नगर निगम की कार्रवाई पर दुकानदारों ने उठाया सवाल


नगर निगम की कार्रवाई पर दुकानदारों ने उठाया सवाल 

कोर्ट की डिक्री मिलने के बावजूद इमारत को सीज करने की कार्यवाही की गई

 
UMC

उदयपुर 19 दिसंबर 2024। शहर के हाथीपोल थाना क्षेत्र स्थित लोहा बाजार में बनी कुछ बेशकीमती दुकान के ऊपर नव निर्माण करने को लेकर एक परिवार द्वारा दूकानदरों से एनओसी पर हस्ताक्षर करने और निर्माण करवाने का मामला सामने आया है। इसको लेकर दुकानदारों ने निगम के अधिकारीयों पर भी कई सवाल खड़े किए है। 

इस मामले को लेकर एक दूकान के मालिक इकबाल हुसैन मंडीवाला के पुत्र फरहद हुसैन ने बताया की साल 2009 में जुल्फिकार अली (जल्लू भाई) नामक व्यक्ति ने उन्हें 4 दुकानों में से एक दूकान बेची थी, जहां वो अपना कारोबार चलाते है, लेकिन इन दुकानों की छत उन्होंने दुकानों को बेचने से पहले ही फ़खरुद्दीन अली नामक एक व्यक्ति को बेच दी थी जो की दुबई में रहते थे और जिनका देहांत हो चूका है।    

कुछ सालों के बाद जुल्फिकार अली ने सभी दुकानदारों से संपर्क किया और छत के ऊपर नव निर्माण करवाने की बात कहकर नो ऑब्जेक्शन के लिए स्टाम्प पर हस्ताक्षर भी करवा लिए थे। फरहद ने बताया की उस समय उन्होंने 2 फ्लोर बनाए जाने की बात कही थी, लेकिन बाद में उन्होंने एक और फ्लोर की परमिशन ले ली और बाद में एक और फ्लोर का निर्माण शुरू कर दिया। नए नक़्शे में मिलीभगत कर ग्राउंड फ्लोर पर बनी दुकानों जिन सभी के मालिक भी अलग अलग है और सभी के पास दुकानों की रजिस्ट्री के दस्तावेज भी है, को बिना जानकारी दिए कन्वर्जन शुल्क से बचने के लिए इन दुकानों को पार्किंग बता दिया।  

इस मामले कोर्ट द्वारा भी डिक्री दी जा चुकी है  

फरहद का कहना है की उस समय सभी दुकानदारों ने सहमति से उन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिए थे क्योंकी उन्हें ऊपर के निर्माण पर कोई आपत्ति नहीं थी। बाद में इनका राजीनामा भी हो गया। लेकिन अब निगम द्वारा 18 दिसंबर को इमारत पर नोटिस लगा दिया गया और गुरूवार को इमारत को सीज कर दिया गया। फरहद का कहना है की उन सभी द्वारा UDC Tax का भी नियमित रूप से भुगतान किया गया है। लेकिन उसके बावजूद कोर्ट की डिक्री मिलने के बावजूद इमारत को सीज करने की कार्यवाही की गई।  ऐसे में अब उनको कोर्ट से इंसाफ मिलने की उम्मीद है।   

जहां दुकानदारों ने निगम पर सवाल खड़े किये तो वहीं उनके अधिवक्ता एडवोकेट अरुण व्यास ने भी मीडिया से बात करते हुए कहा की इस इमारत के निर्माण स्वीकृति और निर्माण दोनों ही पूरी तरह से अवैध है। दुकाने पिछले 50 सालों से मौजूद है, कन्वर्जन को लेकर कोई ऑब्जेक्शन किया नहीं गया, नया कोई निर्माण नहीं किया गया, ऐसे में ऊपर की मंजिल के मालिक द्वारा निगम से दस्तावेज बनवाकर निर्माण करवाया गया, इसको लेकर एतराज करते हुए मुकदमा भी दर्ज हुआ। 

व्यास ने कहा की सारे तथ्य निगम के सामने आ गए थे फिर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई, यहां तक की जब इन दुकानों के रजिस्ट्री भी हुई है तो उन दस्तावेजों को कैसे नजरअंदाज किया गया। साथ ही इन्हे आदेश दिए गए थे की पहले जाँच करें और उसके बाद ही कोई कार्यवाही की जाए लेकिन कोई जाँच नहीं की गई। व्यास ने कहा की इसको लेकर जल्द ही आगे की रणनीति बनाकर कार्यवाही की जाएगी।

निगम से मिली जानकारी के अनुसार भवन में भू तल पर पार्किंग के स्थान पर चार दुकानों का निर्माण किया गया था वही एक अतिरिक्त मंजिल का भी निर्माण करवाया गया था। निगम द्वारा चारों दुकानों के साथ-साथ चतुर्थ फ्लोर को स्वीकृति विपरीत निर्माण मानते हुए राजस्थान पालिका अधिनियम 2009 की धारा (7) (च) के तहत उक्त भवन के अवैध निर्माण को सीज किया गया।
 

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