उदयपुर समेत 14 जिलों में सामान्य से अधिक रहेगी बारिश

उदयपुर समेत 14 जिलों में सामान्य से अधिक रहेगी बारिश

इस वर्ष उत्तर पश्चिम राजस्थान में सामान्य से कम जबकि दक्षिण पूर्वी में सामान्य से अधिक का अनुमान

 
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उदयपुर/जयपुर 16 अप्रैल 2022 । मौसम विभाग ने इस वर्ष के मानसून सत्र (जून से सितंबर) में होने वाली बारिश का पूर्वानुमान जारी किया है। दक्षिण-पश्चिमी मानसून से भारत में सामान्य बारिश (96-104 फीसदी) होने की संभावना जताई गई है। राजस्थान के लिहाज से इस बार मानसून औसत रहने के आसार हैं। इस वर्ष उत्तर-पश्चिमी राजस्थान में वर्षा सामान्य से कम हो सकती है, जबकि दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में सामान्य से थोड़ी अधिक होने का अनुमान है।

जयपुर मौसम केंद्र के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने जो पूर्वानुमान जारी किया है वह मानसून के सामान्य रहने की स्थिति को दिखाता है। इसके मुताबिक उदयपुर, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, कोटा, सवाई माधोपुर, भरतपुर, अलवर, झुंझुनूं, जयपुर, दौसा, धौलपुर, बारां, बूंदी और टोंक में बारिश सामान्य से थोड़ी अधिक होने की संभावना है।

वहीँ उत्तर-पूर्वी राजस्थान के बीकानेर, हनुमानगढ़, गंगानगर और चूरू बेल्ट में बारिश सामान्य से कम हो सकती है। पाली, जोधपुर, सिरोही, जालौर, राजसमंद, भीलवाड़ा और अजमेर बेल्ट में मौसम विभाग ने सामान्य या फिर सामान्य से कम बारिश होने की संभावना जताई है।

जयपुर मौसम केंद्र के मुताबिक राजस्थान में हर साल औसत सामान्य बारिश 415 एमएम निर्धारित है। इस मात्रा से 19 फीसदी ज्यादा या 19 फीसदी कम अगर बारिश होती है तो यह सामान्य बरसात मानी जाती है। 20 से 59 फीसदी ज्यादा बारिश होती है तो इसे सामान्य से अधिक की श्रेणी में माना जाता है। वहीं 20 से 59 फीसदी कम बारिश होने पर यह सामान्य से कम स्थिति मानी जाती है।

राजस्थान में पिछले साल 2021 में मानसून की स्थिति देखे तो यह सामान्य रही थी। पूरे राज्य में बरसात औसत से 17 फीसदी अधिक हुई थी। मौसम केंद्र जयपुर ने राजस्थान को दो हिस्सों (पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान) में बांट रखा है। पश्चिमी राजस्थान में साल 2021 में बारिश सामान्य से अधिक रही यानी यहां बारिश औसत से 20 फीसदी ज्यादा रही, जबकि पूर्वी राजस्थान में सामान्य (औसत से 16 फीसदी अधिक)। सिरोही, गंगानगर, पाली, जालौर, उदयपुर और डूंगरपुर में साल 2021 में बारिश औसत से कम हुई थी।

राजस्थान में किसानों के लिए मानसून का पूर्वानुमान सबसे ज्यादा अहम होता है। क्योंकि राज्य में कई हिस्सों में खेती केवल मानसून की बारिश पर ही निर्भर है। खरीफ की फसल बोने वाले किसानों के लिए इस बार जो पूर्वानुमान जारी हुआ है, वह अच्छा है। क्योंकि बाजरा, मक्का, मूंगफली, की फसल मानसून प्री-मानसून में होने वाली बारिश के समय ही बोना शुरू कर देते हैं, जो अमूमन जून-जुलाई में की जाती है।

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