उदयपुर 10 अप्रैल 2024। शहर में पहाड़ी के टॉप पर स्थित नीमचमाता मंदिर जाने वाले रास्ते पर आज सीमेंट की रेलिंग टूट गई। इस दौरान वहां फोटो शूट करवा रहे 6 जने एकाएक नीचे गिर गए। उनको चोटे लगी। प्रत्यक्षदर्शियों बताया कि अधिकतर जगह पर रेलिंग जर्जर हो चुकी है जिसे तत्काल ठीक कराने की जरूरत है नहीं तो कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
शहर की फतहसागर झील के देवाली छोर से करीब साढ़े तीन किलोमीटर दूरी पर पहाड़ी के ऊपर यह मंदिर है। इस मंदिर में जाने के लिए देवाली छोर के आगे नीचे पैदल चढ़ाई होती है।
आज सुबह करीब साढ़े सात बजे के आसपास सीढ़ियों के सहारे उदयपुर शहर के युवाओं का एक ग्रुप खड़ा था और सभी रेलिंग के फ्रंट में खड़े रहकर मोबाइल में फोटो खिंचचा रहे थे तब एकाएक धड़ाम से गिरी रेलिंग के साथ वे गिर गए। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उस रेलिंग के पास खड़े लोगों ने पूरा जोर रेलिंग पर नहीं दिया था लेकिन रेलिंग जर्जर होने से गिर गई।
उदयपुर शहर के 6 युवा एक साथ आए थे और वे सब ही गिर गए। उनके हाथ और पैर में चोट आई। प्रत्यक्षदर्शी संपत बोहरा ने बताया कि वे यहां आते ही रहते है और रेलिंग इतनी जर्जर है कि सीमेंट के मुटाम गिरते ही रहते है। बोहरा ने बताया कि जर्जर रेलिंग को ठीक कराना चाहिए। इस घटना के बाद बोहरा स्वयं मंदिर में जाकर पुजारी और अन्य को बोलकर आए कि लोग गिर रहे है इसे ठीक कराया जाए।
सीढ़ियों से पैदल होती है 800 मीटर की चढ़ाई
नीमचमाता दर्शन के लिए देवाली से चढ़ाई शुरू होती है। करीब 800 मीटर के आस पास जो चढ़ाई का रास्ता है उसको सीढ़ियों के जरिए पार करना होता है। सीढ़ियों के दोनों तरफ रेलिंग है और उसके पीछे नीमचमाता का जंगल है। 26 जनवरी से यहां रोपवे भी शुरू हो गया है। टूरिस्ट और जो पैदल नहीं जा पाते है वे रोपवे से यात्रा करते है और मंदिर में दर्शन करने भी चले जाते है। नीमच माता के टॉप से फतहसागर झील, आसपास की वादियों से लेकर शहर का व्यू अच्छा दिखता है।
देवस्थान विभाग का मंदिर है
नीमचमाता मंदिर देवस्थान विभाग के अधीन है। राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार के इस मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तों का आना—जाना रहता है। यहां सुबह के समय सबसे ज्यादा भीड़ होती है। वॉक के लिए भी यहां शहरवासी आते है और दर्शन भी कर लेते है।
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