उदयपुर 3 अगस्त 2024। पिछले 6 वर्ष से ट्रांजिट पास की समस्याओं से जूझ रहे राजस्थान मिनरल प्रोसेसर एसोसिएशन के लगभग 100 सदस्य अपनी इकाईयों को बंद करके, अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल व महासचिव रोहित मेहता के नेतृत्व में डीएमजी से मिले व घेराव किया।
डीएमजी से मिलकर संगठन के अध्यक्ष गोपाल अग्रवाल ने यह बताया कि राजस्थान सरकार द्वारा लगभग 29-30 प्रकार के अप्रधान खनिज पर ट्रांजिट पास की व्यवस्था लागू की गई है लेकिन खान विभाग सिर्फ चुनिंदा चार या पांच अप्रधान खनिज के व्यापारियों को ही परेशान कर रहा है बाकी अन्य करीब 25 तरह के अप्रधान खनिज के व्यापारियों को रियायत दे रखी है जब कानून सभी के लिए बना है तो कानून की पालना करने में ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि मिनरल प्रोसेसर की इकाइयां खान विभाग के अंतर्गत नहीं आकार, उद्योग विभाग के अंतर्गत आते हैं लेकिन खान विभाग ने डीलर की परिभाषा को परिवर्तित करवा के सभी मिनरल प्रोसेसर इकाइयों को अपने अधिकृत करने का जो प्रयास किया है उसकी वजह से आज मिनरल ग्राइंडिंग उद्योग भारी संकट से जूझ रहा है। कुछ मिनरल ग्राइंडिंग इकाइयां तो राजस्थान राज्य से पलायन भी कर चुकी है और कुछ ने गुजरात सीमा पर जमीन लेकर अपने प्लांट लगाने की कार्यवाही शुरू कर दी है जिससे गुजरात राज्य में सुगमता से कार्य किया जा सके। यदि ऐसा होता है तो राजस्थान सरकार को राजस्व का नुकसान तो होगा ही साथ में रोजगार का नुकसान भी होगा जिसकी जवाबदेही राजस्थान सरकार की होगी।
संगठन के अध्यक्ष गोपाल अग्रवालने बताया की आज जब बात गले तक आ गई तो सभी व्यापारी अपने प्रतिष्ठान बंद करके एकजुट होकर डीएमजी कार्यालय पहुंचे और डीएमजी से मिलकर यह विरोध जताया कि या तो सभी मिनरल पर ट्रांजिट पास लागू किया जाए या सभी पर हटाया जाए। कानून सभी पर समान रूप से लागू किया जाए।
व्यापारियों ने बताया कि खान विभाग ने वार्षिक शुल्क 25000 रूपए लगाया था जिसका विरोध होने पर सरकार ने वार्षिक शुल्क 15000 कर दिया। लेकिन जब डीएमजी से पूछा गया कि आप हमें क्या सेवाएं दे रहे हैं जिससे बदले आप हमसे वार्षिक चाहते हैं उल्टा ट्रांजिट पास बनाकर हम आपकी मदद कर रहे हैं इसलिए वार्षिक शुल्क या अन्य किसी भी तरह का शुल्क लेने का आपका अधिकार नहीं बनता है। वार्षिक शुल्क लगाने का निर्णय विभाग व सरकार का सरासर गलत और असंवैधानिक है जो हमारे व्यापार करने में बाधा उत्पन्न कर रहा है। व्यापारियों ने यह भी बताया ट्रांसिट पास पोर्टल की कमियों के चलते उनकी रोजमर्रा की जिंदगी वह सामाजिक जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है।
व्यापारियों न बताया कि एक औद्योगिक इकाई पर करीब 17 विभाग लगते हैं यदि सभी विभाग अपने पोर्टल का इस्तेमाल करने के लिए 20 या 25 हजार वार्षिक शुल्क की मांग करने लगे, तो एक व्यापारी को करीब करीब 3 से 4 लाख रूपये तो सिर्फ सरकार को पोर्टल इस्तेमाल करने के लिए ही जमा करने पड़ेंगे। उसके बाद वह अपने घर परिवार और बच्चों की तरफ देख पाएगा।
पिछले 6 वर्ष से विभाग को पोर्टल की विभिन्न खामियों से अवगत करवाने के बावजूद भी उसमें कोई सुधार नहीं किया गया। सभी मिनरल पाउडर व्यापारियों ने सरकार को सहयोग करने के लिए पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाया, लेकिन इसके उलट जिन व्यापारीयों ने रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया उन्हें कोई तकलीफ नहीं है और जो रजिस्टर्ड व्यापारी है उन्हें परेशान किया जा रहा है।
इस पूरी चर्चा के बाद डीएमजी भगवती प्रसाद द्वारा यह आश्वासन दिया गया कि आपकी सभी समस्याएं वाजिब है और इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए हम सरकार से चर्चा कर रहे हैं और जल्द ही आपकी सभी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास किया जाएगा। जिस पर सभी मिनरल व्यापारियों ने यह निश्चय किया यदि 10 दिनों में ट्रांजिट पास की समस्या का समाधान नहीं हुआ तो 10 दिनों बाद पुनः डीएमडी ऑफिस का घेराव किया जाएगा।
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