'डाॅ. असगर अली इंजीनियर लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड'’ इंदिरा जयसिंह को प्रदान किया गया


'डाॅ. असगर अली इंजीनियर लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड'’ इंदिरा जयसिंह को प्रदान किया गया

इंदिरा जयसिंह सुप्रीम कोर्ट की ख्यातनाम एडवोकेट एवं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता है।

 
Indira Jaisingh

उदयपुर 20 अप्रैल 2025। कल शाम 19 अप्रैल 2025 शनिवार को ’’5th डाॅ. असगर अली इंजीनियर लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड’’ समारोह शहर के महाराणा कुंभा संगीत सभागार में सम्पन्न हुआ। इस वर्ष का प्रतिष्ठित अवार्ड सुप्रीम कोर्ट की ख्यातनाम एडवोकेट एवं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता इंदिरा जयसिंह को प्रदान किया गया।

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सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के चेयरमेन कमाण्डर मंसूर अली बोहरा ने बताया कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाउदी बोहरा कम्युनिटी, बोहरा यूथ संस्थान, इंस्टीट्यूट ऑफ़ इस्लामिक स्टडीज और सेंटर फाॅर स्टडी ऑफ़ सोसायटी एण्ड सेक्युलरिज्म की ओर से प्रतिष्ठित "डाॅ. असगर अली इंजीनियर लाईफ टाईम अचीवमेंट अवार्ड" समाज सेवा, मानवाधिकार, सामाजिक एवं साम्प्रदायिक सौहार्द्र के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वालों को प्रतिवर्ष प्रदान किया जाता है।इससे पूर्व यह अवार्ड दक्षिण भारतीय मलयाली साहित्यकार के पी रमानुन्नी, रिटायर्ड जस्टिस होस्बेट सुरेश, उर्दू साहित्यकार अब्दुस सत्तार दलवी, एवं डाॅ. फलेविया एग्निस को दिया जा चुका  है।

कौन है इंदिरा जयसिंह   

सेंटर फाॅर स्टडी ऑफ़ सोसायटी एण्ड सेक्युलरिज्म के निदेशक इरफ़ान इंजीनियर ने बताया कि इंदिरा जयसिंह सुप्रीम कोर्ट की ख्यातनाम एडवोकेट एवं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता है। इंदिरा जयसिंह महिला सशक्तिकरण, महिला एवं बाल अधिकार, घरेलू हिंसा, लिंग भेद, साम्प्रदायिकता और महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक एवं कानूनी अधिकारों के लिए कार्य करती है।

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1940 में मुंबई ने जन्मी इंदिरा जयसिंह ने 1962 में LLM की डिग्री हासिल कर वकालत शुरू की थी। 1986 में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट सीनियर एडवोकेट (महिला) के रूप में अपनी पहचान मिली। 2005 में उन्हे भारत सरकार द्वारा पदमश्री से भी नवाज़ा गया था। 2006 में महिलाओं के खिलाफ घरेलु हिंसा को रोकने के लिए कानून बनाने में उनका उल्लेखनीय योगदान रहा। इसके अतिरिक्त उन्होंने UN (सयुंक्त राष्ट्र) की महिला अधिकार समिति में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया है। उन्हे प्रतिष्ठित फार्च्यून मैगज़ीन ने टॉप 50 महिला के रूप में भी स्थान दिया।  

स्थानीय महाराणा कुंभा संगीत सभागार में शनिवार को सायं 7 बजे आयोजित हुए इस समारेाह में इंदिरा जयसिंह ने न्यायिक जवाबदेही और जजों की नियुक्ति पर अपने विचार रखते हुए कहा की जहाँ न्यायधीशों की नियुक्ति सरकार की मनपसंद से होने लगे वहां न्याय पर प्रश्न चिन्ह लगेगा। जजों की नियुक्ति जजों के द्वारा ही की जानी चाहिए। उन्होंने जज के घर में नोटों के बंडलों के मिलने को भी दुर्भाग्यपूर्ण बताया। 

