हरियाली का सपना लेकर साइकिल पर सवार सुबोध पहुंचे उदयपुर


हरियाली का सपना लेकर साइकिल पर सवार सुबोध पहुंचे उदयपुर

इंडिया टू एवरेस्ट बेस कैम्प पर निकला है महाराष्ट्र का युवा

 
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उदयपुर 13 जून 2025। महाराष्ट्र के रोहा (रायगढ़) से इंडिया टू एवरेस्ट बेस कैम्प साइकिल यात्रा पर निकले पर्यावरण योद्धा, साहसी साइक्लिस्ट और प्रेरक वक्ता सुबोध विजय शुक्रवार को उदयपुर पहुंचे। सूचना केंद्र में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने अपने देशव्यापी अभियान के उद्देश्यों, अनुभवों और भावी योजनाओं को साझा किया।

सुबोध के उदयपुर पहुंचने पर अणुव्रत समिति के पदाधिकारियों ने उनका स्वागत किया। अणुव्रत समिति में आयोजित कार्यक्रम में सुबोध ने पर्यावरण संरक्षण तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिट इंडिया और देखो अपना देश अभियान पर चर्चा की।

यह है मिशन का उद्देश्य

प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए सुबोध ने बताया कि उनकी यात्रा का मूल उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जनजागृति तथा युवाओं को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करना है। इसके लिए देश के 28 राज्यों की साइकिल यात्रा के जरिए जन-जन तक पर्यावरण जागरूकता का संदेश पहुंचा रहे हैं तथा चेंज बिफॉर क्लाइमेट चेंज का आह्वान कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गत वर्ष 19 जून को रायगढ़ से यात्रा प्रारंभ की थी। अब तक भारत के 7 राज्यों का भ्रमण कर भरतपुर से राजस्थान से प्रवेश किया। अलवर, जयपुर, सीकर, फलौदी, बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर, पाली होते हुए उदयपुर पहुंचे। यहां से चित्तौडगढ़ होते हुए मध्यप्रदेश जाएंगे। इससे आगे छत्तीसगढ़, तेलंगाना, दक्षिण के तटीय क्षेत्र व उत्तर-पूर्वी राज्यों से होते हुए नेपाल स्थित एवरेस्ट बेस कैम्प पहुंचेंगे।

हर पैडल, हरियाली की ओर

यात्रा के दौरान सुबोध का लक्ष्य देशभर में 1 लाख पेड़ लगाना। उन्होंने बताया कि हर पड़ाव पर वे स्थानीय युवाओं, स्कूली बच्चों और समाजसेवियों के साथ मिलकर वृक्षारोपण कर रहे हैं। अपनी यात्रा में अब तक वह 30 हजार पौधे लगा चुके हैं। स्कूलों में ग्रीन वॉरियर भी तैयार करते हैं, जो पर्यावरण के प्रति जनचेतना की मुहिम को जारी रखते हैं।

विश्व रिकॉर्डधारी साहसिक साइक्लिस्ट

सुबोध मूलतः होटल प्रबंधन एवं हॉस्पिटेलिटी में शिक्षित हैं। पर्वतारोहण और साइकिलिंग उनका शौक है। कुछ साल काम करने के बाद उन्होंने माउंटेन क्लाइबिंग शुरू की। सुबोध बताते हैं कि वह हिमाचय, पश्चिमी ढालों, विंध्य आदि की पहाड़ियों पर चढ़ाई कर चुके हैं। 600 पहाड़ियां चढ़ने के बाद तो गिनना भी बंद कर दिया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 में उन्होंने छत्रपति शिवाजी के 371 किलो (फोर्ट्स) की चढ़ाई पूरी कर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया है। यह अभियान न सिर्फ शारीरिक साहस बल्कि पर्यावरण के प्रति समर्पण का प्रतीक है।

युवाओं को दे रहे प्रेरणा

सुबोध देशभर के स्कूलों और सामाजिक मंचों पर युवाओं से संवाद कर रहे हैं, और उन्हें पर्यावरण के प्रति ज़िम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उनका मानना है कि भारत का भविष्य तभी सुरक्षित है जब युवा पीढ़ी हरित सोच अपनाए। उनका कहना है कि अब नहीं बदले तो कब? जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए हर नागरिक को सक्रिय भूमिका निभानी होगी। एक साइकिल भी बदलाव ला सकती है , अगर उसके पीछे हरियाली का सपना हो। इस दौरान पर्यावरण प्रेमी सुनील दुबे और श्रीमती प्रीति भी उपस्थित रहे।

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