News-ज़िला प्रशासन और पुलिस का ज़िला कारागृह में औचक निरीक्षण, सुरक्षा व्यवस्था संतोषजनक
राजसमंद ज़िला प्रशासन और पुलिस ने आज संयुक्त रूप से ज़िला कारागृह का औचक निरीक्षण किया। इस निरीक्षण का उद्देश्य कारागृह की सुरक्षा व्यवस्था और आंतरिक प्रबंधन का जायजा लेना था।निरीक्षण दल में राजनगर थाना प्रभारी सवाई सिंह, कांकरोली महिला थाना प्रभारी संगीता बंजारा, तहसीलदार राजसमंद विजय कुमार, इंस्पेक्टर और राजनगर व कांकरोली थाने के पुलिस जवान शामिल थे।
निरीक्षण के दौरान कारागृह के सभी बैरकों, रसोई, अस्पताल और अन्य परिसरों की गहन जांच की गई। अधिकारियों ने कैदियों से बातचीत कर उनकी समस्याओं और सुविधाओं के बारे में जानकारी ली। निरीक्षण के उपरांत अधिकारियों ने बताया कि जिला कारागृह में किसी भी प्रकार की संदिग्ध वस्तुएं नहीं पाई गईं। उन्होंने कारागृह की सुरक्षा व्यवस्था और आंतरिक प्रबंधन को संतोषजनक पाया।
ज़िला जज और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने कारागृह कर्मचारियों के कार्यों की प्रशंसा की और उन्हें इसी प्रकार कर्तव्यनिष्ठ होकर कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। साथ ही, कारागृह को और भी बेहतर बनाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए गए। इस औचक निरीक्षण से ज़िला कारागृह की सुरक्षा व्यवस्था और प्रबंधन की नियमित निगरानी सुनिश्चित करने का संदेश दिया गया है।
News-प्रताप जयंती की पूर्व संध्या पर गांधी पार्क में सजी काव्य निशा
राजसमंद। महाराणा प्रताप की 485वीं जयंती की पूर्व संध्या पर राजसमंद में साहित्यिक रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन हुआ। अखिल भारतीय साहित्य परिषद और काव्य गोष्ठी मंच राजसमंद के संयुक्त तत्वावधान में गांधी पार्क में "एक शाम महाराणा प्रताप के नाम" काव्य निशा का आयोजन किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार प्रमोद सनाढ्य 'प्रमोद' ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। काव्य गोष्ठी मंच के अध्यक्ष सतीश आचार्य ने बताया कि इस विशेष काव्य संध्या में अनेक कवियों ने अपनी रचनाओं से वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के शौर्य, बलिदान और देशभक्ति के जज्बे को याद किया।
गोष्ठी में सूर्य प्रकाश दीक्षित, सतीश आचार्य, जितेंद्र पालीवाल, शेख अब्दुल हमीद, गोपाल शर्मा, लता आमेटा और ज्योत्सना पोखरना सहित कई जाने-माने कवियों ने अपनी ओजस्वी कविताओं का पाठ किया, जिसे सुनकर उपस्थित श्रोता भावविभोर हो उठे। कवियों ने महाराणा प्रताप के जीवन के विभिन्न पहलुओं और उनके त्याग को अपनी रचनाओं में बखूबी पिरोया।यह काव्य निशा महाराणा प्रताप की जयंती समारोह के पूर्व एक साहित्यिक श्रद्धांजलि के रूप में आयोजित की गई, जिसमें साहित्य और कला प्रेमियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
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