उदयपुर,17 अक्टूबर। एक तरफ जहाँ उदयपुर अपनी सुंदर झीलों और पहाड़ों के लिए दुनिया भर में मश हूर है, वहीं दूसरी तरफ यहाँ के कोर उधयोग खनिज और मार्बल / ग्रैनिट मीनिंग और प्रोसेसिंग की वजह से देश के प्रमुख वायु प्रदूषित ज़िलों में गिना जाता है। 2019 में हुए राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) सर्वे में गैर-प्राप्ति शहर (नॉन अटेनमेंट) की सूची में शामिल होने के बावजूद प्रदूषण सुधार में कोई काम नहीं किया गया है।
मीडिया में आई रेपोर्ट्स के अनुसार इस तरफ 2024 तक कुछ होने की उम्मीद है, जिसको लेकर Road map तयार किया जा रहा है। राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार उदयपुर के लगभग 1,207 उधयोगों में से तीन चौथाई (73%) उधयोग प्रदूषणकारी उद्धोयों की सूची में शामिल किए गए हैं और 446 उधयोगों को आशूलोपी उत्सर्जन (Fugitive Emission) में शामिल किया गया है, जिसमे मादरी औधयोगिक क्षेत्र (MIA) और गुडली औद्योगिक क्षेत्र में चल रहे उधयोग सबसे ज़्यादा है। करीब 600 एकड़ में फैला मादरी, उदयपुर ज़िले का सबसे बड़ा औद्योगिक क्षेत्र है, जहां मिनरल ग्राइंडिंग, रसायन/फार्मा, उर्वरक, खाद्य प्रसंस्करण, आसवनी और इंजीनियरिंग एवं निर्माण होता है। गुडली करीब 240 एकड़ क्षेत्र में फैला है और ये खनिज पीसने वाली इकाइयों का प्रमुख केंद्र है। इसके अलावा उमरड़ा, गिरवा के अलावा इसवाल, मावली आदि ऐसे क्षेत्र हैं, जहां होटल और भवन परियोजनाएं संचालित हैं। जहां भी फ्यूजिटिव उत्सर्जन काफी मात्रा में होता है।
अध्ययन में ये आया था सामने
वर्ष 2021 में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) ने राजस्थान के प्रमुख जिलों में औद्योगिक वायु प्रदूषण के आंकलन को लेकर अध्ययन किया था। जिसमें सामने आया कि उदयपुर में उद्योग बड़े पैमाने पर कोयला, लकड़ी या तरल ईंधन का उपयोग कर रहे हैं। ईंधन की खपत करने वाले उद्योग से कणकीय पदार्थ प्रदूषण भार 148 टन प्रतिवर्ष, सल्फर डाइऑक्साइड भार 200 टन प्रतिवर्ष, नाइट्रोजन ऑक्साइड भार 162 टन प्रतिवर्ष सामने आया था।
ये है वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण -
प्रमुख वायु प्रदूषणकारी क्षेत्र
सीएसइ की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार उदयपुर में लगभग 790 वायु प्रदूषणकारी उद्योग थे, जिनमें 353 ईंधन खपत करने वाले उद्योग और 456 फ्यूजिटिव धूल उत्सर्जित करने वाले उद्योग थे । फ्यूजिटिव और ईंधन-आधारित उद्योगों के उत्सर्जन की तुलना करने पर सामने आया कि फ्यूजिटिव उत्सर्जन तुलनात्मक रूप से अधिक है और शहर में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है। हालांकि, कुछ डीजी सेट आधारित उद्योग भी संचालित हैं। जहां तरल ईंधन का उपयोग किया जाता है। जिससे भी वायु प्रदूषण पाया है।
मिलकर करना होगा काम
उदयपुर के RSPCB के क्षेत्रीय अधिकारी शरद सक्सेना ने कहा की आरएसपीसीबी (RSPCB) और उद्योगों को इस दिशा में मिलकर काम करना होगा। वायु प्रदूषण रोकने के लिए न केवल वायु प्रदूषण नियंत्रण उपकरणों की स्थापना पर्याप्त है, बल्कि हमें प्रदूषण नियंत्रण के प्रति मजबूत मानसिकता का निर्माण करना होगा।
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