उदयपुर के गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में सम्मानित जोड़े ने लिया देहदान का संकल्प, भरा घोषणापत्र


उदयपुर के गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल में सम्मानित जोड़े ने लिया देहदान का संकल्प, भरा घोषणापत्र

गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में देहदान जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया |

 
देहदान

उदयपुर- गीतांजली मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, में  सेक्टर- 11 निवासी सेवानिवृत्त (74) वर्षीय शंकर लाल कुमावत व हेडमिसट्रेस पद से सेवानिवृत्त उनकी धर्मपत्नी (67) वर्षीय उषा कुमावत ने देहदान संकल्प लेते हुए गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में घोषणापत्र भरा । इसके पश्चात् सम्मानित जोड़े को डोनर कार्ड प्रदान किया गया |

मृत्यु उपरांत शरीर मानवता के लिए उपयोग में आ जाए तो उचित है-

देहदान के बारे में विचार रखते हुए कुमावत दम्पत्ति ने बताया कि यदि मृत्यु उपरांत शरीर मानवता के लिए उपयोग में आ जाए तो उचित है | उन्होंने कहा कि डॉक्टर बनने के लिए मृत शरीर पर अध्ययन करना आवश्यक होता है | चूँकि कुमावत दम्पत्ति समाज में डॉक्टर की अहमियत को समझते हैं मानते हैं इसके चलते उन्होंने अपने परिवार से सलाह की और देहदान करने का फ़ैसला लिया |

इस नेक कार्य को अंजाम देने के लिए गीतांजली मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में देहदान जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया | इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डीन जीएमसीएच डॉ. डी.सी कुमावत रहे | इस अवसर पर जीएमसीएच के सीईओ प्रतीम तम्बोली, एडिशनल प्रिंसिपल गीतांजली मेडिकल कॉलेज डॉ. मनजिंदर कौर, डॉ. देवेन्द्र सरीन, डॉ. जी.एल डाड, डॉ. लीपा मोहंती, डॉ. संजीव चौधरी, डॉ. गिरीश वर्मा, डॉ. वाई.एन वर्मा व एमबीबीएस के विद्यार्थी उपस्थित रहे | इस कार्यक्रम का संचालन एनाटोमी विभाग के एच.ओ.डी डॉ. प्रकाश के.जी, डॉ. मोनाली सोनवाने, डॉ. चारू, डॉ. हिना शर्मा व अन्य फैकल्टी स्टाफ द्वारा किया गया |

इन सवालों को समझे- देह दान कैसे कर सकते हैं और यह जरूरी क्यों है?

देह दान क्यों करना चाहिए?

विज्ञान की प्रगति के लिए मृत्यु पश्चात अपना शरीर दान करना एक अनूठा और अमूल्य उपहार है दान किए गए शरीर का उपयोग भविष्य के डॉक्टरों और नर्सों को पढ़ाने प्रशिक्षण देने सर्जन को प्रशिक्षित करने व वैज्ञानिक अनुसंधान करने के लिए किया जाता है|

देह दान कौन कर सकता है?

कोई भी भारतीय नागरिक जो (18) वर्ष से अधिक आयु का है और कानूनी रूप से वैध सहमति देने योग्य है वह शरीर रचना में भाग एनाटॉमी जीएमसीएच उदयपुर में एक संपूर्ण शरीर दाता के रूप में पंजीकृत करा सकता है | यदि पंजीकृत ना हो तब भी मृतक के शरीर पर कानूनी अधिकार रखने वाले परिजन अभिभावक मृतक का शरीर दान कर सकते हैं |

अधिक जानकारी हेतु किससे संख्या संपर्क कर सकते हैं?

अधिक जानकारी हेतु गीतांजलि मेडिकल कॉलेज के शरीर रचना विभाग में संपर्क कर सकते हैं|

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