हिन्दुस्तान जिंक द्वारा हमेशा से अपने परिचालन इकाईयों के आस पास के क्षेत्र के समुदाय का सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण प्राथमिकता में रहा है। जिसके लिए विभिन्न परियोजनाओं का संचालन शिक्षा, स्वास्थ्य और आवश्यकता आधारित कार्यक्रमों के अनुकूल किया जा रहा है। जिम्मेदार उद्योग के रूप में सीएसआर के तहत् हिन्दुस्तान जिंक द्वारा विशेष रूप से स्थानीय ग्रामीण युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें रोजगार एवं स्वरोजगार से जोडने के लिए जिं़क कौशल केंद्र द्वारा उनके भविष्य को सुदृढ़ करने हेतु प्रयास किये जा रहे है। युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के कंपनी के प्रयासों से करीब 5248 से अधिक युवाओं को कौशल विकास से जोडने और उनमें से 6 हजार से अधिक के रोजगार एवं उद्यमी के रूप में कार्यरत होने से सफलता की ओर अग्रसर होते नजर आते है।
उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम ने 2019 में शुरूआत के बाद से 7,100 से अधिक ग्रामीण युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया है। ‘क्लिक से प्रगति तक सतत विकास के लिए युवा डिजिटल रास्ते’ थीम के साथ यह कार्यक्रम कौशल विकास और उद्यमिता के माध्यम से कंपनी के परिचालन क्षेत्रों में युवाओं को सशक्त बनाने में सहायक रहा है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रो में बेराजगारी का मुख्य कारण युवाओं में कौशल की कमी है। इसे दूर करने के लिये हिंदुस्तान जिंक ने अंबुजा सीमेंट फाउंडेशन, टाटा स्ट्राइव और वेदांता फाउंडेशन के साथ मिलकर ग्रामीण क्षेत्रों में हिन्दुस्तान जिंक के कौशल विकास कार्यक्रमों संचालित किया है। ये संगठन स्थानीय युवाओं के लिए उपलब्ध रोजगार के अवसरों के साथ-साथ युवाओं की रुचि के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों की पहचान कर भौगोलिक क्षेत्रों में मूल्यांकन सर्वेक्षणों के अनुसार कार्यक्रम क शुरुआत करते है। जिंक कौशल केंद्रों में यह महत्वपूर्ण है कि युवा स्वयं किस पाठ्यक्रम या क्षेत्र में रूचिकर है। वर्ष 2019-20 में स्थापित दरीबा और आगुचा के बाद अब ये कौशल केंद्र जावर, देबारी, कायड़, चंदेरिया और पंतनगर में भी संचालित है।
हाल ही में, 76 प्रशिक्षुओं ने प्रतिष्ठित संगठनों में प्लेसमेंट हासिल किया है। जिं़क कौशल केंद्र से प्रशिक्षित जीएमआर रक्सा ग्रुप में कार्यरत दीपक साल्वी का कहना है कि ‘मैं जिंक कौशल द्वारा प्रदान किए गए अवसर के लिए आभारी हूं। हैदराबाद एयरपोर्ट पर काम करते हुए, मुझे अच्छा वेतन मिल रहा है, जो मेरे परिवार को बहुत खुशी देता है और मेरी उपलब्धियों को दर्शाता है।
हिंदुस्तान जिंक के मुख्यकार्यकारी अधिकारी अरुण मिश्रा ने कहा कि, ग्रामीण युवाओं की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए हमारी प्रतिबद्धता हमेशा से है। युवाओं को कौशल प्रदान करना हमारे सामाजिक-आर्थिक विकास के दृष्टिकोण में प्रमुख है और उन्हें आत्मनिर्भरता के लक्ष्य की ओर सशक्त बनाने का एक तरीका है। युवाओं को वर्तमान आवश्यकता अनुसार कौशल से प्रशिक्षित कर हम न केवल व्यक्तिगत जीवन को बदल रहे हैं, बल्कि एक अधिक समृद्ध और समतावादी समाज की नींव भी रख रहे हैं। हमारे जिंक कौशल केंद्र के माध्यम से युवा दिमागों को सशक्त बनाकर, हम एक विकसित भारत के निर्माण में मदद कर रहे हैं, जहां कुशल और आत्मविश्वासी युवा राष्ट्रीय प्रगति और नवाचार के पीछे प्रेरक शक्ति हैं। यह पहल स्थानीय प्रतिभाओं को पोषित करने, सतत विकास को बढ़ावा देने और समुदायों के समग्र विकास में योगदान देने के लिए हमारे समर्पण को दर्शाती है। आज तक हमारे 6 हजार से अधिक युवा प्रशिक्षु ग्रामीण परिदृश्य को बदल रहे है और सभी के लिए समावेशी भविष्य का निर्माण करने की ओर अग्रसर है।
कार्यक्रम ने अपने सोलर पीवी लैब के माध्यम से नए युग के कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए जीवन को बदलने में उल्लेखनीय सफलता का प्रदर्शन किया है, जिससे युवाओं को भविष्य की मांगों के लिए तैयार किया जा रहा है। इस पहल ने 100 से अधिक एक्सपोजर यात्राओं का आयोजन किया है, जिससे 1,600 से अधिक छात्रों को व्यावहारिक प्रशिक्षण का लाभ मिला है। यह आगुचा, कायड और जावर स्थानों पर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग भी प्रदान करता है, जिससे 250 से अधिक छात्रों को सार्वजनिक सेवा करियर बनाने में मदद मिली है। कौशल विकास के साथ ही, हिंदुस्तान जिंक की सीएसआर परियोजनओं सेे 3,685 गांवों में 1.9 मिलियन लोग लाभान्तिव हुए है। समाधान, जिंक फुटबॉल अकादमी और जिंक कौशल जैसे कार्यक्रमों ने 1.3 लाख लोगो को कुशल बनाया है। इसके अतिरिक्त, लगभग 1.4 मिलियन महिलाओं और बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य, जल, स्वच्छता, सूक्ष्म उद्यमों और सांस्कृतिक संवर्धन पर केंद्रित कार्यक्रमों के माध्यम से सशक्त बनाया गया है।
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