्टिकेट करने जैसी बात से साफ इनकार कर दिया। गुप्ता ने बताया कि इस मामले को लेकर जब उस बच्ची के पिता को स्कूल बुलाया गया तो उन्होंने एक दिन पूर्व ही फोन पर स्कूल प्रशासन से कहा कि वह स्कूल आकर सीधा बच्ची की टीसी ही लेना चाहते हैं और बच्ची को स्कूल में पढ़ना नहीं चाहते। 

गुप्ता का कहना था कि जब बच्चे के अभिभावक ही टीसी मांगे तो स्कूल की जिम्मेदारी बनती है कि बच्चों की टीसी उन्हें जारी करनी पड़ती है इसी के मध्य नजर रखते हुए स्कूल द्वारा बच्ची के पिता शंकर सुथार की मांग पर इसकी टीसी जारी की गई हालांकि टीसी जारी होने के कुछ दिन बाद उन्हें फिर से संपर्क किया गया और ऑनलाइन टीसी जारी होने की बात कहते हुए टीसी कैंसिल करने की बात कही गई और बच्ची को फिर से एक बार स्कूल में भेजने की बात भी कही गई थी लेकिन इस बात से शंकर सुथार ने साफ इनकार कर दिया।

गुप्ता ने कहा कि इस मामले को लेकर बच्ची के पिता शंकर सुथार ने जिला कलेक्टर और एजुकेशन डिपार्टमेंट के अधिकारियों से भी इस मामले की शिकायत की थी जिसके बारे में जब हमसे सवाल किया गया तो हमने इसका स्पष्ट जवाब दे दिया। इसके बाद इस मामले को लेकर स्कूल और बच्ची के पिता शंकर सुथार के बीच में दो बार आमने-सामने की वार्ता भी की गई लेकिन इस बार भी उन्होंने बच्ची को स्कूल भेजने से साफ इनकार कर दिया।  गुप्ता ने बच्ची को बिना किसी कारण के रेस्टिकेट करने की बात से साफ इनकार किया है और उनका कहना है कि वह एक टीचर होकर किसी मासूम बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार क्यों करने लगे जबकि वह एक स्कूल का संचालन करते हैं जहां पर अन्य बच्चे भी पढ़ाई करने के लिए आते हैं।

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