उदयपुर,16 अक्टूबर । पुरोहितों की मादड़ी में गाडिया-लौहार बस्ती के पास आरक्षित भूमि पर यूआईटी की ओर से निर्माणाधीन पार्क का काम विवादों में आ गया है। दूसरी ओर गाडिया लौहार योजना से खुद को वंचित बताते हुए एक परिवार ने इसी जमीन के पट्टे के लिए यूआईटी में आवेदन कर रखा है। परिवार का दावा है कि उसका इस जमीन पर वर्ष 2003 से कब्जा है।
विवाद में वार्ड पार्षद कमलेश मेहता का कहना है कि गाड़ियों लौहारों को बसाने के साथ पार्क को विकसित करने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया था। यूआईटी सिविल विंग की ओर से करीब 2500 वर्ग फीट की इस जमीन पर छह लाख की लागत से पार्क विकसित किया जा रहा है।
गाडिया लौहार विकास समिति ने संभागीय आयुक्त कार्यालय को शिकायत की। इसके बाद अतिरिक्त संभागीय आयुक्त महावीर खराड़ी ने समिति की चिट्ठी का हवाला देकर यूआईटी सचिव से मौके की वस्तु स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा है। समिति सचिव श्रवण कुमार का दावा है कि संभागीय आयुक्त कार्यालय ने यूआईटी को मौके पर काम रोकने के निर्देश दिए गए हैं, जबकि यूआईटी के अफसर कोई आदेश मिलने से इनकार कर रहे हैं।
काम बंद करने के आदेश नहीं मिले : यूआईटी एईएन
यूआईटी के एईएन प्रभुलाल सुथार का कहना है कि पार्क का निर्माण कार्य जारी है। सचिव की ओर से काम बंद कराने के कोई निर्देश नहीं मिले हैं। यूआईटी की बसाई हुई कॉलोनी में संबंधित जमीन रिजर्व लैंड बोल रही है। एक साल पहले तत्कालीन तहसीलदार विमलेंद्रसिंह ने अतिक्रमी का कब्जा हटाया था और यहां बाउंड्रीवॉल बनाई थी।
कलेक्टर की मध्यस्थता के बाद जनसुनवाई में भी यह मुद्दा उठा था। इसके बाद पार्क विकसित करने के लिए बजट जारी हुआ है। उधर, समिति सचिव श्रवण कुमार ने कहा कि वर्ष 2003 में गाडिया लौहार योजना के तहत करीब 85 परिवारों को यूआईटी ने यहां पानेरियों की मादड़ी क्षेत्र में बसाया था। तभी राजू पुत्र रामचंद्र भी इस भूखंड पर आकर बसा था। इसके बाद यूआईटी ने सभी बसाए गए परिवारों को जमीन के पट्टे दे दिए, लेकिन राजू छूट गया था। अब उसने आवेदन किया हुआ है।
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