डॉ इंदिरा जयसिंह ने फ्रीडम ऑफ़ स्पीच का समर्थन करते हुए बताया कि ट्रांसपेरेंसी के बगैर डेमोक्रेसी मज़बूत नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि एडवोकेट्स का धर्म भारत का संविधान बचाना है। और सभी प्रकार की असंवैधानिक बातो को चैलेंज करना आवश्यक है। उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पदों पर बैठे नेताओ द्वारा न्याय व्यवस्था को निशाना बनाना दुर्भाग्यपूर्ण है।

वक़्फ़ संशोधन बिल को उन्होंने जस्टिस संजीव खन्ना की तारीफ करते हुये कहा कि उन्होंने सरकारी वकीलों से जिस प्रकार सीधे सीधे सवाल कर कठघरे में खड़ा किया वह तारीफ के काबिल है। हमें उम्मीद रखनी चाहिए की सुप्रीम कोर्ट वक़्फ़ संशोधन बिल को लेकर अपना रुख कायम रखेगी। 

इंदिरा जयसिंह ने सुधारवादी दाऊदी बोहरा समुदाय के सामाजिक बहिष्कार के केस को लेकर बताया कि 1986 से चल रहा हे यह मामला अभी और आगे चलेगा। क्यूंकि इस मामले में न्याय होते ही अन्य समुदाय जो की सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे है उन मामले पर भी न्याय देना होगा।  एक केस दूसरे केस को फर्टिलाइज़ करता है।

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इससे पूर्व समारोह की शुरुआत तिलावत ए कुरआन से की गई उसके पश्चात् सेंटर फाॅर स्टडी ऑफ़ सोसायटी एण्ड सेक्युलरिज्म के निदेशक इरफ़ान इंजीनियर ने मरहूम डॉ असगर अली इंजीनियर को श्रद्धांजलि देते हुए बताया की डॉ असगर अली इंजीनियर की पहचान न सिर्फ सुधारवादी बोहरा समाज के नेता और अग्रणी के रूप में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में एक इस्लामिक स्कॉलर के रूप में जाने जाते थे। डॉ असगर अली इंजीनियर ने इस्लामिक स्कॉलर और धर्मनिरपेक्षता पर उल्लेखनीय कार्य करते हुए 78 किताबे लिखी है इसके अतिरिक्त उनके आर्टिकल नियमित रूप से टाइम्स ऑफ़ इंडिया जैसे प्रतिष्ठित अखबारों में छपते थे।

वहीँ कार्यक्रम में प्रोफेसर डॉ ज़ैनब बानू ने डॉ असगर अली इंजिनियर को श्रद्धांजलि देते हुए उपस्थित समूह को इंदिरा जयसिंह जीवन परिचय दिया। कार्यक्रम का सफल संचालन नासिर जावेद ने किया जबकि धन्यवाद की रस्म सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के चेयरमेन कमाण्डर मंसूर अली बोहरा ने अदा की  

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इस अवसर पर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता आनन्द ग्रोवर, सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के संरक्षक आबिद अदीब, सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के चेयरमैन कमांडर मंसूर अली बोहरा, सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ दाऊदी बोहरा कम्युनिटी के कोषाध्यक्ष यूनुस बालू वाला, सेंटर फाॅर स्टडी ऑफ़ सोसायटी एण्ड सेक्युलरिज्म के निदेशक इरफ़ान इंजीनियर, दाऊदी बोहरा जमाअत के अध्यक्ष इक़बाल हुसैन रस्सा वाला, सचिव फ़िरोज़ हुसैन टीन वाला, बोहरा यूथ संस्थान के सचिव युसूफ आरजी के अलावा प्रोफेसर हेमेंद्र चंडालिया, समता संदेश के हिम्मत सेठ, पीयूसीएल, ऐपवा, उदयपुर फ़िल्म फेस्टिवल, तालीम ओ तरबीयत फाउंडेशन, जनवादी आंदोलन, जनतांत्रिक विचार मंच के पदाधिकारियों के साथ साथ सामाजिक और मानवाधिकार कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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