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सरकारी भूमि पर अतिक्रमण और अवैध निर्माण पर UDA का बड़ा खुलासा

UDA जल्द करेगी कानूनी कार्रवाई

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उदयपुर ज़िले में राजस्व विभाग और प्रशासन की संयुक्त कार्यवाही में ग्राम पंचायत सीमलवास की सरकारी भूमि पर बड़े स्तर पर किए गए अतिक्रमण और अवैध निर्माण का खुलासा हुआ है।

दस्तावेज़ों और गूगल अर्थ हिस्टोरिकल इमेजरी के आधार पर सामने आया है कि बीते कई वर्षों में दर्जनों मकान, कोठियाँ, कमरे, बाड़बंदी और अन्य निर्माण सरकारी भूमि पर खड़े कर दिए गए थे।

जांच रिपोर्ट के अनुसार, विभिन्न खातों की कई खसरा संख्याओं पर 2018 से 2025 तक लगातार निर्माण होते रहे, जबकि यह भूमि सरकारी रिकॉर्ड में चारागाह और बागड़ के रूप में दर्ज है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कुछ लोगों ने इस भूमि पर खेती, बाड़बंदी और नये निर्माण कर प्रशासन को भ्रमित करने की कोशिश की।

रिपोर्ट में बताया गया कि अतिक्रमण हटाने की पूर्व कार्रवाई 2023 और 2024 में भी की गई थी, परंतु संबंधित व्यक्तियों द्वारा पुनः निर्माण कर लिए गए। 2025 में भी अतिक्रमण जारी रहने की पुष्टि हुई है। कई जगहों पर बिजली और पानी के कनेक्शन भी अवैध रूप से लिए गए थे, जिनके लिए पंचायत द्वारा कोई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया था।

जमाबंदी भूमि रिकॉर्ड की जांच में पाया गया कि जिन खसरा नंबरों पर निर्माण बताए जा रहे थे, वे वास्तव में सरकारी भूमि है और किसी भी निजी व्यक्ति को स्वामित्व अधिकार नहीं मिलता। विभागीय टीमों ने बताया कि बड़े पैमाने पर किए गए निर्माण कार्य पूर्णतया नियमों के विपरीत हैं। निर्माण करने वालों द्वारा तथ्य छिपाए गए और गलत बयानी की गई।

उल्लेखनीय है कि कुछ खसरा नंबरों की वर्तमान बाजार कीमत करोड़ों रुपए में आंकी गई है, जिसके चलते अतिक्रमण तेजी से बढ़ा। प्रशासन का कहना है कि सरकारी भूमि की खरीद-फरोख्त अवैध है और भविष्य में भी ऐसे किसी सौदे को मान्यता नहीं मिलेगी।

जांच रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि सरकारी भूमि की रक्षा के लिए सख्त कार्रवाई आवश्यक है। प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे सरकारी भूमि की खरीद-फरोख्त से दूर रहें और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचें।

UDA सचिव राहुल जैन ने कहा की दैनिक समाचार पत्रो एवं प्राधिकरण निरीक्षक के दौरान फिल्ड भ्रमण उक्त आराजीयात पर अतिक्रमण की सूचना मिली । राजस्व ग्राम सविनाखेडा के आराजी संख्या 1545 रकवा 1.2200 हेक्टेयर, आराजी संख्या 1546 रकबा 0.0150 हैक्टेयर, आराजी संख्या 1547 रकबा 0.0750 हैक्टेयर, आराजी संख्या 1548 रकबा 0.0350 हैक्टेयर, आराजी संख्या 1549 रकबा 0.0800 हैक्टेयर, आराजी संख्या 1550 रकबा 0.0200 हैक्टेयर, आराजी संख्या 1551 रकबा 0.0350 हैक्टेयर, आराजी संख्या 1552 रकबा 1500 हैक्टेयर, आराजी संख्या 1553 रकबा 0.0950 हैक्टेयर, आराजी संख्या 1536 रकबा 0.6800 हैक्टेयर, आराजी संख्या 1539 रकबा 0.3900 हैक्टेयर, आराजी संख्या 1540 रकबा 0.7800 हैक्टेयर, आराजी संख्या 1919/1552 रकबा 0.6500 हैक्टेयर से सम्बन्धित है ।

