उदयपुर 4 अक्टूबर 2024। ज़िले के गोगुन्दा इलाके इन दिनों आदमखोर लेपर्ड का आतंक ग्रामीणों को परेशान कर रहा है, पूरी पंचायत समिति में आने वाली लगभग सभी ग्राम पंचायतों में रहने वाला हर एक बाशिंदा आदमखोर लेपर्ड के नाम भर से ही खौफज़दा है, कई दिन हो चले है और वन विभाग, पुलिस विभाग, प्रशासन सभी लगातार इस क्षेत्र में सर्च ऑपेरशन चला रहा है, इस दौरान कुछ जगहों पर लैपर्ड देखा भी गया लेकिन पकड़ा नहीं जा सका।
ऐसे में पिछले कुछ दिनों से ग्रामीण अपने घरों में ही रहने को मजबूर है, घर से बाहर जाने से पहले उन्हें कई बार सोचना पड़ रहा है, यही नहीं बच्चे जिन्हे पूरी तरह से ये नहीं पता की आखिर क्या हुआ की उन्हें अचानक से घरो में बंद कर लिया गया वो भी न हीं अपने दोस्तों से मिल पा रहे है न ही घर से बाहर जा कर खेल पा रहे है। उधर मवेशी भी घरों के बाड़े में बंद रहने को मजबूर है और भूखे मरने के लिए मजबूर हैं।
इसको लेकर ग्रामीणों में काफी गुस्सा है, उनकी दैनिक दिनचर्या चरमरा गई है और अब उनका गुस्सा चरम पर है। लेकिन लेपर्ड का आतंक है कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा। इसी के मद्देनजर शुक्रवार को गोगुन्दा पंचायत समिति के अंतर्गत आने वाली सभी पंचायतों में रहने वाले सैंकड़ो ग्रामीणों ने उदयपुर कलेक्टरी के बहार कांग्रेस पार्टी के बैनर तले भव्य प्रदर्शन कर नाराजगी जाहिर की। इस दौरान वर्तमान सरकार के विरुद्ध नारेबाजी भी की गई, पर्ची वाली सरकार कह कर सम्बोधित भी किया गया साथ ही ग्रामीणों की सुरक्षा में कमी होने का जिम्मेदार भी ठहराया गया और साथ ही इन हमले में मारे गए लोगों के परिजनों के लिए उचित मुआवजे की राशि, सरकारी नौकरी की मांग भी की गई।
इस मौके पर कलेक्टरी के सामने लगे टेंट के नीचे बड़ी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा हुए जिन्हे कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने संबोधित किया साथ ही, हमलों में मारे गए ग्रामीणों के परिजनों के प्रति सांत्वना वक्त करते हुए उनकी आर्थिक सुरक्षा और इस लेपर्ड रूपी आतंक का जल्द छुटकारा दिलाये जाने की मांग को ज्ञापन के मार्फ़त ज़िला कलेक्टर को सौंपा और उस पर जल्द संज्ञान लिए जाने की बात कही।
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता लाला सिंह झाला ने कहा की लेपर्ड अटेक की पहली तीन घटनों के बाद 21 तारीख को ब्लॉक कांग्रेस ने धरना प्रदर्शन करते हुए मृतकों के परिजनों के लिए 50 लाख रूपए का मुआवजा, सरकारी नौकरी और इस तरह की घटना दोबारा न हो इसकी भी मांग की थी। उन्होंने कहा की इस पर रोक लगने के बजाए 4 और घटनाए घटी , प्रशासन ने ड्रोन कैमरे लगाए, टीमें लगाई सर्च ऑपरेशन चलाए लेकिन सब विफल रहा और लगातार इस प्रकार लेपर्ड अटेक की घटना घटित हो रही है, क्या इंसान की जान की कोई कीमत नहीं है ?
झाला ने कहा की एक जानवर आदमखोर बन गया और प्रशासन से उस पर काबू नहीं पाया जा रहा है, वो बोले अगर आप से नहीं होता तो आप इस क्षेत्र के रहने वाले आदिवासी भाइयों को दो जिम्मेदरी वो 24 घण्टों में ही रिजल्ट दे देंगे, लेकिन ये भी नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा की आज के इस धरना प्रदर्शन के माध्यम से ये ही मांग की जाती है की पीड़ित परिवारों की 50 लाख रूपए का मुआवजा मिले, झाला ने कहा की जब कांग्रेस की सरकार थी और बड़गांव में ऐसी एक घटना घटी तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पीड़ितों को 50 लाख रूपये का मुआवजा दिलवाया था।
साथ ही उन्होंने मांग की कि इन घटनाओं को इतने दिन बीत गए सभी पीड़ितों को 5 हजार रूपए रोज के दिए जाने चाहिए। किसी परिवार का मुखिया चला गया. छोटे छोटे बच्चे पीछे छोड़ गया, किसी परिवार की मां चली गई तो इन सब के लिए कौन जिम्मेदार है ?
झाला ने कहा की घटनाओ के बाद इतने दिन बीत गए लेकिन सरकार का कोई भी प्रतिनिधि एमपी, एमएलए कोई भी अभी तक पीड़ित परिवारों से मिलने नहीं गया ये एक दुखद बात है। झाला बोले क्यों अभी तक उस आदमखोर की पहचान नहीं की गई, क्या एक आम ग्रामीण उसकी पहचान करेगा, आपने बाहर से शूटर बुला लिए लेकिन अभी तक क्या हुआ ?
तो वहीँ ग्रामीणों का कहना है की अगर प्रशासन उन्हें अनुमति दे तो वो खुद ही इस लेपर्ड को अपने तरीके से अंजाम तक पहुंचा दें ताकि आने वाले वक्त में सभी उसके भय से मुक्त हो पाएं।
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