ऐतिहासिक उदयश्याम मंदिर पर मंडराता खतरा


ऐतिहासिक उदयश्याम मंदिर पर मंडराता खतरा 

वास्तुकला के साथ हो रहा खिलवाड़
 
Uday shyam mandir

उदयपुर 4 जनवरी 2025: चांदपोल के बाहर पिछोला झील के किनारे स्थित ऐतिहासिक उदयश्याम मंदिर, जो उदयश्याम घाट का मुख्य आकर्षण है, आज अपनी वास्तुकला की पवित्रता पर गंभीर खतरे का सामना कर रहा है। मंदिर के प्रांगण में, घाट की तरफ़ के मुख्य द्वार के बायीं ओर घाट की तरफ़ एक नया निर्माण, एक छोटा कमरा, बिना किसी योजना और अनुमति के बन रहा है। यह निर्माण न केवल मंदिर की सुंदरता को बिगाड़ रहा है, बल्कि इसके सांस्कृतिक और वास्तुशिल्पीय महत्व को भी चोट पहुँचा रहा है।

होटल एसोसिएशन उदयपुर के उपाध्यक्ष यशवर्धन राणावत ने कहा कि इस तरह की असंवेदनशील और अनियोजित हरकतें बेहद दुर्भाग्यपूर्ण हैं। यह संरचना न केवल मंदिर के दृश्य सौंदर्य (Aesthetic Beauty) को बाधित कर रही है, बल्कि फोटोग्राफी और पर्यटकों के लिए इस ऐतिहासिक स्थल के आकर्षण को भी खराब कर रही है।

महत्वपूर्ण सवाल उठते हैं:

  • इस निर्माण को किसने मंजूरी दी?
  • इसे लागू करने वाला कौन है?
  • क्या यह निर्माण नगर निगम की अनुमति के बिना हो रहा है?

राणावत ने कहा कि यह हड़बड़ी में किया गया निर्माण वास्तुकला, धरोहर संरक्षण और पर्यटन विकास के प्रति संवेदनहीनता को दर्शाता है। इस भूल को तुरंत सुधारना जरूरी है, और इस ईंट के ढांचे को हटाकर मंदिर की गरिमा को बहाल किया जाना चाहिए।

दो साल पहले, जागरूक नागरिकों ने यशवर्धन राणावत के नेतृत्व में, जो तब होटल एसोसिएशन उदयपुर के संयुक्त सचिव और उदयपुर टूरिज़्म डेवलपमेंट फाउंडेशन के संस्थापक थे, एक आंदोलन शुरू किया। स्मार्ट सिटी CEO और नगर निगम को लिखे पत्रों और मंदिर में जनजागरूकता अभियानों के जरिए इस ऐतिहासिक स्थल का बड़े पैमाने पर संरक्षण और मरम्मत की गई। लेकिन आज, कुछ लोगों की लापरवाही और असंवेदनशीलता उस बेहतरीन काम को बर्बाद करने पर तुली है। इस गंभीर मुद्दे पर कई प्रमुख लोगों ने चिंता व्यक्त की है। 

राणावत  ने कहा कि यह असावधानी उदयपुर की पर्यटन क्षमता पर सीधा प्रहार है और मंदिर के अस्तित्व व उसकी वास्तु को बिगाड़ने का कृत्य है । यह पर्यटन की दृष्टि से पूर्ण रूप से ग़लत निर्णय व कार्य है । धरोहर हमारी असली पहचान है। इसे सुरक्षित रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। यह एक जवाबदेही और संरक्षण की मांग है। समय रहते कदम उठाएं, नहीं तो हम अपनी धरोहर के साथ अपनी पहचान भी खो देंगे।ग़ौरतलब है की यह मंदिर देवस्थान विभाग के अधिकार में है ।

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