उदयपुर,22.09.23 - संगीत दिलों की धड़कन है,संगीत सांसों का आवागमन है, संगीत बिजलियों की गरज है, तो संगीत बादलों की बारिश है। अगर संगीत को महसूस नहीं किया तो जीवन की वास्विकता अधूरी है। ये बात देश के प्रख्यात बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया के शिष्य एवं उदयपुर के प्रख्यात बांसुरी वादक चिन्मय गौड़ ने कही।
वे मादड़ी इंस्ट्रियल एरिया स्थित होटल स्प्रिट रेजिडेंसी में अपनी किताब 'संगीतमय चिन्मय' भारतीय शास्त्रीय संगीत के विमोचन पर बोल रहे थे।
विमोचन से पूर्व प्रख्यात बांसुरी वादक पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया, पण्डित रूपक कुलकर्णी, सितार वादक चंद्रशेखर फांसे आदि ने चिन्मय को ऑनलाइन शुभकामनाये भेजी।
इसके बाद चिन्मय की माता संतोष गौड़ के हाथों पुस्तक का विमोचन किया। इस मौके पर चिन्मय गौड़ ने अपने संगीत की यात्रा के किस्से, अनुभव और किताब की उपयोगिता के बारे में जनाकारी दी।
गौड़ ने बताया कि उनकी शुरुआती संगीत की शिक्षा उदयपुर के मीडियाकर्मी सुधाकर पीयूष की देखरेख में शुरू हुई।
इसके बाद उन्होंने बांसुरी वादन की दिग्गज हस्तियों के साथ संगीत की तालीम लेना शुरू किया और खुद को साबित किया।
किताब हिंदी और इंग्लिश दिनों भाषा में लिखी गई है।
आपको बता दें कि चिन्मय गौड़ 2016 में दुबई में आयोजित वर्ल्ड कॉम्पिटीशन में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके है। साथ ही हाउसफूल-4, बागी-3 आदि फ़िल्म में भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं संस्कृत श्लोक को लेकर अपना योगदान दे चुके है।
प्रोग्राम की समाप्ति से पूर्व गौड़ ने राग बैरागी छेड़कर सभी को भाव विभोर कर दिया। साथ ही वैष्णवजन तो तेने कहिए..., सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया।
यहां मिल सकती है बुक : उदयपुर के सभी बुक स्टोर्स पर मिलेगी। जिसमें सुनैना म्यूजिक हाउस आयड़, हिन्द म्यूजिक स्ट्रुमेंट, आर्या पब्लिसर, आर्या बुक सहित अमेजॉन पर मिलेगी।
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