उदयपुर 29 जुलाई 2024। फील्ड क्लब की जमीन पर एसडीएम बड़गांव की और से इंद्राज दुरूस्ती को लेकर दिए आदेश पर फील्ड क्लब के पदाधिकारियों ने कहा है कि 93 साल से यह जमीन उनके पास है। राज्य सरकार ने इस पर तब लोन भी दिया, फील्ड पदाधिकारियों ने कहा हमने फतहपुरा पर चौराहा विस्तार के लिए क्लब की जमीन भी दी जिसका अवार्ड भी हमे दिया गया। यह जमीन फील्ड क्लब सोसायटी की है, एसडीएम कोर्ट का आदेश तो इंद्राज दुरूस्ती का हुआ है। इसके अलावा बाकी जितनी भी बाते फैलाई जा रही है वे सब मिथ्या है।
यह जानकारी रविवार को आयोजित प्रेसवार्ता में फील्ड क्लब के पदाधिकारियों ने दी। क्लब के सचिव उमेश मनवानी, उपाध्यक्ष राकेश चोर्डिया, संयुक्त सचिव पंकज कनेरिया, पूर्व सचिव सुधीर बख्शी, ट्रेजरर कमल मेहता और क्लब के अधिवक्ता अविनाश कोठारी ने संयुक्त रूप से कहा कि फील्ड क्लब 1931 में बना था और तत्कालीन महाराणा ने हमें यह जमीन आवंटित की थी। उस समय राजस्थान राज्य और सरकार का वजूद नहीं था। राजस्थान के पुर्नगठन के समय सरकार ने इसे वैद्य माना और राजस्व रिकार्ड में इसकी एंट्री कर दी गई।
सचिव मनवानी ने बताया कि राजस्व इंद्राज में त्रुटि के कारण यह जमीन यूआईटी के नाम चढ़ा दी गई जबकि जमीन फील्ड क्लब सोसायटी के नाम थी। आज भी ये जमीन फील्ड क्लब के नाम है और उसी क्रम में हमने इन्द्राज शुद्धि का एसडीओ बड़गांव कोर्ट में वाद लगाया था जिसका फैसला हमारे पक्ष में आया है। मनवानी ने कहा कि संपूर्ण पत्रावलियों को जांचने, वकीलों द्वारा रखे गए पक्ष के तत्पश्चात यह निर्णय किया गया है। जिन्हें इन तथ्यों की जानकारी नहीं है उनके द्वारा भ्रांतियां फैलाई जा रही है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी बात तो यह है कि अभी तक इस जमीन को बिलानाम बता कर यूआईटी के खाते में दर्ज किया है जिसका हमें आज तक कोई नोटिस भी नहीं मिला है और न ही हमें इसकी कोई सूचना दी।
क्लब के अधिवक्ता अविनाश कोठारी ने कानूनी पक्ष रखते हुए स्पष्ट किया कि कानूनी तौर पर जहां से यह गलती हुई है वहीं से दुरुस्त होगी ऐसे में फील्ड क्लब की ओर से एसडीएम कोर्ट जहां से रिकॉर्ड में त्रुटि हुई वहां उसे ठीक करने के लिए दावा लगाया और फैसला फील्ड क्लब के पक्ष में हुआ।
कोठारी ने बताया कि जब फील्ड क्लब जमीन को किसी सरकारी अधिकारी द्वारा त्रुटिवश बिला नाम घोषित किया गया और जैसे ही पता चला तो क्लब की और से 3 मई 2024 को इंद्राज त्रुटी को शुद्ध करवाने का एसडीएम कोर्ट में दावा पेश किया। उसके बाद दोनों पक्षों को सुनकर एसडीएम कोर्ट ने फैसला क्लब के पक्ष में दिया।
अधिवक्ता कोठारी ने कहा कि अगर यह जमीन क्लब के नाम थी तब ही तो क्लब को जब पैसों की जरूरत थी तब राजस्थान सरकार ने देवस्थान विभाग के मार्फत से 5 लाख का लोन क्लब को दिया गया। यहीं नहीं किसी कारणवश हम वह लोन चुका नहीं पाए तो फील्ड क्लब की पांच बीघा पांच विसवा जमीन सरकार ने कुर्क कर दी थी। कोठारी ने स्पष्ट किया है क्लब की जमीन थी तब ही तो लोन दिया और क्लब चुका नहीं पाया तो उसमें से ही जमीन सरकार ने कुर्क की थी।
क्लब के उपाध्यक्ष राकेश चोर्डिया ने बताया कि जब फतहपुरा चौराहा का विस्तार किया जा रहा था तब 2001 में यूआईटी ने 4100 स्कवायर फीट जमीन ली जिस पर 13.73 लाख का अवार्ड क्लब को जारी किया था। उन्होंने कहा कि यह यह दावा व्यक्तिगत हमारे सचिव उमेश मनवानी का नहीं है ये दावा तो फील्ड क्लब के चार हजार सदस्यों की संस्था का है और वे इस समय सचिव है तो कोर्ट में दावा तो उनके नाम से ही होगा।
क्लब के संयुक्त सचिव पंकज कनेरिया ने बताया कि पिछले 93 सालों से यूआईटी, नगर निगम ने या सरकार की किसी भी एजेंसी ने हमें जमीन के बारे में ऐसा कोई नोटिस जारी नहीं किया। यह मात्र रेवेन्यू रिकॉर्ड में गलत एंट्री होने से हुआ था जिसकी शुद्ध करवाने के लिए हमने वाद दायर किया और फैसला हमारे पक्ष में आया।
पूर्व सचिव सुधीर बख्शी ने बताया कि यह सामान्य सी बात है कि राजस्व रिकार्ड में कोई गलती हुई है तो उसके ध्यान में आते ही उसे ठीक कराने के लिए संबंधित जो प्रक्रिया है उसे अपनाते हुए दावा किया और उसमें हमारे पक्ष में फैसला हो गया।
ट्रेजरार कमल मेहता ने बताया कि फील्ड क्लब ने प्रशासन को पूर्ण सहयोग किया है और इस समय हम नियमों के अनुसार सरकारी राजस्व रिकॉर्ड में जो गलती हुई उसे ठीक कराने के लिए दावा किया है। यह एक प्रक्रिया होती है जिसे पूरा किया इसमें दूसरे जो भी आरोप लगाए जा रहे है वे बेबुनियाद है, यहां चार हजार सदस्यों की संस्था का काम था जिसे करना फील्ड क्लब कमेटी की जिम्मेदारी है।
सचिव मनवानी ने यह भी कहा है कि जिला कलेक्टर के आदेश पर जो जांच कमेटी बनी है और उन तथ्यों को जांचने पर यही तो आएगा की क्लब की जमीन के रिकॉर्ड में जो त्रुटि हुई है उसे ठीक किया गया है। वे बोले कि अगर हमे प्रशासन की और से बुलाया गया तो हम हमारा पक्ष भी रखेंगे।
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