उदयपुर 18 मई 2025। मानसून को पूरी तरह सक्रिय होने में कुछ ही दिनों का समय बचा है। ऐसे में झीलों के पेटे में विसर्जित समस्त कचरे, पॉलीथिन व अन्य गंदगी को प्रशासन तुरंत हटवाए। यह आग्रह रविवार को आयोजित झील संवाद में व्यक्त किए गए।
संवाद में जल विशेषज डॉ अनिल मेहता ने कहा कि पिछोला, फतेहसागर झीलें पेयजल का स्रोत हैं। इनमें होने वाला कचरा प्रदूषण सीधा पेयजल की गुणवत्ता को खराब कर रहा है। झील विकास प्राधिकरण के पूर्व सदस्य तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि सीसारमा नदी व झीलों के पेटे में जमा गंदगी को हटाने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास करना जरूरी है।
गांधी मानव कल्याण सोसायटी के निदेशक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि पिछोला की स्वच्छता की जिम्मेदारी निगम व फतेहसागर की जिम्मेदारी यूडीए की है। शिक्षाविद कुशल रावल ने कहा कि जो भी नागरिक व उद्यमी झीलों में कचरा विसर्जन कर रहे है वे पर्यावरण व नागरिक समाज के प्रति अपराध कर रहे हैं।
भूगोलविद डॉ भंवर विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि झीलों के आसपास के शहरी केचमेंट से तेज जल प्रवाह की संभावना होती है। ऐसे में पहली बरसात में ही विसर्जित कचरा जल मग्न हो जायेगा।
वरिष्ठ नागरिक द्रुपद सिंह ने झील पेटे में विसर्जित कचरे के प्रकार पर प्रकाश डाला। संवाद से पूर्व फतेहसागर उपरला तालाब पेटे में जमा कुछ कचरे को श्रमदान द्वारा एकत्रित किया गया।
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