News-अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी का 43वां स्थापना दिवस आयोजित
राजसमंद। मुनिश्री प्रकाशकुमार के सान्निध्य व जिला कलेक्टर बालमुकुंद असावा के मुख्य आतिथ्य में अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी का 43 वां स्थापना दिवस आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता अणुविभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष प्रतापसिंह दूगड़ ने की। कार्यक्रम में राजसमंद क्षेत्र के साथ ही नाथद्वारा, उदयपुर, भीलवाड़ा, आमेट, रीछेड़, कुम्भलगढ़, पुर, दिवेर, सरदारगढ़ से बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति रही।
मुनि श्री प्रकाशकुमार ने अपने उद्बोधन में कहा कि अणुव्रत एक मानवतावादी कार्यक्रम है जो अहिंसा, प्रामाणिकता, सद्भाव, नशामुक्ति, पर्यावरण जैसे मूल्यों को व्यक्ति व समाज में प्रतिष्ठापित करता है। उन्होंने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि पचास वर्ष पूर्व इसी पहाड़ की चट्टानों पर बैठकर मैं ध्यान किया करता था। यहाँ अणुविभा का यह सुन्दर केन्द्र विकसित हुआ है, यह अद्भुत है। उन्होंने इसके सृजन एवं विकास के लिये संस्थापक श्री मोहनभाई की निस्वार्थ सेवाओं को याद किया।
जिला कलक्टर बालमुकुंद असावा ने समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि अणुविभा जिन उद्देश्यों को लेकर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में जो कार्य कर रही है, वे प्रशंसनीय हैं। उन्होंने राजसमंद के इस केन्द्र में संचालित बालोदय प्रवृतियों को बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिये महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने आह्वान किया कि अणुविभा इन कल्याणकारी कार्यक्रमों को व्यावहारिक धरातल पर उतारने हेतु इस क्षेत्र में और भी रचनात्मक कार्यक्रम हाथ में ले तो प्रशासन निश्चय ही उनमें सहयोगी बनेगा।
अणुविभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रतापसिंह दूगड़ ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि अणुविभा एक विशाल संस्था है। जिसके बहुविध कार्यक्रमों को हम सब कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढा़ने में सफल होंगे, यह मेरा दृढ़ विश्वास है। अणुविभा मुख्यालय में विकसित की गई बालोदय दीर्घाओं का आज मैंने बारीकी से अवलोकन किया है। यहाँ हर इंच में बाल पीढ़ी के सर्वांगीण विकास हेतु प्रेरक तत्व मौजूद हैं। आने वाले दिनों में हम इन दीर्घाओं को आधुनिक स्वरूप देने का प्रयास करेंगे।
इस अवसर पर उपस्थित अणुविभा के निवर्तमान अध्यक्ष अविनाश नाहर व निवर्तमान महामंत्री भीखम सुराणा ने नव अध्यक्ष प्रतापसिंह दूगड़ व नव महामंत्री मनोज सिंघवी को दायित्व हस्तांतरण करते हुए संस्था के महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों की फाईल सौंपी। निवर्तमान अध्यक्ष ने नई टीम को बधाई देते हुए उनके सफल कार्यकाल की कामना की। उन्होंने कहा कि संस्था के गौरवशाली इतिहास व इसकी नींव के पत्थरों से प्रेरणा लेते हुए हमें आगे बढ़ना है।
कार्यक्रम में मुनि श्री धैर्यकुमार, अणुव्रत गौरव डॉ. बसन्तीलाल बाबेल, उपाध्यक्ष विनोद कोठारी, महामंत्री मनोज सिंघवी, अणुव्रत महासमिति के पूर्व अध्यक्ष अशोक डूंगरवाल, निवर्तमान महामंत्री भीखम सुराणा, अणुव्रत समिति राजसमंद के अध्यक्ष अचल धर्मावत ने भी अपने विचार व्यक्त किये तथा अणुव्रत के दर्शन को जन-जन में फैलाने में अणुविभा की रचनात्मक भूमिका को रेखांकित किया।
साहित्यकार अफजल खां अफजल व नरेन्द्र शर्मा निर्मल, दिनेश श्रीमाली, शिक्षाविद् डॉ.राकेश तैलंग ने अणुविभा के प्रारम्भिक काल से जुडे़ अपने अनुभव व अणुविभा के संस्थापक मोहनभाई के व्यक्तित्व को याद करते हुए इस संस्था के निर्माण व इसकी विश्व व्यापी पहचान को राजसमंद क्षेत्र के लिये अत्यंत गौरवपूर्ण बताया।
प्रारम्भ में अणुव्रत समिति की बहनों ने अणुव्रत गीत प्रस्तुत किया व अध्यक्ष प्रतापसिंह दूगड़ ने आचार संहिता का वाचन किया जिसे उपस्थित जनसमुदाय ने दोहराकर अणुव्रत नियमों के प्रति अपनी वचनबद्धता व्यक्त की। उपाध्यक्ष डॉ. विमल कावड़िया ने स्वागत वक्तव्य दिया। डॉ. सीमा कावड़िया ने बालोदय शिविर, अभिषेक कोठारी ने बालोदय एज्यूटूर, डॉ. राकेश तैलंग ने स्कूल विद ए डिफ्रेंस व प्रकाश तातेड़ ने बच्चों का देश आदि अणुविभा की बाल केन्द्रित प्रवृतियों की जानकारी दी। इस अवसर पर बालोदय कार्यक्रम पर डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शित की गई।
इस अवसर पर अनेक स्कूलों के प्रिंसिपल व अध्यापक उपस्थित थे जिन्हें जिला कलक्टर के हाथों से उनके बालोदय कार्यक्रमों में सहभागिता हेतु सम्मानित किया गया। ‘बच्चों का देश‘ के रजत जयन्ती समारोह में देशभर के प्रतिश्ठित 100 साहित्यकारों द्वारा 31 विद्यालयों में 10 हजार से अधिक बच्चों के साथ साहित्य संवाद के कार्यक्रमों में उनकी सहभागिता हेतु स्मृति चिह्न प्रदान किए गए।
कार्यक्रम का संचालन अणुविभा के पूर्व अध्यक्ष एवं अणुव्रत व बच्चों का देश पत्रिकाओं के सम्पादक संचय जैन ने किया। इस अवसर पर अणुव्रत गौरव डॉ. महेन्द्र कर्णावट, अणुविभा के पंचमंडल सदस्य गणेश कच्छारा सहमंत्री जगजीवन चौरड़िया हर्शलाल नवलखा, अध्यक्ष भिक्षु बोधि स्थल, राजसमंद, धनेंद्र मेहता, मंत्री जैन श्वताम्बर तेरापंथ सभा कांकरोली, जीतमल कच्छारा, चतुर कोठारी, गणपत धर्मावत, मदन धोका, शांतिलाल कोठारी, कमलेश कच्छारा, हंसमुख कावड़िया, राजकुमार दक, विकास मादरेचा, हिम्मत मेहता सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
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