उदयपुर 4 अक्टूबर 2024। ज़िले के गोगुंदा में गुरुवार शाम मां-बेटे पर लेपर्ड ने हमला कर दिया। दोनों ने फौरन भागकर जान बचाई। इतने में लेपर्ड भी भाग गया। इसके बाद गुस्साए ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मचारियों पर पत्थर बरसाए। उन्होंने सरकारी स्कूल में बंद होकर जान बचाई।
इससे पहले, गोगुंदा में हमला करने आए लेपर्ड पर कॉन्स्टेबल ने फायर किया। हालांकि लेपर्ड बच गया और भाग गया। लेपर्ड ने एक ग्रामीण पर भी हमला करने की कोशिश की। गनीमत रही ग्रामीण बच गया।
गोगुंदा थानाधिकारी शैतान सिंह नाथावत ने बताया कि दो रात से पुलिस, वन विभाग की टीम के साथ सर्च अभियान में जुटी है। लेपर्ड ने बुधवार रात 10 बजे कॉन्स्टेबल प्रदीप चौधरी पर हमले की कोशिश की। कॉन्स्टेबल ने लेपर्ड पर दो राउंड फायर किया। गुरुवार सुबह 11 बजे मोडी ग्राम पंचायत के काकण का गुड़ा गांव में मोहनलाल पर लेपर्ड ने हमले की कोशिश की। ग्रामीण के पास लाठी थी, जिसे घुमाते हुए वह चिल्लाया। इतने में लेपर्ड भाग गया।
ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मचारियों पर बरसाए पत्थर
शाम 6 बजे केलवों का खेड़ा के नरेश भारती (30) और उनकी मां कैलाश भारती (60) किसी काम से जा रहे थे। तभी केलवों का खेड़ा और राठौड़ों का गुड़ा के बीच पुलिया पर पीछे से लेपर्ड आया। दोनों की उस पर नजर पड़ी और वे चिल्लाए। उन्होंने भागकर जान बचाई। इसके बाद लेपर्ड भाग गया। इसके बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने वन विभाग के कर्मचारियों पर पत्थर बरसाना शुरू कर दिए। कुछ कर्मचारियों ने सरकारी स्कूल में बंद होकर जान बचाई। कुछ कर्मचारी गाड़ी लेकर तुरंत वहां से चले गए।
सूचना पर गोगुंदा थाना पुलिस और गांव के कुछ लोग पहुंचे। उन्होंने आक्रोशित ग्रामीणों को समझाया और कहा कि यह लोग हमारी मदद के लिए ही यहां तैनात हैं। गोगुंदा एसडीएम नरेश सोनी और उपजिला प्रमुख पुष्कर तेली ने भी मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाया। तब मामला शांत हुआ।
सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम राहत देने से इनकार
इधर, लेपर्ड को मारने के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। याचिकाकर्ता अजय दूबे ने सुप्रीम कोर्ट में लेपर्ड को मारने के आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट में जाने की छूट दी है।
मामले में राज्य सरकार की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने कहा कि यह आदेश राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के दिशा निर्देशों के अनुपालन में दिया गया है। उन्होंने बताया कि तेंदुआ पहले ही कई लोगों की जान ले चुका है और उसने पहले इंसानों के हाथ काटने और फिर उसे मारने की अजीब आदत प्रदर्शित की है। क्षेत्र में अशांति है इसलिए ये फैसला अहम है। उदयपुर में एक विशेष गांव क्षेत्र की पहचान की गई थी।
ग्रामीणों का कहना है कि हमले के बाद खेत पर जाना बंद कर दिया। सरकारी कर्मचारियों और शूटर के साथ मदद के लिए हाथ में लाठी लेकर बाहर निकलते हैं। राठौड़ों का गुड़ा गांव में कुछ महिलाएं बाहर अपने बरामदे में बैठी दिखीं। उनसे जाकर बातचीत की कोशिश की। हमारे सवाल पूछने से पहले ही एक महिला बोली आखिर लेपर्ड कब पकड़ में आएगा। अब तो घर से बाहर निकलना भी मुश्किल हो गया है। न मवेशी चरा पा रहे और न बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं। हाथ में लाठियां लेकर या दांतली लेकर ही बाहर जाते हैं। डर लगता है कि लेपर्ड न जाने किस तरफ से आ जाए और हमला कर दे।
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