राजू भाई 44 सालों से बच्चो को सीखा रहे तैराकी के गुर


राजू भाई 44 सालों से बच्चो को सीखा रहे तैराकी के गुर 

पिछले 44 वर्षों से राजू भाई निःशुल्क तैराकी सीखाने का काम करते हैं।
 
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उदयपुर के राजू भाई इतने जुनूनी है कि उन्होंने करीब 44 साल पहले निशुल्क तैराकी प्रशिक्षण शुरू किया और वह हजारों बच्चों को तैराक बना चुके हैं। राजू भाई फतेहसागर झील में बच्चों को तैरना सीखने हैं और बड़ी बात यह है कि पिछले कई वर्षों से माता-पिता भी उन पर विश्वास करते हुए बच्चों को फतेहसागर झील में तैरने की स्वीकृति देते हैं।

गर्मी का मौसम बढ़ने के साथ ही फतेहसागर झील पर सुबह-सुबह मॉर्निंग वॉकर्स के साथ-साथ तैराकी करने वाले लोगों की भी संख्या बढ़ने लगी है। यही नहीं नन्हे मुन्ने बच्चे भी फतेहसागर झील में तैराकी सीखने के लिए पहुंचते हैं, क्योंकि यहां पिछले 44 वर्षों से राजू भाई निःशुल्क तैराकी सीखाने का काम करते हैं। राजू भाई की कोई तैराकी की अकादमी नहीं है बल्कि वह फतहसागर की पाल पर बैठते हैं और कोई भी माता-पिता तैराकी के लिए बच्चों को फतेहसागर लेकर आता है तो वह पूरे सुरक्षा इंतेजामत के साथ उन्हें सीखाना स्वीकार कर लेते हैं l

1980 में राजू भाई ने फतेहसागर झील में तैराकी सीखाने का मानस बनाया और फिर यह लक्ष्य तय कर लिया कि वह औसतन एक तैराक रोजाना तैयार करेंगे। गर्मी के मौसम में राजू भाई के पास 200 से ज्यादा बच्चे एक साथ तैराकी सीखने के लिए आने लगते हैं, जिसमें 100 से ज्यादा बच्चे महज 15 दिन में फतेहसागर जैसी बड़ी झील में मछली की तरह तैरने लगते हैं। राजू भाई पर तैराकी सिखाने वाले नन्हे मुन्ने बच्चों के माता-पिता को भी इतना विश्वास है कि वह उन्हीं के भरोसे बच्चों को कई फीट गहरी झील के पानी में उतार देते हैं।

राजू भाई भी सुरक्षा के पूरे बंदोबस्त रखते हैं और उनके द्वारा तैयार किया जा रहे एक-एक तैराक का पूरा ध्यान रखते हुए पहले तो उन्हें किनारे पर ही तैरना सीखने हैं और फिर धीरे-धीरे पानी के बीच में तक ले जाने लगते हैं। यही नहीं राजू भाई के पास तैराकी सिखाने वाले सिर्फ बच्चे ही नहीं है बल्कि अब कई बड़े भी तैराकी सीखने के लिए राजू भाई से संपर्क करते हैं।

फतेहसागर की पाल पर बैठकर आते-जाते सभी से अभिवादन करने वाले राजू भाई इतने व्यवहार कुशल है कि उनके द्वारा तैयार किए गए तैराकी कई वर्षों बाद भी जब उनसे मिलते हैं तो पूरे उत्साह और आदर के साथ उनके चरण स्पर्श करते हैं। राजू भाई का मानना है वह कई दशकों से तैराकी करने के लिए फतेहसागर आ रहे हैं, और इसी बीच और ज्यादा तैराक तैयार करने की उनकी इच्छा ने एक जुनून पैदा किया जिसमें उन्हें काफी सफलता मिली है।

राजू भाई फतेहसागर की पाल पर बैठकर सुबह सुबह पूरे शरीर पर तेल मालिश करवाते हुए तैरने वाले बच्चों पर नजर गड़ाए रखते है। यह ईश्वर की यह कृपा रही की पिछले 44 वर्षों में एक भी हादसा घटित नहीं हुआ जिससे लोगो का राजू भाई पर विश्वास और बढ़ा है। 

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