बांसवाड़ा 24 जून 2024। आदिम संस्कृति और शिल्प वैशिष्ट्य की धरा बांसवाड़ा जिले को उसकी भौगोलिक विशिष्टता के चलते अब एक नई पहचान मिलने जा रही है। संभागीय आयुक्त डाॅ. नीरज के. पवन की पहल पर बांसवाड़ा और डूंगरपुर जिलों में जिस-जिस स्थानों से कर्क रेखा गुजरती है, पर्यटन दृष्टि से महत्वपूर्ण ऐसे कुछ स्थानों पर ‘कर्क रेखा’ की अवस्थिति दर्शाने वाले साईन बोर्ड लगाए जा रहे हैं।
संभागीय आयुक्त डाॅ. नीरज के.पवन ने कहा कि हमारे लिए गौरव की बात हैं कि हम संपूर्ण ब्रह्माण्ड में उस स्थान पर है जहां से कर्क रेखा गुजरती है। इस भौगोलिक विशिष्टता की जानकारी जिले के बहुत ही कम लोगों को है ऐसे में हमारे इस गौरवशाली तथ्य को देश-दुनिया तक पहुंचाने की दृष्टि से बांसवाड़ा संभाग के उन प्रमुख स्थानों पर कर्क रेखा की अवस्थिति दर्शाने वाले साईन बोर्ड लगाए जा रहे है जिनके आसपास कोई पर्यटन स्थल है। यह कार्य जिले के विशेषज्ञों की टीम द्वारा किया जा रहा है और बहुत ही जल्द संभाग के दोनों जिलों में स्थानीय प्रशासन के सहयोग से यह बोर्ड लगा दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि ऐसा होने पर लोगों को अपनी भौगोलिक विशिष्टता के लिए गौरवबोध होगा।
इस तरह चली मुहिम
बांसवाड़ा में संभागीय आयुक्त का पदभार संभालने के तत्काल बाद डाॅ. पवन को जब बांसवाड़ा-डूंगरपुर जिले से कर्क रेखा गुजरने का तथ्य पता चला तो उन्हें इन स्थानों को देखने की उत्सुकता जताई परंतु विस्तृत जानकारी के अभाव में ऐसा न हो पाया। ऐसे में उन्होंने विशेषज्ञों व ऐसे कार्यों में रूचि रखने वालों से संपर्क किया और एक बैठक लेकर इस कार्य को पूर्ण करने की ठानी।
आरंभ में जीआईएस तकनीक से बांसवाड़ा के पर्यटन स्थलों पर शोध कर रहे बांसवाड़ा के ही प्रतिभावान युवा विरांच दवे और प्रेरणा उपाध्याय को कर्क रेखा पर अवस्थित पर्यटन स्थलों का डेटा तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी। इसके बाद श्री गोविंद गुरू राजकीय महाविद्यालय बांसवाड़ा के भूगोल विषय के सहायक आचार्य मेहताब सिंह राठौड़ से मदद ली गई तो उन्होंने 39 पृष्ठों में बांसवाड़ा में कर्क रेखा विषय पर विस्तृत प्रोजेक्ट तैयार कर सौंपा और इसके आधार पर चुनिंदा स्थानों की सूची तैयार कर बोर्ड लगाने का कार्य प्रारंभ किया।
पिछले सप्ताह भर में माही नदी पर महाराणा प्रताप सेतु (गेमन पुल), भंडारिया हनुमान मंदिर परिसर, बांसवाड़ा शहर में औद्योगिक क्षेत्र में आदित्य मार्बल के पास में बोर्ड स्थापित हो चुके हैं। इस कार्य में सेवानिवृत्त व्याख्याता रूपशंकर उपाध्याय, प्रेरणा उपाध्याय, विकास अधिकारी बापूलाल यादव और स्थानीय प्रशासन द्वारा सहयोग दिया जा रहा है।
इन स्थानों पर लगेंगे बोर्ड
संभागीय आयुक्त डाॅ. पवन ने बताया कि विशेषज्ञों के दल ने कर्क रेखा के समीप वाले पर्यटन महत्त्व के स्थलों की सूची तैयार की है जहां पर जीपीएस लोकेशन के आधार पर इन बोर्ड्स को लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि सूची अनुसार छत्रसालपुर, ठीकरिया, बोदला, बोरवट, गामड़ी, चैबीसों का पारडा, उमराई त्रिपुरा सुंदरी, शंभूपुरा, पाटन, जलदा, कुंवारिया, आमजा, टिमुरवा, जौलाना, रैयाणा, ओडावाड़ा, थाली तलाई, हड़मतिया हनुमानजी, अरथूना, कुशलकोट, उबली, गरियाता, नादिया श्री राम मंदिर, सेंडोला और आसपास के स्थानों पर जीपीएस लोकेशन के आधार पर लगाने की योजना बनी है। उन्होंने बताया कि लोकेशन के आधार पर कुछ स्थानों पर इसमें परिवर्तन भी किया जा सकता है।
वागड़ में 109.45 किलोमीटर है कर्क रेखा की लंबाई
जीआईएस मैप एक्सपर्ट और शोधार्थी विरांच दवे के अनुसार यह रेखा एक छोर से दूसरे छोर पर साढ़े 23 डिग्री उत्तरी देशांतर पर गुजरती है। राजस्थान में यह बांसवाड़ा व डूंगरपुर जिलों में यह कुल 109.45 किलोमीटर क्षेत्र से गुजरती है। बांसवाड़ा में इसका क्षेत्र 72.02 किलोमीटर तथा डूंगरपुर में इसका क्षेत्र 37.43 किलोमीटर है। उन्होंने बताया कि जीआईएस तकनीक के आधार पर वागड़ में इस रेखा के आसपास वाले पर्यटन स्थलों को चिह्नीत किया गया है।
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