"किसी चीज़ को अगर शिद्दत से चाहो तो सारी कायनात उसे तुमसे मिलाने में लग जाती है"…सुनने में जो सिर्फ एक फिल्म का डायलाग है पर वास्तव में इसे सच कर दिखाया उदयपुर के आर-जे अर्पित ने। ये कहानी है 6 साल पहले की, जब एक 18 साल के लड़के के सपने की शुरुआत ऐसे ही कार में घूमते घूमते हुई।
हुआ यूं की अर्पित के सभी घरवाले कार में घूम रहे थे और रेडियो चल रहा था। तब अर्पित ने अपने घरवालों से कहा की “ये जैसे आपको रेडियो पर आवाज़ आ रही है ना, ऐसे ही एक दिन मेरी भी आवाज़ आएगी...”। उसी वक़्त एक सपने ने जन्म लिया और मुहिम शुरू हुई उस सपने को हक़ीक़त में बदलने की।
आरजे अर्पित का जन्म 28 सितम्बर 1996 को उदयपुर ज़िले के मावली कस्बे के मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। पिता प्रवीण कुमार जैन सरकारी अध्यापक और माता सरोज जैन ग्रहणी हैं। अर्पित ने शुरुआती पढाई मावली में करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए उदयपुर शहर से नाता जोड़ा। उदयपुर के गुरुनानक पब्लिक स्कूल सेक्टर 4 से वाणिज्य में अपनी बाहरवीं करने के बाद मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी से वाणिज्य और विधि में स्नातक करने के बाद विधि में स्नातकोत्तर किया।
कविता और लेखनी का शौक रखने वाले अर्पित को शिक्षा के साथ कविताएं और कहानियां लिखते कब मंच पर कुशल संचालक बना दिया, पता ही नहीं चला। मंचो तक पहुंचना तो सिर्फ पहला पढ़ाव था ....इसके बाद अर्पित ने अपनी किस्मत रेडियो में आज़माने की सोची और सभी रेडियो स्टेशन जाकर अपने प्रयास शुरू कर दिए पर होनी को अभी कुछ और ही मंज़ूर था। अर्पित जहाँ भी जाते वहाँ निराशा ही हाथ लगती। 3 साल कि जद्दोजहद और मेहनत के बाद अर्पित ने अंदर ही अंदर हार मान ली और रेडियो से दुर जाने का निश्चय किया।
इसी वक़्त विधि में स्नातक होने के बाद उनका चयन वेदांत ग्रुप समूह के हिंदुस्तान ज़िंक के मानव संसाधन विभाग में अधिकारी के पद पर हो गया। लगभग 1 वर्ष काम करने के बाद अर्पित को लगा की शायद वो इसके लिये नहीं बने हैं, और उन्होंने वहाँ से इस्तीफा दे दिया। ऐसे में कई लोगो ने डराया की इतनी अच्छी नौकरी छोड़ दी, अब आगे क्या? ऐसे हालात में भी अर्पित के परिवार वालो ने हिम्मत नहीं हारने दी और सकारात्मकता के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहे, यह कह कर कि इतने बडे फैसले के बाद फिर से नई शुरूआत करना मुश्किल तो है, पर नामुमकिन नहीं।
ऐसे में उदयपुर के 94.3 माय एफएम (My FM) पर प्रशिक्षु (Trainee) के रूप में भर्ती निकली और किस्मत फिर से उन्हें रेडियो के पास ले आई। अर्पित ने फिर आवेदन किया और इस बार सफलता उनके हाथ लगीं। यह था उनके सपने का दूसरा पढ़ाव जहां से उन्होंने अपने शौक को प्रफेशन में बदलने की उड़ान भरी। My FM के साथ उन्होंने रेडियो के क्षेत्र में काम सीखना शुरू किया और दिल लगाकर काम किया। उसी दौरान लॉकडाउन का मुश्किल समय भी आया पर वो अपनी मंज़िल के रास्ते पर डटे रहे। उन्होंने उदयपुर के लोकल चैनल पर काम किया और एक बार ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी कंपनी के विज्ञापन में भी अभिनय किया।
लगभग डेढ़ साल तक काम करने के बाद उदयपुर में 95 एफएम तड़का (95 FM Tadka) पर रेडियो जॉकी के पद के लिए आवेदन किया और उनका चयन हो गया। आज वो अपने ही शहर में 95 एफएम तड़का पर उदयपुर शहर की ताज़ा अपडेट हो या शहर की समस्या, आम आदमी की आवाज़ बन बेधड़क तरीके से अपने उदयपुर लोकल नाम के कार्यक्रम में उठाते है।
आर जे अर्पित का यही कहना है की कोई भी काम करो तो मेहनत और ईमानदारी के साथ करो क्योकि अगर उसमे सफलता ना भी मिली तो भी सिखने को बहुत कुछ मिल जाएगा। यही सीख ज़िन्दगी के हर मोड़ पर काम आएगी। लेखन एवं मनोरंजनात्मक कार्यो में रूचि रखने वाले आर जे अर्पित की ख्वाहिश है की आने वाले समय में जो भी लोग इस क्षेत्र में काम करना चाहते है उनके मार्गदर्शन के साथ मदद करें।
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