उदयपुर। लगभग अठारह वर्ष बीत जाने के बाद भी झील के जल का सीवर लाइनों में व्यर्थ बहना पूरी तरह रूक नही पाया है। गुरुवार को झील संरक्षण समिति से जुड़े झील विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता, झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल, गांधी मानव कल्याण समिति के निदेशक नंद किशोर शर्मा, अभिनव संस्थान के निदेशक कुशल रावल, झील प्रेमी द्रुपद सिंह, रमेश चन्द्र राजपूत डीवीडिंग मशीन पर चढ़ पिछोला के भीतर बने सीवर मेनहोल पर पंहुचे व भारी मात्रा में सीवर लाइन में झील जल के प्रवाह को देखा।
झील विशेषज्ञ डॉ मेहता ने कहा कि वर्ष 1981 में बिछाई गई पुरानी सीवर लाईन, वर्ष 2005 की नीरी योजना सीवर लाइन तथा वर्तमान में अमृत योजना व स्मार्ट सिटी योजना में बिछाई सीवरेज प्रणाली की कतिपय खामियों के कारण झील का पानी व्यर्थ हो रहा है।
मेहता ने कहा कि इस विभीषिका को रोकने के लिए झील जैसे जैसे खाली हो, अंदर की तरफ दीवारो, घाटो की मरम्मत की जानी चाहिए ताकि झील से बाहर क्षैतिज दिशा में रिसाव न्यूनतम हो। कुछ जगह झील दीवारों की कर्टेन ग्राउटिंग की जरुरत है। हर दो मेनहोल एवं उनके बीच की लाइन, उनसे मिलने वाली शाखा लाइन को एक यूनिट मान कर सूक्ष्मता से जाँच कर गुणवत्ता पूर्ण सुधार करना होगा।
तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि नई सीवर लाइन तथा पुरानी सीवर लाइनों की समय समय पर मरम्मत तथा नियमित सफाई की व्यवस्था बनानी होगी। कुछ चयनित मेनहोल में प्रवाह की मात्रा को नापने के गैजेट लगाने होंगे ताकि प्रवाह में कमी बढ़ोतरी पर नजर रखी जा सके।
नंद किशोर शर्मा ने कहा कि सीवर लाइन बिछाने, घरो के गंदे पानी को सीवर लाइन से जोड़ने का कार्य कोई मुश्किल तकनिकी नहीं है, लेकिन डिज़ाइन, निर्माण एवं सफाई, सार संभाल किसी भी चरण में लापरवाही अथवा चूक होने पर यह खतरनाक हो सकता है। उदयपुर ऐसी ही लापरवाहियों का शिकार हो रहा है।
कुशल रावल ने कहा कि जंहा एक और सरकार बून्द बून्द पानी बचाने के लिए जन जागरण करती है, वंही कतिपय खामियों एवं लापरवाही के कारण प्रति दिन लाखों लीटर झील का पानी व्यर्थ बाहर बह रहा है। द्रुपद सिंह तथा रमेश चंद्र ने विश्वास जताया कि झील विकास प्राधिकरण, स्मार्ट सिटी कंपनी इस समस्या का शीघ्र निराकरण करेंगे।
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