 राजस्व रिकार्ड अनुसार यह भूमि आज दिनांक तक सरकारी भूमि के रूप में एवं वर्तमान में नगर विकास प्रन्यास,उदयपुर के नाम दर्ज रिकार्ड है ।

जैन ने कहा की मौके पर उक्त आराजीयात में विशेषतया आराजी संख्या 1552, 1999/1552, 1539, 1540 में पिछले वर्षों में कतिपय व्यक्तियों द्वारा मकान, कोटडी इत्यादी बनाये गये जिनमें वर्तमान में लोग निवासरत है ( Google Earth Historical Imagery के वर्ष 2018 की प्रति)। इसके अतिरिक्त 2018 के पश्चात् भी निरन्तर कब्ते की नियत से लोगो द्वारा अतिक्रमण किया जाकर कोटडी, बाउण्ड्रीवाल एवं मकानो का निर्माण किया जा रहा है । ( Google Earth Historical Imagery के वर्ष 2020 की प्रति ) । 

उन्होंने कहा की वर्ष 2018-19 के पश्चात् भी इस प्रकार के अवैध अतिक्रमण तथा अवैध रूप से निर्माण जारी रहे ( Google Earth Historical Imagery के वर्ष 2018, 2019, 2020, 2021, 2022, 2023, 2024, 2025 की प्रति) जिन्हे समय-समय पर प्राधिकरण द्वारा पूर्व में भी हटाया जाता रहा है ।

कार्यवाही वाले दिवस उक्त स्थल पर लगभग 52 निर्माण जिसमे कोटडी, कमरे और बाउण्ड्रीवाल सम्मिलित है भी हटाये गये, जिसमें लगभग 20 संरचनाए निर्मित थी एवं अधिकांश निर्माण कोटडी अथवा बाउण्ड्री थी । प्राधिकरण द्वारा लगभग 7-8 मकान (अधिकांश निर्माणाधीन) नियमानुसार नोटिस जारी किये जाने पश्चात् हटाये गये । उक्त समस्त भवनो, कोटडियों में कोई व्यक्ति / परिवार निवासरत नहीं था ।

उपरोक्त वर्णित सरकारी भूमि पर तकरिबन 50 से अधिक बाउण्ड्रीवाल का निर्माण किया गया था जिसे प्राधिकरण दल द्वारा नियमानुसार हटा लगभग 2 लाख वर्गफीट भूमि अतिक्रमण से मुक्त करवाई गई। कार्यवाही के दौरान कोई भी पुराना बना हुआ आवासीय निवासरत मकान नहीं हटाया गया। अतिक्रमण हटाये जाने की कार्यवाही लगभग 7 घण्टे चली इस दौरान भी कोई व्यक्ति/परिवार द्वारा उपस्थित होकर अपने विधिक स्वामित्व सम्बन्धित दस्तावेज पेश नहीं किय एवं ना ही आज दिनांक तक किसी भी प्रकार के अधिकृत स्वामित्व सम्बन्धित दस्तावेज उपलब्ध करवाये ।

इससे पूर्व भी प्राधिकरण द्वारा 01-03-2023 को उक्त भुखण्डो पर से कोटडी, मकान, बाउण्ड्री, भराव आदी हटाये जाकर लगभग 60,000 वर्गफीट भूमि को अतिक्रमण मुक्त करवाया गया था । 

इसी प्रकार दिनांक 07-06-2024 एवं उनके पश्चात् 07-01-2025 को भी प्राधिकरण द्वारा उपरोक्त उपरोक्त भुखण्ड से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही की गई थी। 

उक्त सम्बन्ध में पूर्व में अतिक्रमण हटाये जाकर प्राधिकरण की भूमि को कब्जे एवं स्वामित्व में लेने हेतु बाउण्ड्रीवाल बनाई गई थी जिसे ध्वस्त कर उपरोक्त अतिकमियो द्वारा चोरी छिपे नवीन निर्माण किये जाने के प्रयास कर अतिक्रमण जारी रहा।

