चित्तौड़गढ़ जिले के रावतभाटा में राजस्थान परमाणु बिजली घर में मजदूरों के शोषण से जुड़ा मामला सामने आया है। ठेकेदार मोहम्मद वसीम पर मजदूरों का तकरीबन 2 साल से पी.ए.फ और ई.एस.आई जमा नहीं करने का आरोप है।
मजदूरों द्वारा बताया गया है ठेकेदार द्वारा काम पर रखने के एवज में पहले 20 हजार से 30 हजार रुपए लिए जाते है उसके हर महीने दो से 3000 रुपए देने पड़ते हैं अगर कोई मजदूर आवाज उठाता है तो उसकी आवाज को दबाने की लिए ठेकेदार के गुर्गों द्वारा धमकी दी जाती है अगर तब भी मजदूर ना माना तो उसे बिना वजह काम से निकाल दिया जाता है उसके बाद मजदूर दर दर की ठोकरे खाए उसकी सुध कोई नहीं लेता।
सालों से परमाणु बिजलीघर में यह घूसखोरी का गोरखधंधा चले आ रहा है जिसमें ठेकेदार स्थानीय प्रशासन और नेताओं की शरण में ऐसे घिनौने कृत्य कर रहे है। ठेकेदार द्वारा साफ अक्षरों में मजदूर को धमकी दी जाती है कि अगर वह पैसा नहीं देगा तो उसे काम से निकाल दिया जाएगा। फिर वह चाहे जहां जाए नेता हो या परमाणु बिजली घर के अधिकारी सब उसकी जेब में और अगर पैसा दोगे तभी काम पर रखा जाएगा।
इसी तरह की घटना आज देखने को मिली है जिसमें दो मजदूरों से पैसा मांगा जाता है और उनके मना करने पर उनको काम से निकालने की धमकी दी जाती है और बिजली घर में प्रवेश नहीं दिया जाता। जिसकी शिकायत लेकर मजदूर श्रमिकों के यूनियन ऑफिस पहुंचते हैं और ठेकेदार की शिकायत देते हैं।
मजदूरों द्वारा आरोप लगाए गए है की ठेकेदार मोहम्मद वसीम खान द्वारा जेबी कंस्ट्रक्शन कंपनी से सप्लाई का काम लेकर उन्हें रखा गया था और वसीम द्वारा परमाणु बिजलीघर के कर्मचारी राजेश शर्मा के साथ मिलकर उनका पीएफ और ई.एस.आई का पैसा तकरीबन 2 साल से गोलमाल करके और पागल बना कर रोका गया है जिसकी कोई जांच नहीं हो पा रही है।
मज़दूरों ने आरोप लगाया की यह पैसा तकरीबन 50 लाख से ऊपर है जो की वसीम खान द्वारा परमाणु बिजलीघर में सेटिंग करके खाया जा रहा है। परमाणु बिजली घर में 200 से ज्यादा ठेकेदार है और ऐसा घिनौना कृत्य लगभग हर ठेके में देखने को मिल रहा है। परमाणु बिजलीघर का प्रशासन आंखों में पट्टी बांधकर बैठा हुआ है और मजदूरों का शोषण होता आ रहा है पर इस ओर किसी भी जिम्मेदार का कोई ध्यान नही है।
मज़दूरों ने बताया कि पूर्व में भी जब श्रमिकों द्वारा बड़े आंदोलन किए गए तब भी परमाणु बिजलीघर प्रशासन द्वारा ठेकेदारों पर कार्रवाई करना तो दूर उल्टा और जो श्रमिकों ने आवाज उठाई कुछ चुनिंदा दबंग श्रमिकों को नौकरी से निकाल दिया गया जिनमें से आज भी वह श्रमिक परमाणु बिजली घर से ब्लैकलिस्टेड है। वजह सिर्फ इतनी सी थी कि उन्होंने इन परमाणु बिजली घर के गोद लिए हुए ठेकेदारों के खिलाफ आवाज उठाई थी। उनमें से कुछ श्रमिक आज भी दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं और कुछ रावतभाटा से पलायन कर चुके हैं जिनमें से कुछ श्रमिक रावतभाटा से 60 किलोमीटर दूर जाकर कोटा में मजदूरी कर रहे हैं।
मज़दूरों ने आरोप लगाया की ऐसे में प्रशासन से मिली भगत का अंदेशा तो साफ नजर आ रहा है। परंतु नेता भी अपने भाषणों के अलावा जमीनी स्तर पर कोई दम नहीं दिखा पाए। पूर्व विधायक अपने जोशीले भाषणों से जीते तो जरूर थे परंतु ठेकेदारों पर कार्रवाई करने की वजह खुद ही ठेकेदार बन बैठे। सूत्रों से जानकारी मिली थी कि उनकी भी कुछ फर्म करोड़ों का काम कर रही है। ऐसे में रावतभाटा की जनता बेबस हो चुकी है जनता अब किसके दरवाजे खटखटाए जो ऐसे भ्रष्टाचारी परमाणु बिजलीघर प्रशासन पर लगाम लगा सके।
इस पूरे मामले को लेकर मजदूरों द्वारा अब शिकायत पीएमओ ऑफिस,लेबर ऑफिस पीएफ कमिश्नर,ई.स.आई डायरेक्टर ,पुलिस अधीक्षक चित्तौड़गढ़ सहित अन्य विभाग में दी गई है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि मजदूरों की पीड़ा कौन सुनेगा या फिर परमाणु बिजलीघर प्रशासन हर बार की तरह इस बार भी आंखों पर पट्टी बांधकर रसूखदार ठेकेदार की गोद में बैठा रहेगा।
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