उदयपुर - शहर के बीचों बीच बने फील्ड क्लब से जुड़े मामले में न्यायालय उपखण्ड अधिकारी बडगांव द्वारा शहर के मध्य स्थित लगभग विशाल भूमि को फील्ड कल्ब सोसायटी,फतेहपुरा उदयपुर के नाम दर्ज करने के आदेश को लेकर एक जाँच कमेटी का गठन करने के आदेश ज़िला कलेक्टर उदयपुर, अरविन्द पोसवाल ने जारी कर दिए है।
मामला
दरसल, न्यायालय उपखण्ड अधिकारी बडगांव द्वारा जारी किए गए आदेश के बाद इसपर UDA (Udaipur Development Authority) ने आप्पति जताई थी। साथ ही, भारतीय जनता पार्टी (BJP) विधि प्रकोष्ठ के ज़िला संयोजक महेन्द्र कुमार नागदा द्वारा न्यायालय उपखण्ड अधिकारी बडगांव द्वारा दिनांक 24.07.2024 को पारित आदेश जिसमे शहर के मध्य स्थित लगभग 26 बीघा भूमि को फील्ड कल्ब सोसायटी फतेहपुरा उदयपुर के नाम दर्ज करने का आदेश पारित किया गया है की उसको लेकर ज्ञापन सौंपकर जांच कराने का निवेदन किया था।
इस प्रार्थना पत्र मे लिखे गए तथ्यों की जांच करवाने के लिए ज़िला कलेक्टर उदयपुर अरविन्द पोसवाल ने दीपेन्द्र सिंह राठौड अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन) उदयुपर को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। राठौड प्राप्त प्रार्थना पत्र में वर्णित समस्त तथ्यों के संबंध में नियमानुसार जांच कर बिन्दुवार तथ्यात्मक जांच रिपोर्ट सात दिन में प्रस्तुत करेगें।
नागदा ने अपने प्रार्थना पत्र में लिखा था की उपखण्ड अधिकारी बड़गांव, जहां राजस्व न्यायालय का संचालन होता है और गरीब कृषकों की राजस्व भूमि से संबंधित वादों का क्षैत्राधिकार व श्रवणाधिकार उक्त न्यायालय को प्राप्त है।
न्यायलय में पदस्थापित वर्तमान पीठासीन अधिकारी सीमा तिवाड़ी द्वारा 24.07.2024 को एक वाद उमेश मनवानी बनाम राजस्थान राज्य जरिये तहसीलदार बड़गांव वगैरह में एक निर्णय अंतर्गत धारा 136 राजस्थान भू राजस्व अधिनियम में पारित कर शहर के मध्य में स्थित भूमि जो लगभग 26 बीघा है, को फील्ड क्लब सोसायटी फतेहपुरा उदयपुर के नाम दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया, जबकि यह न्यायालय को महज इंद्राज दुरुस्ती के प्रार्थना पत्र पर इस प्रकार का निर्णय करने का कोई अधिकार नहीं है। उनके द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र में उन्होंने लिखा की न्यायालय द्वारा पारित आदेश की कारणों से संदेहास्पद होकर उसमें भ्रष्टाचार होने की पूर्ण संभावना है।
साथ ही न्यायालय को इतनी बड़ी भूमि जो कभी भी राजस्व रिकॉर्ड में प्रार्थी उमेश मनवानी या फील्ड क्लब सोसायटी फतेहपुरा के नाम नहीं रही, को महज इंद्राज दुरुस्ती के प्रार्थना पत्र पर सोसायटी के नाम किया जाना अपने आप में संदेहपूर्ण है। अगर प्रार्थी या सोसायटी को कोई न्यायालय से (रिलीफ) प्राप्त करनी थी तो उन्हें न्यायालय में घोषणा का दावा करना चाहिये था, जिसमें साक्ष्य ली जाकर न्यायालय द्वारा विस्तृत विवेचन कर दावे का निस्तारण किया जाता, लेकिन मिलीभगत के खेल में आनन-फानन में इंद्राज दुरुस्ती का उक्त फर्जी आदेश न्यायालय द्वारा जारी कर दिया गया।
नागदा द्वारा दिए गए प्रार्थन पत्र में उन्होंने ये भी लिखा की इस दावे में वर्णित आराजी 2770 की साबिक आराजी में राजस्व रिकॉर्ड में क्लब घर शब्द का अंकन है और उक्त भूमि बाद में बिलानाम सरकार होकर रिकॉर्ड में नगर विकास प्रन्यास उदयपुर के खाते में "आबादी" में दर्ज थी, लेकिन उक्त भूमि कभी भी फील्ड क्लब सोसायटी या प्रार्थी उमेश मनवानी के नाम दर्ज नहीं हुई, लेकिन न्यायालय ने अपनी विवेचना में यह भूमि क्लब के नाम होने के आधार पर अपने ही मन से फील्ड क्लब सोसायटी फतेहपुरा के नाम दर्ज करने का आदेश कर दिया ।
यह भूमि आबादी क्षेत्र में स्थित होकर इस भूमि से संबंधित किसी भी वाद का निस्तारण का अधिकार सिर्फ सिविल न्यायालय को प्राप्त है।
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