यह भी उल्लेखनीय है कि उपरोक्त भूमि पर बिना किसी स्वामित्व एवं बिना प्राधिकरण से एन.ओ.सी. प्राप्त किये ग्राम पंचायत सविना द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किये गये एवं बिना  विधिक स्वामित्व के उक्त स्थलो पर विद्युत विभाग द्वारा विद्युत कनेक्शन एवं जलदाय विभाग द्वारा पानी के कनेक्शन जारी किये गये । इस सम्बन्ध में जाचं एवं कार्यवाही हेतु सम्बन्धित कार्यालय को विस्तृत रिपोर्ट हेतु लिखा गया है।

उपरोक्त कार्यवाही के दौरान कुछ व्यक्तियों द्वारा मौके पर उपस्थित हो उनके भुखण्ड से सम्बन्धित हुए इकरार नामें की प्रतिया उपलब्ध करवाई गई । 

साथ संलग्न इकरार नामे की प्रतिलिपियों का अवलोकन किया गया जिसमें निम्नानुसार तथ्य पाये गये:-

जैन ने कहा की समस्त इकरार नामे पंजीयन विभाग से पंजीकृत नहीं होकर मात्र 500/- के स्टाम्प पर टंकित थे । इन इकरार नामों में कही भी आराजी संख्या का उल्लेख नही था । प्रत्येक इकरारनामें में विक्रित भुखण्ड को कब्जेशुदा बताया जाकर क्रेता को बेचा गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि विक्रेता एवं क्रेता दोनो को ही यह ज्ञात था कि विक्रित होने वाला भुखण्ड सरकारी भूमि पर है ।

अधिकांश दस्तावेजो में नकद राशी का लेन देन किया गया है जिनमें चेक नबंर अथवा खाता संख्या का अंकन नहीं किया गया है जो कि राजस्थान सरकार के नियमों के विपरीत है । 

उदाहरणतया दस्तावेज संख्या 1 में प्रकाश कटारा पिता लोगर जी कटारा निवासी सवीना ग्रामीण ने केता रिंकु कुमार पत्नी राजुमंडल निवासी समस्तीपुर बिहार को नकद राशी रूपये 3,50,000/- में विक्रय किया गया है जो कि साथ संलग्न है ।

इकरार नामें में दस्तावेज संख्या 1, 2 एवं अन्य में यह स्पष्ट अंकन किया गया है कि 'उक्त प्लाट जो कि कब्जे शुदा है तथा भविष्य में यदी सरकार उक्त प्लाट को अधिग्रहित करती है या अपने कब्जे में ले लेती है तो उसके लिए विक्रेता कतई जिम्मेदार नही रहेगा । 

विक्रेता द्वारा आप केता से उक्त प्लाट पेटे प्राप्त की गई राशी भी रिफण्डेबल नहीं होगी तथा उसके लिए केता पूर्ण रूप से जिम्मेदार रहेगा । इससे यह स्पष्ट होता है कि दोनों ही पक्षों को यह ज्ञात था कि उक्त भुखण्ड कब्जेशुदा होकर सरकारी है एवं भविष्य में सरकार द्वारा कभी भी उक्त भुखण्डो को कब्जा मुक्त किया जा सकता है। व्यक्ति/परिवार द्वारा उपस्थित होकर अपने विधिक स्वामित्व सम्बन्धित दस्तावेज पेश नहीं किए एवं ना ही आज दिनांक तक किसी भी प्रकार के अधिकृत स्वामित्व सम्बन्धित दस्तावेज उपलब्ध करवाये ।

उपरोक्त कार्यवाही के दौरान कुछ व्यक्तियों द्वारा मौके पर उपस्थित हो उनके भुखण्ड से सम्बन्धित हुए इकरार नामें की प्रतिया उपलब्ध करवाई गई। जैन ने कहा की अगर कोई भी व्यक्ति अपने जमीं से जुड़े कोई भी दस्तावेज उनके समक्ष पेश करता है तो उनके द्वारा अथवा विभाग द्वारा हर संभव मदद की जाएगी। उन्होंने ये भी कहा की UDA द्वारा जिन मकानों को हटाया नहीं गया है उनके भी जल्द नोटिस देकर दस्तावेज मांगे जाएंगे और यथावत कार्यवाही की जाएगी।  

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