भारतीय जैन संघटना का दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन शुरू


भारतीय जैन संघटना का दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन शुरू

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष डॉ. जोशी ने कहा, पांच सालों की सरकारों पर निर्भरता नहीं, समाज उठाए बीडा

 
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सभी नदियां मानसून पर निर्भर, अंडर ग्राउंड रिसोर्स पैदा करना सबसे बड़ी चुनौती: शेखावत

उदयपुर 17 दिसंबर 2022 । केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत ने कहा कि आज गंगा को छोडक़र देश की सभी नदियां मानसून पर निर्भर हैं। ऐसे में पानी का अंडर ग्राउंड रिसोर्स पैदा करना सुबसे बड़ी चुनौती है। भविष्य की परिस्थितियों को देखते हुए हमें अभी से ही यह सोचने की आवश्यकता है कि जमीनी स्तर पर पानी को कैसे सहेजा जाए। इस दिशा में योजना बनाकर काम करने की आवश्यकता है। शेखावत भारतीय जैन संघटना के शनिवार से शुरु हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन को मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधित कर रहे थे।

इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर अधिवेशन का आगाज किया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश का वाचन किया गया। अतिथियों ने सोविनियर का विमोचन किया। समारोह को गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के साथ भारतीय जैन संघटना के संस्थापक शांतिलाल मुथ्था, राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र लूंकड़, बीजेएस प्रदेशाध्यक्ष राजकुमार फत्तावत, अभय श्रीश्रीमाल अध्यक्ष जीतो एपेक्स आदि ने भी संबोधित किया।

जल शक्ति मंत्री शेखावत ने कहा कि जैन संघटना के संस्थापक शांतिलाल मुथ्था द्वारा 35 वर्ष से किए जा रहे प्रयासों सराहना करते हुए कहा कि कोई भी काम बिना इच्छाशक्ति के पूर्णता की ओर नहीं बढ़ता है, इसके लिए आवश्यक है कि सामूहिक तौर पर सभी इसमें अपनी सहभागिता का निर्वाह करें। आज भारत को गुलामी से मुक्त हुए 75 साल बीत चुके हैं। इतने वर्षों के दौरान देश के विकास में सरकारों के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ सेवाभावी लोगों का पूरा सहयोग रहा है। यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि हम आचरण, व्यवहार से सर्वत्र समर्पण के प्रति जागरुक रहते हैं। ऐसे में हम ऐसा काम करें कि समाज के सष्टिजन हम पर विश्वास कर सके।

मानसून का क्लाइमेट परिवर्तित, समस्याएं और पैदा होगी 

केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि गत कुछ वर्षों से यह देखा जा रहा है कि मानसून का क्लाइमेट पूरी तरह से परिवर्तित हो गया है। जहां पहले चार माह तक मानसून की बारिश होती थी, वह आज 20 से 25 दिनों में सिमट कर रह गई है। ऐसे हालातों से निपटने के लिए हमें आज से ही सोचना है। वैज्ञानिक नीति के साथ यह भी देखना है कि जमीनी जल स्तर को बढ़ाने के लिए क्या किया जा सके। उन्होंने कहा कि पीने के साथ खेती के लिए पानी का संरक्षण किया जाना आवश्यक हो गया है। उन्होंने पीढिय़ों से चली आ रही पानी बचाने की कवायद को वर्तमान पीढ़ी द्वारा भूल जाने की परंपरा को अमानत में खयानत की संज्ञा दी और कहा कि यदि हमारे पुरखों की सोच भविष्य को लेकर दूरदर्शी नहीं होती तो शायद आज स्थिति और भयावह होती।

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि पानी को सुरक्षित रखने के लिए केवल पांच सालों की सरकारों पर निर्भर न रहकर उसकी बजाय समाज और विभिन्न संगठन बागडोर संभालें तो इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि पानी को बचाने और शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए हम क्या कर रहे है और कहां हमसे कमी रह गई है, इसके लिए भी समीक्षा की जानी चाहिए। नदियों के पास शहर बस गए है। चलते पानी पर रुकावटें पैदा हो रही है। बांधों पर एनीकट बन गए हैं तो पानी चल नही रहा है, रुक गया है।

राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि मेवाड़ की धरा पर भारतीय जैन संघटना का दो दिवसीय अधिवेशन होना सौभाग्य की बात है। वैसे भी यहां की धरा त्याग और बलिदान की द्योतक रही है। यह महाराणा प्रताप की धरती है, जिन्होंने अपने संघर्ष से मेवाड़ की आन-बान और शान की रक्षा की। पन्नाधाय ने अपने पुत्र का बलिदान देकर मेवाड़ की गौरवशाली परंपरा को अक्षुण्ण बनाए रखा और उदयसिंह को बचाकर इतिहास बदला। यदि आज उदयसिंह नहीं होते तो हालात दूसरे होते।

वक्ताओं ने कहा कि संगठन ने 37 वर्षों के अपने इतिहास में मुख्य रूप से आपदा प्रबंधन, सामाजिक विकास और शैक्षणिक कार्यों के सम्बन्ध में राष्ट्रीय स्तर पर कार्य किए हैं। संगठन का मुख्य आधार कार्यकर्ताओं का विशाल नेटवर्क है। इस संस्था में एक लाख से अधिक कार्यकर्ता एवं 500 से अधिक विशेषज्ञ प्रोफेशनल व कर्मचारी पुना स्थित कार्यालय में कार्यरत है। संस्था का प्रत्येक दो वर्षों में राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित होता है जिसमें पिछले कार्यों की समीक्षा एवं आगामी वर्षों का रोडमेप तैयार किया जाता है। यह अधिवेशन केवल इंवेन्ट नहीं वरन सम्पूर्ण राष्ट्र में मूवमेन्ट का कार्य करेगा। इसमें भारत के 100 जिलों में जल संवर्धन का एमओयू, मूल्यवर्धन शिक्षा का स्केल तैयार करना तथा सामाजिक क्षेत्र के ज्वलंत मुद्दों पर चिंतन-मंथन मुख्य है।    

समारोह  में डॉ. अभय फिरोदिया चेयरमेन फोर्स मोटर्स, वल्लभ भंसाली प्रबधंन निदेशक ईनाम सिक्योरिटी, अरूण जैन सीएमडी इंटलेक्ट डिजाईन अरहना लिमिटेड, प्रदीप राठौड़ सेलोवल्र्ड गु्रप मुम्बई, डॉ. चेनराज जैन चांसलर जैन युनिवर्सिटी बैंगलोर, विजय दरड़ा चेयरमैन लोकमत मीडिया, अविनाश मिश्रा सलाहकार नीति आयोग, डॉ. अख्तर बादशाह वाशिंगटन विश्वविद्यालय सहित देशभर के 100 से अधिक उद्योगपति, शिक्षाविद्, ब्यूरोकैट्स एवं जनप्रतिनिधि मौजूद थे।

पानी की नहीं, बल्कि नियोजन की कमी 

केंद्रीय सडक़ और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने अपने वर्चअल संबोधन में कहा कि देश में पानी की कहीं कमी नहीं है। कमी है तो नियोजन की। अगर हम सही नियोजन से योजनाओं को धरातल पर लाएंगे तो इसके सुखद परिणाम भी सामने आएंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से आम आदमी अपने धन को भविष्य देखकर सुरक्षित रखने खाते खुलवाता है उसी तरह से हमें पानी को सहेजने के लिए जमीनी स्तर पर इसे सुरक्षित करखने का प्रयास करना होगा, ताकि संकट के समय इसका सदुपयोग किया जा सके। उन्होंने भारतीय जैन संघटना के संस्थापक शांतिलाल मुथ्था को आईकॉन की संज्ञा दी और समाजजनों से आहृवान किया कि वे भी उन्हीं की तरह सेवाभावी बने। मुथ्था को वे गत 35 सालों से जानते हैं, जिन्होंने मात्र 31 साल की आयु में अपना बिजनेस छोडक़र समाज सेवा को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया और आज इनकी तपस्या रंग ला रही है।
 

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