उदयपुर 12 अप्रैल 2025। आधुनिक राजस्थान के निर्माता और सत्रह साल तक मुख्यमंत्री के पद पर रहकर उदयपुर के विधायक रहे स्वर्गीय मोहनलाल सुखाड़िया की प्रतिमा, जो उनके सम्मान का प्रतीक मानी जाती थी, पिछली रात, अचानक आए अंधड़ के कारण गिर गई।
यह घटना सिर्फ एक प्रतिमा के गिरने की नहीं है, बल्कि यह नगर निगम उदयपुर और यहां के जनप्रतिनिधियों के मुंह पर एक तगड़ा तमाचा है। अब यह कोई रहस्य नहीं रह गया कि सुखाड़िया साहब ने जब इस शहर के विकास की नींव रखी थी, तो वह न केवल स्थायी बल्कि दूरगामी असर डालने वाले थे। उनके द्वारा किए गए कार्य आज भी यहां के लोगों की जुबां पर हैं। सुखाड़िया सर्किल और पार्क जैसे उनके द्वारा खड़ा किए गए स्मारक आज भी उनकी याद दिलाते हैं। लेकिन हद तो तब हो गई, जब वह प्रतिमा खुद इस शहर के आलसी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की नाकारापन का शिकार हो गई।
सवाल उठता है, आखिर क्यों उनके नाम से बनी सुखाड़िया सर्किल और पार्क की देखभाल इतनी लापरवाही से की जाती रही? क्या यह उस शहर के लिए एक और शर्मनाक उदाहरण नहीं है, जहां हर चुनाव में नेताओं ने सुखाड़िया के सपनों को पूरा करने का वादा किया, लेकिन उनके सपनों की देखभाल के लिए किसी ने एक कदम भी नहीं बढ़ाया ?
फतह सिंह राठौड़ कांग्रेस ज़िला अध्यक्ष ने भाजपा की वर्त्तमान सरकार पर निशाना साधते हुए कहा की भाजपा सरकार के तहत जिम्मेदार विभागों ने इस जगह की जो एक महापुरुष को समर्पित है और 1989 में इस्थापित की गई थीं की कोई देखभाल नहीं की और उसी वजह से आज ये घटना हुई जिसकी कांग्रेस निंदा करती है और मांग करती है की जल्द से जल्द मूर्ति को पुनः स्थापित किया जाके और गार्डन की भी सुध ली जाए।
इस अवसर पर मोहन लाल सुखाड़िया के पुत्र अरुण सुखाड़िया ने कहा की उनके द्वारा स्वभी सम्बंधित प्रशानिक अधिकारियो को इस घटना की जानकारी दें दी गई है उसके बाद भी अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया। ऐसे नेता जिन्होंने राजस्थान को उपर लाने मै एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो ऐसे नेता की मूर्ति की भी अगर ठीक से देखभाल ना की जा सके तो ये बहुत निंदनीय है।
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